सकारात्मक सोच उन्नति का मार्ग

कहते हैं कि हमारी सोच ही हमारे व्यक्तित्व का आईना होती हैं। हम जैसा सोचते हैं, हम वैसा ही करते भी हैं। इसलिए हम यह भी कह सकते हैं कि हमारी हर कृति से हमारे व्यक्तित्व की पहचान होती है। अतः हमारे जीवन पर हमारी सोच का गहरा प्रभाव होता है।

हमारी सोच और समझ जहां हमें उंचाई पर लेकर जाने की क्षमता रखती है, वहीं हमें नीचे भी हमारी सोच ही गिराती है।हमारे  जीवन का बनना या बिगड़ना हमारी सोच पर ही निर्भर करता है।

अच्छी सोच, बुरी सोच, सकारात्मक सोच या नकारात्मक सोच ये सभी,हमारी सोच और समझ के स्थाई और अस्थाई भाव है। अच्छी या बुरी सोच जहां कभी कभी हमारे मन में बरसों से घर कर गई धारणाओं और परिस्थितियों की वजह से, स्थाई रुप से घर कर लेती है और उसे बदलना भी आसान नहीं होता है, क्योंकि यह परिस्थितियां पारिवारिक हालात, शिक्षा, गरीबी, मजबूरी आदि से निर्मित होती हैं। वहीं दूसरी तरफ सकारात्मक सोच और नकारात्मक सोच ये दोनों अस्थाई सोच होती है,जो समय और परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है। और इन्हे बदलना भी हमारे ही हाथों में होता है।

ईश्वर ने मनुष्य को बाकी खुबियों और क्षमताओं के साथ साथ एक अन्य खुबी भी प्रदान की है, वो हैं विचार करने की शक्ति या क्षमता। हमारा मस्तिष्क सतत विचारशील रहता है। हम कुछ कर रहे हो या फिर खाली ही क्यों ना बैठे हो, हम कुछ ना कुछ अवश्य ही सोचते रहते हैं।कभी अच्छा तो कभी बुरा। यह हमारी आदत और हालात पर निर्भर करता है कि हम किस तरह के विचार करते हैं।

आज हम यहां बात करेंगे, सकारात्मक सोच की। सकारात्मक सोच में इतनी क्षमता होती है कि वो हमें शिखर तक पहुंचा सकती है। सकारात्मक सोच, जिसे positive thinking कहते हैं, इसका अर्थ है अपनी सोच को हर हाल में अच्छा बनाए रखना। परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो,उम्मीद की एक किरण अपने मन में अवश्य जगाए रखना। विपरित परिस्थितियों में भी अपना हौसला बनाए रखना। और यही हमारी सफलता का गुरुमंत्र भी है जो हमें सफलता की चोटी पर पहुंचाएगा।

सफलता की मंजील पर पहुंचना जितना सुखदाई है, उतना ही मुश्किल और कांटों से भरा हुआ इसका रास्ता है। आज के इस युग में, जहां कदम कदम पर प्रतियोगिता है, हम कड़ी मेहनत और लगन से ही अपना रास्ता बना सकते हैं। कभी कभी अपनी संपूर्ण शक्ति झौंक देने के बाद भी हमें सफलता नही मिलती, या हम लगातार असफल होते जाते हैं, तो ऐसे में हमारा मनोबल टूटना और हार मान लेना बिल्कुल जायज है, परंतु ऐसे समय में हमारे काम आती हैं हमारी सोच, हमारी सकारात्मक सोच, जो हमें फिर से उठकर खड़े होकर दिखाने का हौसला देती है और हमें अपनी हार को स्वीकार करने का संबल प्रदान करती हैं, ताकि हम फिर से संघर्ष कर सके।

         “एक हार से क्या होता है,चल उठ फिर से संघर्ष कर,

         मेहनत कर, प्रयास कर, परिणाम को भी स्वीकार सहर्ष कर”

अर्थात एक बार हार गए तो क्या हुआ, हमें फिर से उठकर खड़ा होना है और हमारा सामर्थ्य दिखाना है।परिणाम चाहे जो भी हो,अपनी ओर से तो हमें फिर से मेहनत और प्रयास करना ही है।

इससे स्पष्ट है कि, सकारात्मक दृष्टिकोण हमें सतत आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है, साथ ही हमारे अंदर एक आत्मविश्वास जगाता है कि हम अभी हार जरुर गए हैं, पर हममे जीतने की भी क्षमता है। एक छोटी सी हार हमारे हौसले को कम नहीं कर सकती। और हम दुगने उत्साह से अपने काम में लग जाते हैं। वहीं नकारात्मक दृष्टिकोण हमारी सोच का दायरा ही सिमीत कर देती है। हम अपनी हार के आगे कुछ और देख ही नहीं पाते हैं।

सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाला व्यक्ती, खुद के प्रति हमेशा निष्ठावान रहता है। अपने गुणों की तरह ही वह अपने दोष भी स्वीकार करता है। अपनी हार को केवल हाथ मानकर निराश होकर बैठ नहीं जाता,बल्कि उसका विष्लेषण करता है कि कमी कहां रह गई है।और उठकर फिर से खड़ा हो जाता है।वहीं नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ती को कभी भी खुद में कोई भी कमी नहीं दिखाई देती, बल्कि विष्लेषण करने के बजाय वह किस्मत को दोष देता है। और संघर्ष करना ही छोड़ देता है।

हमें अपने जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक सोच बनाएं रखना बेहद आवश्यक है।अभी के हालात पर नजर डालें तो, आप देखेंगे कि कई लोग अपना हौसला हार गए और अपनी जींदगी तक समाप्त कर ली। वहीं कई लोगों ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपना मार्ग ढूंढ लिया और उसी पर चलते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच गएं।

कोरोना के इस कठीन काल में, कई लोगों ने जहां इस समय का सदुपयोग भी किया है, और खाली बैठने के बजाय कुछ नया सीखा है। वहीं कुछ लोगों ने इतने मुल्यवान समय को यूं ही गवां भी दिया है। यही सब हमारी सोच का ही नतीजा है। क्योंकि सकारात्मक सोच ही हमें सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं,समय की किमत भी  समझाती है।

नकारात्मक सोच वाला व्यक्ती किसी भी काम को शुरू करने से पहले ही मन में कई शंका कुशंका पाल कर बैठ जाता है, जैसे, मैं क्यों ये काम करु, मुझसे शायद ये होगा भी नहीं, मुझे आएगा ही नहीं ये करते, मुझसे नहीं हुआ तो, मैं हार गया तो लोग क्या कहेंगे? आदि अनेक विचार अपने मन में रखकर बैठ जाता है,और समय हाथ से निकल जाता है। इसलिए ही नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाला व्यक्ती कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता है। वहीं पर सकारात्मक सोच रखने वाले किसी व्यक्ती के पास इन सभी सवालों का केवल एक ही जवाब होता है,वो हैं “हां”। हां मैं यह काम कर सकता हूं, हां मैं यह काम करुंगा, चाहे मुझे कितना भी संघर्ष क्यों ना करना पड़े, हां थोड़ा सा सीखूंगा तो मैं यह काम आसानी से कर लूंगा, हां , मुझे केवल खुद पर विश्वास है, मुझे इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता है कि लोग क्या कहेंगे। ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ती को उपर उठने से कोई भी रोक नहीं सकता है।

देखा आपने केवल एक “हां” और एक “नहीं” से ही हमारे जीवन के मायने ही बदल गए। एक “नही” जहां हमारी उन्नति के मार्ग में रोडा बनकर खड़ा था, वहीं केवल हमारी “हां” ने हमें आधा मार्ग पार करा दिया।

अतः दोस्तों, हमें जीवन में यदि आगे बढ़ना है तो हमें  परिस्थितियों से लड़ना होगा। सफलता की तरह ही असफलता, सुख की तरह ही दुख तो जीवन का हिस्सा ही है, उसे भी हंसकर स्वीकार करना होगा।माना यह कहना आसान है, परंतु करना मुश्किल,पर नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं है। स्वयं में कुछ बदलाव लाकर हम यह कर सकते हैं। सबसे पहले अपनी सोच हर परिस्थिति में सकारात्मक रखनी होगी, इसके लिए आप अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं,कोट्स पढ़ सकते हैं, मेडिटेशन कर सकते हैं, अच्छी फिल्में देख सकते हैं। साथ ही अपना अधिक से अधिक समय ऐसे लोगों के साथ व्यतीत करने की कोशिश करें, जों संघर्ष से उपर उठें है क्योंकि उनकी सोच निश्चित ही सकारात्मक होगी, जो आपको भी आगे बढ़ने की ही प्रेरणा देगी। नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्तियों से दूर ही रहे, क्योंकि किसी भी

प्रकार नकारात्मकता से हम बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। आप भी सकारात्मक सोच रखें और सदैव आगे बढ़ते रहे। अपनी क्षमताओं को कभी कम ना आंके। सकारात्मक सोच ही उन्नति का मार्ग है।

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