दूसरों की सहायता

” तेरे बस में है जितना, चाहे उतना ही फकत कर,
   तू गर काबिल है प्यारे, तो किसी जरूरतमंद की मदद कर”

किसी जरूरतमंद या दूसरों की सहायता करना कितना सुखद हो सकता है,ये आप तब महसूस कर सकते हैं,जब बदले में वो आपको लाखों दुवाएं देता है, या फिर उसकी आंखों छिपें कृतज्ञता के भावों को पढ़कर आप समझ सकते हैं कि आपके प्रति उसकी क्या भावना है। चाहें फिर वह कोई इंसान हो या फिर जानवर ही क्यों ना हो।

सहायता करना, मनुष्य का एक बहुत ही सुन्दर और प्राकृतिक गुण है। और प्रत्येक मनुष्य के अंदर यह गुण अवश्य ही बसा हुआ है। किसी को आहत या परेशान देखकर हमारे मन में सबसे पहला ख्याल उसकी सहायता करने का ही आता है।और यदि हम ऐसा कर पाते हैं तो यह हमारे लिए बहुत ही अच्छी बात होती है।

सहायता केवल रुपए पैसों से ही नहीं होती हैं, बल्कि कभी-कभी, आपका साथ,आपका एक प्यार भरा स्पर्श और कुछ तसल्ली भरे शब्दों से ही किसी की मदद हो जाती है।आप मुसीबत से घिरे किसी इंसान की आवश्यक मदद नहीं कर पा रहे हैं,तो भी आपका उसके साथ बने रहना भी उसके लिए काफी हो सकता है।

हर जरुरतमंद इंसान की सहायता करना निश्चित ही हमारे बस में नहीं होता है, पर जितना हमारे हाथ में है, उतना तो हम कर ही सकते हैं, किसी इंसान को गिरता हुआ देखकर हंसने की बजाय अपना एक हाथ देकर उठाना कभी भी ज्यादा अच्छा है। किसी भूखे व्यक्ती या जानवर को थोड़ा सा खाना दे देने से आपको शायद कुछ फरक ना पड़े पर उसकी आत्मा निश्चित ही संतुष्ट हो जाती है और दूसरों की सहायता भी हो जाती है ।

किसी को हाथ पकड़कर रास्ता पार करवाना हो या किसी को रास्ता बताना हो, किसी का डर कम करना हो, किसी को पढ़ाई के लिए साधन उपलब्ध करवाना हो या किसी की फीस भरनी हो, या रोजमर्रा के छोटे मोटे कार्यो में किसी की मदद करनी हो, बहुत से ऐसे काम है, जिन्हें करके हम किसी की सहायता तो कर ही सकते हैं, साथ ही उसका काम भी कम कर सकते हैं।

किसी की सहायता करते समय यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि जो इंसान हमारी मदद चाहता है, वो परिस्थिति के आगे मजबूर और लाचार होकर आपके पास आया है अतः उसका मजाक उड़ाकर या उसके उपर एहसान जताकर आप उसकी सहायता ना करें,बल्कि उसे संबल दे। यह परिस्थिति किसी पर भी आ सकती है, आप पर भी। ईश्वर का धन्यवाद करें कि उसने हमें किसी की सहायता करने लायक बनाया है।

जैसा कि अपवाद हर जगह होते हैं, कुछ लोग जहां हर वक्त किसी की मदद के लिए तत्पर रहते हैं, वहीं कई लोगों की एक बहुत बुरी आदत होती है कि, किसी भी व्यक्ति या पशु पक्षी को मुसीबत में देखकर या मुसीबत में डालकर उन्हें बड़ा आनंद आता है।

यह निश्चित ही एक मानसिक बीमारी हो सकती है। ऐसा करना सर्वथा अनुचित है। और बेजुबान जानवरों और पशु पक्षियों के प्रति तो हमारे मन में विशेष बनाती सहानुभूति होना चाहिए, उन्हें बेवजह तकलीफ पहूंचाकर यदि आपको आनंद प्राप्त होता है तो आपमें और एक जानवर में फरक ही क्या है।

हमारे अंदर सेवा और दूसरों की सहायता करने का जज्बा हमेशा कायम रहना चाहिए। किसी भी विपरीत परिस्थिति में या आपदा या विपदा के समय, जैसे तुफान, भूकंप, बाढ़ या सुखा कुछ भी हो आपको दुसरो की हर संभव सहायता करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। क्योंकि आज चाहे आप सुरक्षित है, पर ईश्वर ना करें,कल आप भी ऐसे किसी संकट में फंस सकते हैं कि, तब आपके द्वारा किए गए अच्छे काम ही आपको बचाएंगे, क्योंकि आपकी सहायता के लिए भी कोई ना कोई आगे जरुर आएगा।

कभी-कभी देखा गया है कि सड़क पर यदि कोई एक्सीडेंट हो जाता है, तो लोग बजाय मदद करने के भीड़ इकट्ठा करके खड़े हो जाते हैं और जिम्मेदारी लेने की अपेक्षा फोटो और वीडियो आदि लेने में मशगूल हो जाते हैं,और जब तक आवश्यक सहायता मिलती है,वो इंसान दम तोड देता है। ऐसा कभी ना करें।बल्कि उस असहाय व्यक्ती की सहायता करें, उसे हस्पताल पहूंचाये, पुलिस और एंबुलेंस को फोन करे। आपके इन कदमों से उस व्यक्ती की जान भी बच सकती हैं।

आपकी सोसायटी या पडोस में कोई बीमार या वृद्ध लोग हैं जिन्हें नियमित आधार की जरूरत है, उनकी सहायता करने में ना हिचकिचाएं। मानसिक दृष्टि से जो लोग कमजोर है उनका मजाक ना उठाए और दुसरो को भी ऐसा करने से रोकें उनकी
मनःस्थिति को समझें और उन्हें भी प्यार और सम्मान दे।

कई लोगों की वाकई मजबूरी होती है कि वे चाहते हुए भी किसी की सहायता नहीं कर पाते हैं। परंतु कुछ लोगों का जज्बा ऐसा होता है,जो हर सीमा को तोड़ कर और हर खतरा उठाकर, अपनी जान की बाजी लगाते हुए, किसी कि भी मदद करने के लिए आगे रहते हैं। अभी के कोरोना काल को ही देखें तो लाखों ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए, कई लोगों के साथ साथ जानवरों की भी रक्षा की है और हर संभव सहायता की है। पूरा देश आज उन जांबाजों पर गर्व करता है,और उनके हौसले को सलाम करता है।

परंतु किसी को भी मदद करने की कुछ मर्यादा या नियम अवश्य होने चाहिए। जैसे जो लोग वाकई मुसीबत में है,या लाचार है, और चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सकते हैं, उन्हें सहायता प्रदान करना अच्छी ही बात है, परंतु कुछ लोग जो स्वयं की सहायता करने के लिए सक्षम होते हुए भी हमेशा ही दुसरो से मदद की अपेक्षा रखते हैं, उन्हें आपको कितनी और किस हद तक सहायता करना है,यह आपको सुनिश्चित कर लेना चाहिए।

साथ ही आपकी सहायता का कोई अनुचित लाभ तो नहीं उठा रहा है इसका भी आपको ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि कभी कभी कुछ लोगों के लिए, दुसरो से मदद मांगना,उनकी मजबूरी से अधिक आदत बन जाता है। सहायता से किसी को सबल बनाएं, आलसी या निर्भर नहीं। किसी की मदद करके अपने अंदर अहंकार की भावना भी न पनपने दें। साथ ही किसी की सहायता दुसरो को आकर्षित करने के लिए नहीं बल्कि प्रेरित करने के लिए करे।

आपकी एक छोटी-सी सहायता से किसी के चेहरे पर मुस्कान और रौनक आ सकती है, साथ ही आपके प्रति उसके हृदय में सम्मान की भावना भी बढ़ जाती है। अतः जब भी मौका मिले, सबकी मदद करना श्रेष्ठ धर्म है।

आशा करते है आपको यह लेख दूसरों की सहायता पसंद आया होगा |

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