बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं: परिभाषा, भेद और उदाहरण (Bahuvrihi samas kise kahte hai)

आज के इस लेख में हम बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं: परिभाषा, भेद और उदाहरण (Bahuvrihi samas kise kahte hai) के बारे में बात करने वाले हैं। पिछले पोस्ट में हमने आपको समास किसे कहते है और उसके कितने भेद होते हैं के बारे में बताया था।

यदि आपने अब तक उसे नहीं पढा है, तो आप हमारे पिछले पोस्ट में जाकर पढ़ सकते हैं। फिलहाल हम इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं बहुव्रीहि समास के विशेष तथ्यों और बहुव्रीहि समास के उदाहरणों के बारे में –

बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं

बहुव्रीहि समास उसे कहते हैं, जहां दोनों सामासिक पदों में से किसी की भी प्रधानता नहीं होती है बल्कि इसमें किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, वैसे शब्द जिसमें प्रथम पद यानी पूर्व पद और अंतिम पद यानी उत्तर पद के बीच किसी तीसरे अर्थ का बोध हो उन्हें बहुव्रीहि समास कहा जाता है।

बहुव्रीहि समास में एक संपूर्ण पद का या शब्द का कोई मोल नहीं होता यानी कि उसमें प्रथम और अंत दोनों पदों का कोई महत्व नहीं होता बल्कि इसमें पूर्व और उत्तर दोनों पदों को मिलाकर जब उसका कोई तीसरा अर्थ निकल कर सामने आता है, तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।

बहुव्रीहि समास की परिभाषा

जहां समाज के द्वारा दिए गए पदों में कोई एक पद प्रधान नहीं होता है बल्कि वहां प्रधानता किसी अन्य पद की होती है। इस समाज में एक पद संज्ञा वाचक होता है और दूसरा पद उस संज्ञा वाचक पद की विशेषण के रूप में काम करता है।

उदाहरण के लिए –

तिरंगा – तीन है रंग जिसमें यानी राष्ट्रध्वज।

लंबोदर – लंबा है उदर जिसका यानी गणेश।

चंद्रशेखर – चंद्र है जिसके शिखर पर यानी शिवजी।

पितांबर – पित है अंबर जिसका यानी विष्णु।

त्रिलोचन – तीन आंखों वाला यानी शिव।

मुरलीधर – मुरली है जिसने किया धारण यानी श्री कृष्ण।

चतुर्मुख – चार है मुख जिसके यानी  ब्रह्मा। 

विषधर – विष धारण करने वाला यानी सांप।

बहुव्रीहि समास के कितने भेद होते हैं

हिंदी व्याकरण के अनुसार बहुव्रीहि समास मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं। जैसे कि –

  • समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
  • तुल्य योग्य बहुव्रीहि समास
  • व्यधिकरण बहुव्रीहि समास
  • व्यतिहार बहुव्रीहि समास

समानाधिकरण बहुव्रीहि समास

वैसे शब्द जिनमें पूर्व पद व उत्तर पर दोनों का स्वरूप बिल्कुल समान हो यानी कि दोनों ही पद पूर्व और उत्तर की विभक्ति एक समान हो उन्हें समानाधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे कि –

उदाहरण के लिये –

  • निर्धन – निर्गत है धन जिसमें
  • कलहप्रिय – कलह है प्रिय जिसको
  • नेकनाम नेक है नाम जिसका
  • दत्तभोजन – दत्त है भोजन जिसके लिए
  • चंद्रभाल – चंद्रमा है माथे पर जिसके अर्थात शंकर
  • गोपाल – गौ का पालन करता है जो

तुल्य योग्य बहुव्रीहि समास

वैसे शब्द जिसका प्रथम पद यानी पूर्व पद ‘स’ हो तो वह  तुल्य योग्य बहुव्रीहि समास कहलायेगा। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे शब्द जिनका पहला अक्षर ‘स’ हो उन्हें तुल्य योग्य बहुव्रीहि समास या सह बहुव्रीहि समास कहते हैं। यहां सह का मतलब होता है ‘साथ’ जैसे कि –

उदाहरण के लिए –

  • सचेत-  जो है चेतना के साथ
  • सबल – जो है बल के साथ
  • सपरिवार – जो है परिवार के साथ

व्यधिकरण बहुव्रीहि समास

वैसे शब्द जिनमें दोनों पद यानी पूर्व और उत्तर पदों का अधिकरण समान नहीं होता है उन्हें व्यधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जब दोनों पद उत्तर और पूर्व में भिन्न-भिन्न कारक चिन्हों का इस्तेमाल हो तो उन्हें व्यधिकरण बहुव्रीहि समास कहा जाता है जैसे कि –

उदाहरण के लिये – 

  • सूर्यपुत्र – वह जो सूर्य का पुत्र हो कर्ण।
  • मोदक – लड्डू है जिसको प्रिय यानी गणेश।
  • शैलनंदिनी – जो शैल की नंदिनी हो वह यानी पार्वती। मकरध्वज – जिसके मकर का ध्वज है यानी कामदेव।
  • रावनारी जो है रावण का शत्रु यानी राम।
  • पन्नागारी-  जो है सर्पों का शत्रु यानी गरुड़।
  • दीर्घबाहू – वह जिसकी लंबी है भुजाएं यानी विष्णु।

व्यतिहार बहुव्रीहि समास

वैसे शब्द जिनमें प्रतिघात और घात की सूचना का बोध हो उन्हें व्यतिहार बहुव्रीहि समास कहा जाता है। व्यतिहार बहुव्रीहि समास में ऐसा प्रतीत होता है, मानो किसी दो वस्तुओं के बीच लड़ाई हुई हो। जैसे कि –

उदाहरण के लिए –

  • धक्का-मुक्की – एक दूसरे को धक्का देकर की जाने वाली लड़ाई।
  • बात -बाती – बातों बातों में जो लड़ाई हुई हो।
  • मुक्का- मुक्की –  मुक्के मुक्के से जो लड़ाई हुई हो।
  • लाठी -लाठी – लाठियों से जो लड़ाई हुई हो।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण

नीचे हम बहुव्रीहि समास के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके माध्यम से आपको बहुव्रीहि समास को समझने में सहायता होगी –

कालांतर मौत का अंत करने वाला यानी शिव
रामचंद्र चंद्रमा के समान यानी राम
दुर्गाप्रसाद दुर्गा का प्रसाद यानी मां दुर्गा
चौलड़ी चार है लड़ियां जिसमें
गजानन गज से आनन वाला गणेश
दशानन दस है आनन जिसके यानी रावण
ब्रह्मावादी ब्रह्मा के बारे में वाद करने वाला
पितांबर पीले वस्त्र है जिसके
निशाचर रात में विचरण करने वाला यानी राक्षस
जितेंद्रिय जीत गई है इंद्रियां जिससे
सप्तनिक साथ है पत्नी जिसके
चक्रधर चक्र धारण करने वाला यानी श्री कृष्ण
पशुपति पशुओं का पति यानी शिव
महेश्वर महान है जो ईश्वर यानी शिव
सूर्यपुत्र जो सूर्य का पुत्र है
वाग्देवी जो भाषा की देवी है यानी सरस्वती
वारिश जो वारी से जन्मता है यानी कमल
दशरथनंदन जो दशरथ के नंदन है यानी राम
वाहिनी वह जिनके सिर का वाहन है यानी दुर्गा

निष्कर्ष

आज का यह लेख बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं: परिभाषा, भेद और उदाहरण यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस लेख में हमने बहुव्रीहि समास क्या हैं (Bahuvrihi samas kise kahte hai) तथा बहुव्रीहि समास के कितने भेद हैं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की है।

उम्मीद करते हैं, आज का यह लेख आपको अच्छी तरह से समझ आ गया होगा, लेकिन उसके बावजूद यदि इस लेख से संबंधित आपको और अधिक जानकारी चाहिए, तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप अपनी बात या आप अपने प्रश्न हम तक पहुंचा सकते हैं।

परंतु यदि यह लेख आपको पसंद आया हो, तो कृपया इसे शेयर करें ताकि बाकी और लोगों के भी  बहुव्रीहि समास से संबंधित जानकारी प्राप्त हो सके।

FAQ

बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?

वैसे शब्द जिसमें प्रथम पद यानी पूर्व पद और अंतिम पर यानी उत्तर पद के बीच किसी तीसरे अर्थ का बोध हो उन्हें बहुव्रीहि समास कहा जाता है।

बहुव्रीहि समास के कितने भेद हैं?

बहुव्रीहि समास के चार भेद होते हैं-  समानाधिकरण बहुव्रीहि समास, व्यतिहार बहुव्रीहि समास, व्याधिकरण बहुव्रीहि समास, तुल्ययोग बहुव्रीहि समास।

बहुव्रीहि समास को कैसे पहचाने?

जब शब्द के प्रथम और अंतिम पद की प्रधानता ज्ञात ना हो और उस शब्द का कोई तीसरा अर्थ निकल रहा हो, तो इसका मतलब है कि वह बहुव्रीहि समास है जैसे दिगंबर – जिसके दिशाएं ही हैं वस्त्र।

नीलकंठ में कौन सा समास होता है?

नीलकंठ में बहुव्रीहि समास है, क्योंकि इसमें पूर्व और उत्तर पद की तुलना में अन्य पद की प्रधानता दिखाई गई है। जैसे कि नीलकंठ अर्थात निला है जिसका कंठ यानी शिवजी।

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