Prernarthak Kriya |प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb)

क्या जानते हैं कि प्रेरणार्थक क्रिया क्या होती है (Prernarthak Kriya kise kahte hai) और प्रेरणार्थक क्रिया कितने प्रकार के होते हैं? यदि नहीं तो समझे यह लेख बिल्कुल आपके लिए हीं है, क्योंकि हम यहां प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद यानी प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा एवं उदाहरण के बारे में बात करने वाले हैं।

तो चलिए फिर बिना समय गवांए प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb)  के बारे में विस्तार से जानते है – 

प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं (Prernarthak Kriya kise Kehete Hai)

हिंदी व्याकरण के अनुसार प्रेरणार्थक क्रिया एक विशेष प्रकार की क्रिया होती है, जो दूसरे किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने या उन्हें कार्य के लिए प्रेरित करने के लिए प्रयुक्त होती है।

इसका उपयोग करके हम किसी को कोई कार्य करने के लिए कहते हैं या किसी व्यक्ति से किसी काम को करवाते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया में क्रिया के बाद ‘करना’ शब्द आता है, जो कार्य कराने वाले को या उसको बताने के लिए प्रयुक्त होता है।

प्रेरणार्थक क्रिया दूसरों को प्रेरित करने के उद्देश्य से की जाती है। यह क्रिया लोगों को सक्रिय होने, समर्थ होने, सोचने या कुछ करने के लिए प्रेरित करने का एक तरीका होता है।

इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को उनकी आवश्यकता या महत्वपूर्णता के बारे में जागरूक करना होता है ताकि वे कोई कार्य करें या अपनी सोच और धारणाओं को परिवर्तित करें।

जैसे कि –

  • उसने मुझे इस पुस्तक को पढ़ाने को कहा।
  • राम ने राधा से पत्र लिखवाया।
  • माँ ने शालू से चाई बनवाई।

प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा (Prernarthak Kriya Ki Paribhasha)

ऐसी क्रियाएं जिनसे इस बात का ज्ञात होता है, कि कर्ता स्वयं कार्य ना करके किसी अन्य से कार्य करवाएं या कार्य करने की प्रेरणा दें, उन्हें प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।

प्रेरणार्थक क्रिया में कुछ शब्दों का प्रयोग प्रायः किया जाता है,  जिनसे प्रेरणार्थक क्रिया का पता चलाता  है।

जैसे कि –

  • मिलवाना
  • खिलवाना
  • कटवाना
  • लिखवाना
  • पढ़वाना
  • सुनाना
  • बुलवाना
  • मंगवाना
  • पिलवाना
  • बनवाना आदि।

प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण (Prernarthak Kriya Ke Udaharan)

यहाँ नीचे हम प्रेरणार्थक क्रिया के कुछ उदाहरण बता रहे हैं,  जिनके माध्यम से आप अच्छी तरह से समझ जाएंगे कि प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं

  • मौसी अपनी बेटी से खाना बनावाती है।
  • जॉनी बच्चों को रोजाना पढ़ाता है।
  • प्रेरणा बच्चों को अक्सर रुलाती है।
  • माली अपने बेटे से फूल में पानी डलवाता है।
  • आज मनोज ने हमें खाना खिलाया।
  • दिनेश अपनी बेटी से काम करवाता है।
  • कक्षा में शिक्षक बच्चों को पाठ याद करवाते हैं।
  • तुम आज रिया से चाय बनवाना
  • गीता बच्चों को पार्क लेजाती है
  • सरोज विजय से गाड़ी धुलवाता है।

प्रेरणार्थक क्रिया में कितने कर्ता होते हैं

प्रेरणार्थक क्रिया में सामान्यता दो करता होते हैं जिनके बारे में नीचे विस्तार से बात करने वाले हैं जैसे कि –

  1. प्रेरक कर्ता
  2. प्रेरित कर्ता

प्रेरक कर्ता 

इस तरह के कर्ता लोगों को प्रेरणा प्रदान करने के लिए कार्य करते है। यह कर्ता दूसरे व्यक्ति को उत्साहित करने,  प्रेरित करने या किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करने का कार्य करते है।

जैसे कि –

  • मोटिवेशनल स्पीकर
  • एक गुरु
  • एक प्रेरक कविता या किताब
  • एक मालिक आदि प्रेरक कर्ता हो सकते हैं।

प्रेरित कर्ता

यह ऐसे कर्ता होते हैं, जो प्रेरणा प्राप्त करते हैं और उस प्रेरणा के प्रभाव में किसी कार्य को करते हैं। यह कर्ता प्रेरणार्थक कार्य का निष्पादन करने वाले होते हैं। वे उस प्रेरणा के आधार पर कार्य करने के लिए उत्साहित होते हैं।  सरल शब्दों में कहें तो ऐसे कर्ता जो अन्य लोगों से प्रेरणा प्राप्त करते हैं,  उन्हें प्रेरित कर्ता कहते हैं।

जैसे कि –

  • छात्र
  • कर्मचारी
  • नौकर आदि

प्रेरणार्थक क्रिया कितने प्रकार के होते हैं

प्रेरणार्थक क्रियाएँ, क्रियाओं को निर्देशित करने वाली क्रिया होती है, जो एक व्यक्ति को किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है। इन क्रियाओं के द्वारा हम एक कार्य को पूरा करने के लिए ऊर्जा, प्रेरणा और संकेत प्राप्त करते हैं। आपको बता दें, कि प्रेरणार्थक क्रिया है मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –

  1. प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
  2. द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया

प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया

यह क्रिया हमें किसी व्यक्ति के मन में आवश्यकता या इच्छा को जगाने के लिए प्रेरित करती है। यह क्रिया सामान्यतः सीधे हमारे मन में उठने वाली सोच, भावना या आवश्यकता के आधार पर होती है। इस क्रिया के द्वारा हमें अंदर से ऊर्जा व प्रेरणा मिलती है, कि हम किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित हो जाते है।

जैसे कि- ‘यदि हमें परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करनी है तो हमारी प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया हमें अच्छी तरह से पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकती है’।

अन्य शब्दों में कहे, तो वैसी प्रेरणार्थक क्रियाएँ जिसमें कोई कर्ता प्रेरक बन कर किसी को प्रेरणा देता है, कोई कार्य करने के लिए तब उसे प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता है। यह क्रियाएं सदैव सकर्मक होती है। 

उदाहरण के लिए –

  • माँ मुझे पढ़ने के लिए डांटती है।
  • सर्कस में शेर खेल दिखाता है।
  • गीता श्याम से कपड़े धुलवाती है।
  • पिताजी बच्चों को भोजन खिलाते हैं।
  • जानकी सभी के भजन सुनाती है।

द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया

यह क्रिया हमें वास्तविक कार्य को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। यह क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया के बाद आती है और हमें कार्य को प्रारंभ करने या समाप्त करने के लिए उत्साहित करती है।

अन्य शब्दों में कहें तो ऐसे प्रेरणार्थक क्रिया जिनमें करता स्वयं कार्य मना करते हुए केवल दूसरों को काम करने की प्रेरणा दे उन्हें द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता है।

उदाहरण के लिए –

  • शिक्षक कक्षा में बच्चों से  पाठ पढ़ावाती है।
  • राधा श्याम से पत्र लिखवाती है।
  • मोहन गीता से फर्स धुलवाता है।
  • दिया आज भोजन में अच्छी सब्जी बनवाना।
  • कल रूद्र के साथ कॉलेज चल जाना।

प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के कुछ नियम

हिंदी व्याकरण में प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों को ध्यान में रखने से प्रेरणार्थक क्रिया बनाना और भी आसान हो जाता है।

ध्यान रहें  मूल धातुओं या मूल शब्दों के आखिर में ‘वाना और आना’ जैसे शब्द जोड़कर प्रेरणार्थक क्रिया बनाई जा सकती है। ध्यान रहे, जब आप शब्द के अंत में आना शब्द जोड़ते है, तब वह प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया बनती है। और वहीं दूसरी ओर जब आप शब्दों के आखिर में वाना शब्द जोड़ते हैं, तो वह द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया बन जाती है –

मुल शब्दप्रथम प्रेरणार्थक क्रियाद्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया
खिलखिलानाखिलवाना
बढ़बढ़ानाबढ़वाना
पकपकानापकवाना
उठउठानाउठवाना
खरीखरीदनाखरीदवाना
पढ़पढ़ानापढ़वाना
समझसमझानासमझवाना
जीतजितनाजीतवाना
तैरतैरनातैरवाना
लिखलिखनालिखवाना
चलचलनाचलवाना
रूलरुलानारुलवाना
डूबडूबनाडूबवाना
जगजगानाजगवाना

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने जाना कि प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं (Prernarthak Kriya kise kahte hai) तथा प्रेरणार्थक क्रिया कितने प्रकार के होते हैं साथ ही साथ हमने यहां प्रेरणार्थक क्रिया में कितने कर्ता होते हैं और प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण के बारे में भी बात की है।

उम्मीद करते हैं की यहां प्रेरणार्थक क्रिया से संबंधित दी गई जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गई होगी।  लेकिन उसके बावजूद यदि आप इस विषय से संबंधित कोई अन्य प्रश्न जानना चाहते हैं,  तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप हमें अपने प्रश्न जरूर बताएं। अंत में आपसे निवेदन है, कि यदि आपको यह लेख पसंद आया हो, तो इसे अन्य लोगों के साथ अवश्य शेयर करें।

FAQ

प्रेरणार्थक क्रिया क्या है?

ऐसी क्रियाएं जिनसे इस बात का ज्ञात होता है, कि कर्ता स्वयं कार्य ना करके किसी अन्य से कार्य करवाएं या कार्य करने की प्रेरणा दें, उन्हें प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।

प्रेरणार्थक क्रिया कितने प्रकार के होते हैं?

प्रेरणार्थक क्रिया दो प्रकार के होते हैं, प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया और द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया।

प्रेरणार्थक क्रिया में कितने कर्ता होते हैं?

प्रतिक्रिया में मुख्यतः दो कर्ता होते हैं- प्रेरित कर्ता और प्रेरित कर्ता।

प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण क्या है?

प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण है -राधा श्याम से पत्र लिखवाती है, माँ ने शालू से चाई बनवाई, पिताजी बच्चों को भोजन खिलाते हैं।

प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया क्या है?

वैसी प्रेरणार्थक क्रियाएँ जिसमें कोई कर्ता प्रेरक बन कर किसी को प्रेरणा देता है, कोई कार्य करने के लिए उसे प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता है।

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