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Sajatiya Kriya
आज के इस लेख में हम ‘सजातीय क्रिया (Sajatiya Kriya) की परिभाषा एवं उदाहरण’ के बारे में विस्तार पूर्वक बात करने वाले हैं। दरअसल सजातीय क्रिया, क्रिया का ही एक प्रकार है। जिससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है।
इसलिए अभ्यर्थियों को क्रिया के प्रत्येक भेदों के बारे में अवगत होना अति आवश्यक है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए आज हम यहां सजातीय क्रिया किसे कहते हैं, सजातीय क्रिया का उपयोग कहाँ किया जाता है तथा सजातीय क्रिया के उदाहरण क्या है?
आदि के बारे में चर्चा करने वाले है। तो चलिए फिर बिना देर किए इस लेख को शुरू करते हैं –
सजातीय क्रिया क्या होती हैं | Sajatiya Kriya Kya Hoti Hai
सजातीय क्रियाएं एक प्रकार की व्याकरणिक अवधारणा है, जिनका इस्तेमाल हिंदी भाषा में शब्दों और वाक्यों की सुंदरता और उन्हें समझने में मदद के लिए किया जाता है।
जब किसी वाक्य में कोई क्रिया होती है, तो वह क्रिया एक काम की क्रिया होती है जो किसी क्रिया परिप्रेक्ष्य को पूर्ण करने में सहायता करती है। इसी प्रकार, किसी क्रिया परिप्रेक्ष्य की श्रेणी भी होती है, जिसे हम ‘कर्म’ कहते हैं।
सजातीय क्रियाएं तब उत्पन्न होती है, जब क्रिया परिप्रेक्ष्य और कर्म यानी क्रिया और उसका परिप्रेक्ष्य एक ही धातु से बने होते हैं।
उदाहरण के लिए –
‘खाना खाया’ एक सजातीय क्रिया है। जिसमें ‘खा’ धातु का परिप्रेक्ष्य होता है और ‘खाना’ क्रिया का कर्म होता है। दोनों शब्द एक ही धातु यानी ‘खा’ से बने होते हैं और दोनों का अर्थ भी एक ही होता है, जिसमें खाने की क्रिया का परिप्रेक्ष्य होता है।
सजातीय क्रिया की परिभाषा क्या है | Sajatiya Kriya Ki Paribhasha
ऐसे वाक्य जिनमे एक ही धातु से कर्म और क्रिया पद बने हो, तो वह सजातीय क्रिया कहलाते हैं। इसके अंतर्गत वाक्य में इस्तेमाल किए गए कर्म को सजातीय कर्म कहा जाता है तथा वाक्य में इस्तेमाल क्रिया को सजातीय क्रिया कहते हैं।
जैसा कि आपको पता है, किसी भी वाक्य में प्रायः क्रिया कर्म तथा कर्ता शामिल होते हैं। जहाँ वाक्य में मौजूद कर्म तथा कर्ता प्रायः संज्ञा और सर्वनाम शब्द होते हैं और वहीं दूसरी ओर क्रिया प्रायः किसी भी अन्य धातु से बनी होती है।
लेकिन सजातीय क्रिया के अंतर्गत वाक्य में कर्म तथा कर्ता संज्ञा या सर्वनाम शब्द नहीं होते हैं बल्कि वह क्रिया की तरह किसी भी अन्य धातु से बने होते हैं।
जैसे की –
- प्रियांशु ने अच्छी चाल चली।
ऊपर दिए गए वाक्य में ‘चाल’ कर्म है, जो की ‘चल’ धातु से बनी गया है और वहीं दूसरी ओर ‘चली’ शब्द क्रिया है, जो की ‘चल’ धातु से ही बनी है। इस तरह कह सकते हैं कि इस वाक्य में कर्म और क्रिया दोनों एक ही धातु से बनी हुई है।
- उज्ज्वल ने ऊंची चढ़ाई चढ़ी।
ऊपर दिए वाक्य में ‘चढ़ाई’ शब्द कर्म है, जो की ‘चढ़’ धातु से बनी है। वही ‘चढ़ी’ शब्द क्रिया है, लेकिन वह भी ‘चढ़’ धातु से ही बनी है। इस तरह कह सकते हैं, कि ऊपर दिए गए वाक्य में कर्म और क्रिया दोनों एक ही धातु से बने हैं अर्थात यह सजातीय क्रिया है।
सजातीय क्रिया के उदहारण क्या है
यहां नीचे हम सजातीय क्रिया के कुछ उदाहरण बता रहे हैं, जिनके जरिए आप और अच्छी तरह से समझ जाएंगे की सजातीय क्रिया क्या है। तो आईए देखते हैं, सजातीय क्रिया के उदाहरण क्या है –
- सुजाता नहीं खेल खेला।
- मीनाक्षी ने शतरंज पर अच्छी चाल चली।
- बॉर्डर पर सेनानियों ने लड़ाई लड़ी।
- पिताजी ने राम को अच्छी मार मारी।
- गरिमा बहुत अनोखी बोली बोलती है।
- विद्या ने ऊंची पर्वत पर चढ़ाई चढ़ी।
- विनय ने देख दिखा कर बात खत्म की।
- सुलेखा ने सीमा को खाना खिलाई।
- शिक्षक ने प्रेरणा को अच्छी सीख सिखाई।
- रानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध के मैदान में डटकर लड़ाई लड़ी।
- राधा मधुर गाना गति है।
- प्याली को सुनी सुनाई बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
- मीणा के घर वाले बहुत सीधे-साधे लोग हैं।
सजातीय क्रिया प्रयोग वाक्य में कहाँ किया जाता है
सजातीय क्रियाएं वाक्य रचना में प्रयोग किया जाता है। विशेष रूप से जब हम भाषा को सुंदर और सहज बनाने की कोशिश करते हैं। यह वाक्य की संरचना में सुधार करता है और भाषा को मधुर बनाने में मदद करता है।
सजातीय क्रियाएं वाक्य के अंतर्गत क्रिया परिप्रेक्ष्य और कर्म के बीच एकता प्रदान करने के लिए प्रयुक्त होती है। यह वाक्यों की सुंदरता बढ़ाने का एक तरीका होता है और साथ ही साथ यह वाक्यों को सरल और सहज भी बनाता है।
उदाहरण के लिए –
‘राम गाना गाता है’
इस वाक्य में गाना एक सजातीय क्रिया है। यहाँ पर ‘गाना’ शब्द में ‘गा’ क्रिया परिप्रेक्ष्य और ‘गाना’ क्रिया का कर्म है, और दोनों शब्द एक ही धातु यानी ‘गा’ से बने हैं।
सजातीय क्रियाएं अक्सर कविताओं, गीतों, कहानी और शास्त्रीय भाषा में ज्यादा पाई जाती है। जहाँ भाषा की छवि और व्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उपयोग होता है।
निष्कर्ष
आज का यह लेख सजातीय क्रिया (Sajatiya Kriya) की परिभाषा एवं उदाहरण यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस लेख में हमने जाना कि सजातीय क्रिया क्या होती है तथा सजातीय क्रिया की परिभाषा क्या है, और सजातीय शब्द के उदाहरण क्या है।
उम्मीद करते हैं, यहां दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी हो और इससे काफी कुछ नया सीखने और समझने को भी मिला हो।
लेकिन इसके बावजूद यदि आपको सजातीय क्रिया से संबंधित कोई प्रश्न पूछना है या और अधिक जानकारी चाहिए, तो आप नीचे कमेंट के माध्यम से अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं।
लेकिन यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे जितना हो सके उतना अधिक शेयर करें।
FAQ
सजातीय क्रिया का अर्थ क्या है?
ऐसे वाक्य जिनमे एक ही धातु से कर्म और क्रिया पद बने हो, तो वह सजातीय क्रिया कहलाते हैं।
सजातीय क्रिया के उदाहरण क्या है
सजातीय क्रिया के उदाहरण है- मीनाक्षी ने शतरंज पर अच्छी चाल चली, बॉर्डर पर सेनानियों ने लड़ाई लड़ी, पिताजी ने राम को अच्छी मार मारी।
सजातीय क्रिया प्रयोग वाक्य में कहाँ किया जाता है?
सजातीय क्रियाएं वाक्य के अंतर्गत क्रिया परिप्रेक्ष्य और कर्म के बीच एकता प्रदान करने के लिए प्रयुक्त होती है।