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Hindi Vyanjan
इस लेख में हम हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan), परिभाषा, भेद और सम्पूर्ण वर्गीकरण से संबंधित बात करेंगे। व्यंजन हिन्दी व्याकरण का पहला और सबसे महत्वपूर्ण विषय है।
हिंदी वर्णमाला में वर्णों की कुल संख्या 52 है, जिसमें कुछ वर्ण स्वर के अंतर्गत आते हैं, तो कुछ व्यंजन के अंतर्गत। इन वर्णों को उनके उच्चारण प्रक्रिया के आधार पर स्वर और व्यंजन भागों में बांटा जाता है।
तो चलिए बिना देर किए इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं व्यंजन किसे कहते हैं, व्यंजन के कितने भेद हैं तथा व्यंजन की संख्या कितनी है
हिंदी व्यंजन किसे कहते हैं | Hindi Vyanjan Kise Kehete Hai
हिंदी व्याकरण में, व्यंजन को अंग्रेजी में Consonant को कहा जाता है तथा Hindi भाषा में व्यंजन, वर्णों को कहते हैं। ये वर्ण विविध ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें आवाज की विभिन्न गतियाँ शामिल होती हैं, और इनका प्रयोग विशेष ध्वनियों और शब्दों के निर्माण में होता है।
व्यंजनों का उच्चारण आवाज के वायुमार्ग को बाधित करने वाले विभिन्न अंगांगों के साथ किया जाता है, जैसे कि होंठ, जीभ, गले आदि।
विस्तार से यदि कहें तो हिंदी वर्णमाला में दो प्रकार के वर्ण होते हैं स्वर और व्यंजन। जब हम बोलते हैं, तो हमारी आवाज कई प्रकार की ध्वनियों को बनती है और इन ध्वनियों के आधार पर हम वर्णों को दो श्रेणियां में विभाजित करते हैं – स्वर और व्यंजन।
व्यंजन वर्ण ऐसे वर्ण होते हैं, जिनका उच्चारण करने के लिए आवाज को वायु मार्ग में रोका जाता है और फिर उसे जारी किया जाता है।
जब हम व्यंजन वर्णों को स्वरों के साथ मिलते हैं, तब शब्द का निर्माण होता है। व्यंजन वर्ण हिंदी भाषा में विशेष ध्वनियों के प्रतिनिधित्व करते हैं और शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हिंदी व्यंजन की परिभाषा क्या है | Hindi Vyanjan Ki Paribhasha Kya Hai
सरल शब्दों में कहें, तो हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से नहीं हो पता है, वह व्यंजन कहलाते हैं यानी की इन वर्णों का उच्चारण करने के लिए स्वरों की आवश्यकता पड़ती है।
दूसरे शब्दों में कहे तो जिन वर्णों का उच्चारण बिना स्वर की मदद लिए नहीं किया जा सकता, वे व्यंजन कहलाते हैं। हिंदी वर्णमाला में ऐसे 33 वर्ण है यानी की हिंदी वर्णमाला में कुल 33 व्यंजन है |
व्यंजन के कितने भेद होते हैं (व्यंजनों का वर्गीकरण)
व्यंजनों के कई भेद हैं, जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से बात करेंगे। लेकिन आपको बता दे की हिंदी व्यंजनों को वर्गीकृत करने का आधार अलग-अलग होता है।
जी हाँ हिंदी व्यंजनों को हमारे मुख के विभिन्न अवयवो को स्पर्श करना तथा मुख से निकलने वाले स्वर आदि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है जैसे की –
- उच्चारण के स्थान के आधार पर
- अध्ययन के आधार पर
- उच्चारण के आधार पर
- श्वास के आधार पर के आधार पर
- स्वर तंत्रिकाओं के आधार पर
उच्चारण के स्थान के आधार पर
उच्चारण के स्थान के आधार पर हिंदी में व्यंजनों को सात भागों में बांटा गया है। उच्चारण के स्थान का मतलब है, कि वर्णों के उच्चारण के दौरान मुख के विभिन्न हिस्सों या अंगों का प्रयोग होना। जैसे – कंठ, नासिक, तालु, दांत आदि।
उच्चारण के स्थान के आधार पर हिंदी व्यंजनों के साथ भेद इस तरह है –
Sr. No. | व्यंजनों के भेद | व्यंजन का उच्चारण स्थान | व्यंजन |
---|---|---|---|
1 | कण्ठ्य व्यंजन | कंठ | क, ख, ग, घ और ङ |
2 | तालव्य व्यंजन | तालु | च , छ , ज, झ, ञ, श और य |
3 | मूर्धन्य व्यंजन | मूर्धा | ट , ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़, र और ष |
4 | दन्त्य व्यंजन | दन्त | त, थ, द, ध, न, ल और स |
5 | ओष्ठ्य व्यंजन | ओष्ठ | प, फ, ब, भ और म |
6 | दंतोष्ठ्य व्यंजन | दन्त औरओष्ठ | व |
7 | अलिजिह्वा व्यंजन | स्वर यंत्र | ह |
अध्ययन के आधार पर
अध्ययन के आधार पर यानी अध्ययन में आसानी और सुगमता के आधार पर व्यंजनों को हिंदी व्याकरण के अनुसार तीन भागों में बांटा गया है। जैसे की –
- स्पर्शी व्यंजन
- उष्म व्यंजन
- अन्तः स्थ व्यंजन
स्पर्शी व्यंजन
स्पर्शी व्यंजन के अंतर्गत शामिल होते हैं –
- क – वर्ग ( क, ख, ग, घ, ङ)
- च – वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ)
- ट – वर्ग ( ट, ठ, ड, ढ, ण)
- त – वर्ग ( त, थ, द, ध, न)
- प – वर्ग ( प, फ ब, भ, म)
उष्म व्यंजन
उष्म व्यंजन के अंतर्गत शामिल होते हैं –
- य, र, ल और व
अन्तः स्थ व्यंजन
अन्तः स्थ व्यंजन के अंतर्गत शामिल होते हैं –
- श, ष, स, और ह
उच्चारण के आधार पर
उच्चारण के आधार पर हिंदी व्याकरण में वर्णों को 8 भागों में बांटा गया है। क्योंकि इसके अंतर्गत वर्णों के उच्चारण के दौरान मुख में प्राणवायु, जीभ और होंठ की स्थिति आदि को ध्यान में रखना पड़ता है। जैसे की –
- स्पर्श व्यंजन
- संघर्षी व्यंजन
- स्पर्श संघर्षी व्यंजन
- नासिक्य व्यंजन
- पार्श्विक व्यंजन
- प्रकल्पित व्यंजन
- उत्क्षिप्त व्यंजन
- संघर्षहीन संघर्ष
स्पर्श व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय मुख के भीतर जीभ तालु या मुख के ऊपरी हिस्से को स्पर्श करें तो उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। स्पर्श व्यंजन के भीतर हिंदी वर्णमाला के चार वर्णों के वर्ग शामिल होते हैं। जिनमें – क – वर्ग, ट – वर्ग, त – वर्ग, प – वर्ग शामिल है।
- क – वर्ग ( क, ख, ग, घ, ङ)
- ट – वर्ग ( ट, ठ, ड, ढ, ण)
- त – वर्ग ( त, थ, द, ध, न)
- प – वर्ग ( प, फ ब, भ, म)
इस तरह हिंदी वर्णमाला में स्पर्श व्यंजन की कुल संख्या 16 होती है।
संघर्षी व्यंजन
हिंदी वर्णमाला के ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु मुख से संघर्ष या घर्षण करते हुए बाहर निकले, तो उन्हें संघर्षी व्यंजन कहा जाता है। संघर्षी व्यंजन के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के चार वर्णों को शामिल किया गया है। जिनमें –
- श, ष, स, ह शामिल है।
विदेशी भाषाओं जैसे अरबी और फारसी आदि से भी कुछ वर्णों या ध्वनियों को संघर्षी व्यंजन माना जाता है। जैसे की –
- क़, ख़, ग़,ज़, फ़
दरअसल ऐसा इसलिए माना जाता है, क्योंकि इनके उच्चारण के दौरान भी प्राणवायु मुख से संघर्ष करते हुए बाहर निकलती है।
स्पर्श संघर्षी व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय प्राण वायु मुख के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष करते हुए बाहर की ओर आती हो उसे स्पष्ट संघर्षी व्यंजन कहा जाता है। स्पर्श संघर्षी व्यंजन के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के चार वर्णों को शामिल किया गया है जिनमें –
- च, छ, ज, झ वर्ण शामिल है।
नासिक्य व्यंजन
हिंदी वर्णमाला के ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण प्रायः नाक के माध्यम से होता हो यानी कि इन वर्णों के उच्चारण के दौरान प्राण वायु ज्यादातर नाक के जरिए बाहर की ओर निकले, तो उन्हें नासिक के व्यंजन (नासिक्य व्यंजन)कहा जाता है।
नासिक के व्यंजन के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के पाँच वर्णों को शामिल किया गया है अर्थात नासिक की व्यंजन की संख्या 5 होती है। इन व्यंजन को अनुनासिक व्यंजन के नाम से भी जाना जाता है। जैसे कि –
- ङ, ञ, न, म
पार्श्विक व्यंजन
हिंदी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु जीव के दोनों हिस्सों या भागो से निकल जाए उन्हें पार्श्विक व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार पार्श्विक व्यंजनों की कुल संख्या मात्र एक है। जैसे की –
- ल
प्रकम्पित व्यंजन
प्रकम्पित व्यंजन के अंतर्गत ऐसे वर्णों को शामिल किया गया है, जिनके उच्चारण के दौरान जीभ में दो या उनसे अधिक बार कंपन होती है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार प्रकम्पित व्यंजनों की संख्या भी मात्र एक है, जिन्हें लुंठित व्यंजन के नाम से भी जाना जाता है। जैसे की –
- र
उत्क्षिप्त व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के दौरान जीभ के आगे का हिस्सा झटके से नीचे की ओर गिरता हो, वह उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाते हैं। हिंदी वर्णमाला के अनुसार उत्क्षिप्त व्यंजनों की कुल संख्या दो होती है। जैसे की –
- ड़ और ढ
संघर्षहीन संघर्ष
हिंदी वर्णमाला के ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु बिना किसी संघर्ष या घर्षण के मुख से बाहर की ओर निकले तो उन्हें संघर्षहीन व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में संघर्षहीन व्यंजनों की कुल संख्या दो है। जैसे कि –
- त और व
श्वास के आधार पर के आधार पर
हिंदी व्याकरण के अनुसार श्वास के आधार पर व्यंजनों के दो प्रकार होते हैं। जैसे कि –
- अल्पप्राण व्यंजन
- महाप्राण व्यंजन
अल्पप्राण व्यंजन
अल्प्राण व्यंजनों के अंतर्गत ऐसे वर्ण शामिल होते हैं, जिनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु की कम मात्रा का इस्तेमाल किया जाता है। अल्प्राण व्यंजन के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के 18 वर्णों को शामिल किया गया है। जिनमें हिंदी वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण वर्गों का पहला, तीसरा और पांचवा वर्ण शामिल होता है।
जैसे –
- क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, ल, श, ष, ह, त्र
इसके अलावा य्, र्, ल्, व् वर्ण भी अल्प्राण व्यंजन के अंतर्गत आते हैं।
महाप्राण व्यंजन
महाप्राण व्यंजनों के अंतर्गत ऐसे वर्ण शामिल होते हैं, जिनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु की अधिक मात्रा का इस्तेमाल किया जाता है। महाप्राण व्यंजन में हिंदी वर्णमाला के कुल 14 वर्ण शामिल है। जिनमें वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण वर्ग के दूसरे और चौथे व्यंजन को शामिल किया गया है।
जैसे की –
- ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ, श, ष, स, ह
स्वर तंत्रिकाओं के आधार पर
हिंदी व्याकरण के अनुसार स्वतंत्रताओं के आधार पर हिंदी व्यंजनों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है जैसे –
- घोष व्यंजन
- अघोष व्यंजन
घोष व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के दौरान स्वर तंत्रिका में कंपन उत्पन्न होती है, उन्हें घोष व्यंजन या सघोष व्यंजन कहा जाता है। घोष व्यंजन में प्रायः वर्णों के उच्चारण करते समय गले की स्वतंत्रता में कंपन होता है।
सघोष व्यंजन के के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के कुल 20 वर्ण शामिल होते हैं जिनमें प्रत्येक वर्ण वर्ग के तीसरे चौथे और पांचवें व्यंजन वर्णों को घोष व्यंजन कहते हैं। जैसे की –
ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह
अघोष व्यंजन
ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण के दौरान स्वर तंत्रिका में कंपन उत्पन्न नहीं होता है, उन्हें अघोष व्यंजन कहा जाता है। अघोष व्यंजन के अंतर्गत प्रत्येक वर्ण वर्ग का पहला और दूसरा व्यंजन अघोष व्यंजन कहलाता है। जैसे की –
क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ तथा श, ष, स
निष्कर्ष
आज का यह लेख ‘हिंदी व्यंजन (Hindi Vyanjan), परिभाषा, भेद और सम्पूर्ण वर्गीकरण’ यही पर समाप्त होता है। आज के इस लेख में हमने जाना कि व्यंजन किसे कहते हैं, हिंदी में कुल कितने व्यंजन होते है, व्यंजनों के वर्गीकरण का क्या आधार है तथा उच्चारण के आधार पर व्यंजनों के कितने भेद हैं?
उम्मीद करते हैं, हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी और इस लेख के माध्यम से आपको काफी कुछ नया सीखने और समझने को मिला होगा।
लेकिन उसके बावजूद यदि आपको इस विषय से संबंधित और अधिक जानकारी चाहिए या कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं।
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FAQ
कूल व्यंजन कितने होते हैं?
हिंदी भाषा में कल 33 व्यंजन होते हैं।
व्यंजनों का वर्गीकरण किसके आधार पर किया जाता है?
व्यंजनों का वर्गीकरण उच्चारण के आधार, स्वतंत्र्यों की स्थिति, प्राणवायु के आधार तथा अध्ययन की सरलता के आधार पर किया जाता है।
व्यंजन किसे कहते हैं?
जिन वर्णों का उच्चारण बिना स्वर की मदद लिए नहीं किया जा सकता, वे व्यंजन कहलाते हैं।
उच्चारण के आधार पर व्यंजनों के कितने भेद हैं?
उच्चारण के आधार पर व्यंजनों के कुल आठ भेद हैं – स्पर्श व्यंजन, संघर्षी व्यंजन, स्पर्श संघर्षी व्यंजन, नासिक्य व्यंजन, पार्श्विक व्यंजन, प्रकल्पित व्यंजन, उत्क्षिप्त व्यंजन, संघर्षहीन संघर्ष हैं।
नासिक के व्यंजन की संख्या कितनी है?
हिंदी में नासिक के व्यंजनों की कुल संख्या 5 है।