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Samuchaya Bodhak Avyay
आज के इस लेख में हम समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchaya Bodhak Avyay) क्या है, के बारे में विस्तार पूर्वक बात करने वाले हैं। दरअसल समुच्चयबोधक अव्यय, अव्यय का ही एक प्रकार है।
यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसके बारे में प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए इस विषय से संबंधित विस्तार पूर्वक जानकारी प्रत्येक अभ्यर्थी को होना अति आवश्यक है।
तो चलिए फिर बिना देर किए इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं समुच्चयबोधक अव्यय किसे कहते हैं, समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchaya Bodhak Avyay) कितने प्रकार के होते हैं तथा समुच्चयबोधक अव्यय के उदहारण क्या है –
समुच्चयबोधक अव्यय किसे कहते हैं
समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchaya Bodhak Avyay) वे शब्द होते हैं, जिनका इस्तेमाल वाक्य के अन्य शब्दों के समूह को बिना किसी कारक के समुच्चय का बोध कराने के लिए किया जाता है। जैसे की बिल्कुल, बहुत ही, जरूर, कभी-कभी आदि समुच्चयबोधक के उदाहरण हैं। खास तौर पर ऐसे शब्द विशेष भाषा तंत्र के तहत आते हैं और वाक्य में उनका योगदान अर्थ पूर्णता को बढ़ाता है।
समुच्चयबोधक अव्यय की परिभाषा क्या है
ऐसे शब्द जिनके माध्यम से किसी वाक्य वाक्यांश या शब्दों को आपस में जोड़ा जाए वह समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं। अन्य शब्दों में कहें तो जिन पद अव्यय या शब्दों के जरिए एक या उनसे अधिक वाक्य वाक्यांश तथा शब्दों को परस्पर जोड़ा जाए उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchaya Bodhak Avyay) कहते हैं।
समुच्चयबोधक अव्यय के अंतर्गत निम्न शब्द आते हैं।
जैसे की –
और, एवं, तथा, अन्यथा, बल्कि, ताकि, क्योंकि, किंतु, परंतु, तब, इसलिए, अथवा, या, चूंकि फिर भी
समुच्चयबोधक अव्यय 20 उदाहरण क्या है
यहां नीचे हम समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchaya Bodhak Avyay) के कुछ उदाहरण बता रहे हैं, जिनके माध्यम से आपको समुच्चयबोधक अव्यय क्या होता है अच्छी तरह से समझ आ जाएगा। तो आईए जानते हैं, समुच्चयबोधक अव्यय के उदाहरण क्या है –
- राम और सीता विद्यालय जा रही है।
- रास्ते से केला सेब संतरा एवं अमरुद लेते आना।
- तुम्हें तो आना चाहिए बल्कि साथ में तुम्हारे भाई को भी लाना चाहिए।
- मैं ने विजय को बहुत समझाया लेकिन विजय कहां समझने वाला है।
- मनोज ने बहुत परिश्रम किया फिर भी वह सफल रहा हुआ।
- क्रिकेट या फुटबॉल दोनों में से किसी एक को ही चुने।
- परीक्षा में अच्छे अंक लाने हैं तो तुम्हें पढ़ना ही होगा।
- तुम अंजलि को समझा देना ताकि अगली बार यह गलती दोबारा ना हो।
- आज मीनाक्षी को शिक्षक से बहुत डांट पड़ी क्योंकि उसने घर का काम नहीं किया था।
- रानी बहुत तेज दौड़ती है लेकिन रेस में जीत नहीं सकीं।
- उसने जिंदगी में बहुत पैसा कमाया परंतु उसे संभाल नहीं सका।
- तुम लोग जाना चाहते हो तो चले जाओ किंतु मैं नहीं जाऊंगा।
- आज खाना में चावल तथा आलू की सब्जी बनी है
- तुम नहीं जाओगे तो मैं स्वयं चला जाऊंगा।
- अमीर होने से क्या हुआ, है तो फिर भी वह कंजूस
- वह व्यक्ति ईमानदार है इसलिए मैं उसे पर यकीन करता हूं।
- यदि वह मुझे बुलाता तो मैं अवश्य ही जाता।
- राम और श्याम दोनों बहुत अच्छे मित्र हैं।
- तब की बात कुछ थी लेकिन अब जमाना बदल गया है।
- चूँकि तुम मुझसे छोटे हो इसलिए तुम्हें मेरी बात सुनाई पड़ेगी।
समुच्चयबोधक अव्यय कितने प्रकार के होते हैं
हिंदी व्याकरण के अनुसार समुच्चयबोधक अव्यय के मुख्ता दो प्रकार होते हैं।
जैसे की –
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय (Coordinate Conjunction)
- व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय (Subordinate Conjunction)
समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय (Coordinate Conjunction)
ऐसे पद या अव्यय जिनका प्रयोग मुख्य रूप से वाक्य को जोड़ने के लिए किया जाता है, वह समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं। सरल भाषा में कहे, तो वाक्य में इस्तेमाल हुए ऐसे शब्द जैसे ‘और’ आते हैं, तो उन वाक्य को समानाधिकरण समुच्चय बोधक अव्य कहते हैं या वे समानाधिकरण समुच्चयबोधक होते है।
हिंदी व्याकरण के अनुसार समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय के भी मुख्ता चार प्रकार होते हैं। जैसे की –
- संयोजक
- विभाजन
- विरोध सूचक या दर्शक
- परिणाम सूचक या दर्शक
संयोजक
इसके अंतर्गत ऐसे शब्द आते हैं, जिनका इस्तेमाल दो या उनसे अधिक वाक्य को जोड़ने के लिए किया जाता है। अन्य शब्दों में कहे तो ऐसे वाक्य, वाक्यांश या शब्द जो किन्ही अन्य शब्दों के ज़रिए आपस में जुड़ते हैं वह संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।
संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत निम्न शब्द आते हैं। जैसे की –
‘और, तथा, एवं, व’
उदाहरण के लिए –
- तुम और सीता खेलने कब जा रहे हो?
- प्रतिष्ठा एवं संगीत बहुत अच्छी दोस्त हैं।
- बाजार से आलू, प्याज, टमाटर एवं धनिया लेते आना।
- विद्यालय की सभी शिक्षक तथा प्रधानाध्यापिका स्वतंत्रता दिवस की तैयारी में लगे हुए हैं।
- सेब व संतरा दोनों ही शरीर के लिए लाभदायक होते हैं।
- अजीत और स्नेह भोजन का आनंद ले रहे हैं।
विभाजक
इसके अंतर्गत ऐसे शब्द आते हैं, जिनके इस्तेमाल से वाक्य में विभाजन होता है। सामान्य शब्दों में कहे, तो ऐसे वाक्य, वाक्यांश तथा शब्द जिन्हें परस्पर विभाजन के लिए जिन शब्दों का प्रयोग होता है, वह विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।
विभाजक समाधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत निम्न शब्द आते हैं। जैसे की –
चाहे, परंतु, अथवा, अन्यथा, ताकि नहीं तो, या, वा, ना कि, किंवा, क्या-क्या, न-न, तो, मगर, अपितु।
उदाहरण के लिए –
- क्या लड़का क्या लड़की आज के समय में सब बराबर है।
- दिल लगा कर कम करो ताकि सफलता के शिखर पर पहुंच सको।
- मीना तो आई परंतु दीक्षा चली गई।
- राम चलेगा तो मैं भी चलूंगा।
- तुम यहां से जाओगे नहीं तो मैं चला जाऊंगा।
- अंगूर या कला दोनों में एक ही चीज लो।
विरोध सूचक या दर्शक
जो शब्दों या कथनों से दो या दो से अधिक विरोध करने वाले वाक्य को परस्पर जोड़ने का कार्य किया जाता है वह विरोध सूचक सामानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं। सरल शब्दों में कहे, तो ऐसे शब्द या वाक्य जिनसे विरोध का पता चले तथा उन वाक्य को जोड़ने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग हो वह विरोध सूचक या विरोध दर्शक कहलाते हैं।
विरोध सूचक या विरोध वाचक समुच्चयबोधक समानाधिकरण के अंतर्गत निम्न शब्दों शामिल होते हैं। जैसे की –
किंतु, परंतु, बल्कि, लेकिन, पर
उदाहरण के लिए –
- सही गलत तो तुम जानो पर मेरे मन में जो बात आई वह मैंने कह दी।
- राम ने श्याम को रोका था परंतु श्याम कहां रुकने वाला है।
- मीनाक्षी विद्यालय से समय पर निकल गई थी लेकिन अब तक घर नहीं पहुंची।
- तुम क्या जा रहे हो बल्कि मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ
- ठीक है किंतु ऐसा नहीं होना चाहिए था।
परिणाम सूचक या दर्शक
ऐसे शब्द जो दो वाक्य को आपस में जोड़कर परिणाम दर्शाते हो, वे परिणाम सूचक सामान अधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।
परिणाम सूचक समान अधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत निम्न शब्दों शामिल होते हैं। जैसे की –
इसलिए, फलस्वरुप, फलतः, इस कारण, अतः, अन्यथा, परिणाम स्वरूप
उदाहरण के लिए –
- राम मुझे तुम्हारी मदद चाहिए इसलिए मैं इस समय यहां आया हूं।
- यह तुमने क्या किया इसी कारण तो ऐसा हो रहा है।
- तुम्हें अभी कड़ी मेहनत करनी चाहिए अन्यथा तुम परीक्षा में फेल हो जाओगे।
- मैं पढ़ाई में कमजोर हूं अतः मुझे तुम्हारी नोट्स की आवश्यकता है।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय (Subordinate Conjunction)
ऐसे शब्द जिनके माध्यम से वाक्य वाक्यांश या शब्दों के प्रधान से आश्रित उपवाकियों को आपस में जोड़ने का कार्य करते हैं उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहा जाता है।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक के मुख्ता चार भेद होते हैं जैसे की –
- कारण सूचक
- संकेत सूचक
- उद्देश्य सूचक
- स्वरूप सूचक
कारण सूचक
ऐसे शब्द जिनके जरिए एक वाक्य दूसरे वाक्य का समर्थन करें वह कारण सूचक कहलाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो जिन शब्दों से दो वाक्य जोड़ते हैं जिनके जुड़ने से यह स्पष्ट होता है, कि वह दोनों वाक्य एक दूसरे से किसी कारण के तहत जुड़े हो तो वह कारण सूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।
कारण सूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत निम्न शब्द आते हैं। जैसे की –
ताकि, चूँकि, इसलिए
उदाहरण के लिए –
- तुम्हें या नहीं आना चाहिए था क्योंकि यहाँ तुम्हारी किसी को जरूरत नहीं।
- राम के पास पैसे नहीं है इसलिए वह फिलहाल कुछ खरीद नहीं सकता।
- आज मीनाक्षी स्कूल नहीं आएगी क्योंकि वह बहुत बीमार है।
- चूँकि उसे परीक्षा में अच्छे अंक आए हैं इसलिए उसे इस प्रतियोगिता में भाग जरूर लेनी चाहिए।
संकेत सूचक
ऐसे शब्द जिनका प्रयोग करते हुए दो वाक्य या वाक्यांशों को वापस में जोड़ा जाए और जिसे किसी घटना या किसी उत्तर का बोध तो वह संकेत सूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक कहा जाता है।
संकेत सूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत निम्न शब्द आते हैं। जैसे की –
यद्यपि, तथापि, यदि, तो, परंतु
उदाहरण के लिए –
- भविष्य में कुछ बनना चाहते हो तो रोजाना विद्यालय जाना चाहिए।
- अगर वह काम नहीं कर पाया तथापि वह वापस आ जाएगा।
- तुम वहां गए और यदि वह नहीं आया फिर तुम क्या करोगे
- ठीक है तुम जाओ परंतु घर जल्दी वापस आना।
उद्देश्य सूचक
जिन शब्दों का प्रयोग करते हुए किसी दो वाक्य या वाक्यांश को जोड़ा जाए और उनके जुड़ने से किसी उद्देश्य का स्पष्टीकरण हो, तो वह उद्देश्य सूचक कहलाता है। उद्देश्य सूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत निम्न शब्द आते हैं। जैसे की –
ताकि, जो की, इसलिए, जिससे
उदाहरण के लिए –
- राम मीनाक्षी के पास गया ताकि वह भी संगीत में महारत हासिल कर सके।
- अच्छे कार्य करो जिससे भविष्य में सफलता प्राप्त हो।
- श्याम घर आया जो कि उसे नहीं आना चाहिए था।
- राम परीक्षा में फेल हो गया इसलिए उससे अपने माता पिता को विद्यालय लाना होगा।
स्वरूप सूचक
ऐसे शब्द जिनका प्रयोग वाक्य में करने से उनके मुख्य वाक्य का स्वरूप प्रकट हो यानी उसका अर्थ अच्छी तरह से समझ आए तो उसे स्वरूप सूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
स्वरूप सूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक के अंतर्गत निम्न शब्द आते हैं। जैसे कि –
अर्थात, यानी, की, मानो, जैसे
उदाहरण के लिए –
- तुम तो ऐसे डर रहे हो जैसे तुमने ही चोरी की है।
- चुप हो जाओ मानो तुमने कुछ देखा ही ना हो
- कल वह दोनों आएंगे अर्थात राम और श्याम कल दोनों आएंगे
निष्कर्ष
आज का यह लेख ‘समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchaya Bodhak Avyay) क्या है’ यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस लेख में हमने जाना की समुच्चयबोधक अव्यय meaning in English क्या है, समुच्चयबोधक अव्यय के उदाहरण क्या है समुच्चयबोधक अव्यय की पहचान कैसे करें तथा समुच्चयबोधक अव्यय के कितने प्रकार है?
उम्मीद करते हैं, हमारे द्वारा दि गई जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गई होगी। लेकिन यदि इस विषय से संबंधित आपको और अधिक जानकारी चाहिए तो आप नीचे कमेंट के माध्यम से अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं।
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FAQ
समुच्चयबोधक अव्यय क्या है?
ऐसे शब्द जिनके माध्यम से किसी वाक्य वाक्यांश या शब्दों को आपस में जोड़ा जाए वह समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं।
समुच्चयबोधक अव्यय के कितने भेद हैं?
बोधक समुच्चयबोधक अव्यय के दो प्रकार हैं समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय और व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय।
समुच्चयबोधक का एक उदाहरण क्या होगा?
समुच्चयबोधक का एक उदाहरण है, ‘प्रियांशु ने कड़ी परिश्रम की और सफलता प्राप्त की।
समुच्चयबोधक अव्यय में कौन कौन से शब्द आते हैं?
समुच्चयबोधक अव्यय में कई शब्द आते हैं – और, एवं, तथा, अन्यथा, बल्कि, ताकि, क्योंकि, किंतु, परंतु, तब, इसलिए, अथवा, या।