“बहुत कम लोग होते हैं, जिन्हें जिंदगी दुसरा मौका देती हैं,
आप यदि उनमें से एक है, तो निश्चित ही आप खुशकिस्मत हैं।”
ये बात सौ फीसदी सच है, क्योंकि जिंदगी किसी भी बात के लिए पर्याय (option) तो बहुत सारे देती है, पर मौके देने में कंजूसी कर जाती है। बस सही पर्याय चुनने में हमसे ही कभी कभी गलती हो जाती है।
मगर इस दुनियां में ऐसा कौन-सा इंसान, जो गलती नहीं करता होगा? कोई भी नहीं, क्योंकि गलतियां सभी से होती है और रोज़ होती हैं। ये छोटी-छोटी गलतियां होती है,जिनका हमारे जीवन पर खास असर नहीं होता है, पर हमसे कुछ ऐसी भी गलतियां हो जाती है, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है।
कभी कभी हम उन गलतियों को मान लेते हैं, तो कभी सब कुछ जानते और समझते हुए भी हम उन्हें स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। और इसी भ्रम में जीते रहते हैं कि हमसे कोई गलती नहीं हो सकती है।
आखिर ऐसी क्या वजह है कि हम हमारी गलतियों को मानना या स्वीकार करना ही नहीं चाहते हैं, हम क्यों इतनी भी कोशिश नहीं करते हैं कि उन्हें किसी के साथ शेयर किया जाय। दरअसल यह हमारी गलती नहीं है,इसके लिए हमारे आसपास का माहौल जिम्मेदार है, वे लोग जिम्मेदार है जो हमारी गलतियों पर हंसते हैं, ताने मारते हैं, हमारी असफलताओं का मजाक बनाते हैं। हम भी शायद ऐसा ही करते हो, क्योंकि ये एक सामान्य आदत है लोगों की। अपनी गलतियों को छुपाने की आदत हमें बचपन से ही लग जाती हैं, जब डांट या मार के ड़र से हम उन्हें किसी को बताते हुए कतराते हैं।
हमें तो हमारी हर छोटी-बड़ी गलती से सबक लेना चाहिए। गलतियां करना कोई ऐसी अनोखी या शर्म की बात नहीं है, जिसे छुपाने की जरूरत है, हर गलती माफी के योग्य है, बस वो अपराध की श्रेणी में ना आती हो।
गलतियों से सीख कर, सबक लेकर ही आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए ना कि उन पर पछतावा करने में समय बर्बाद करना चाहिए। आप अपनी गलतियों को मानते हैं, इसका ही मतलब है कि आपमें दोबारा उठने की हिम्मत है, क्योंकि ये बात हर किसी में नहीं होती है। कहा तो यह भी जाता है कि आप बिना गलतियां किये उन्नति ही नहीं कर सकते हैं। क्योंकि जो वाकई उन्नति चाहते हैं वे अपनी गलतियों का विश्लेषण करते हैं, और गलतियों को सुधारने की कोशिश करते हैं,और उन्हें बिना दोहराएं आगे बढ़ते हैं।
हमारे एक गलत फैसले से हम हार जाते हैं, पर इसका मतलब ये नहीं है कि हम कभी उठ ही नहीं सकते। उम्मीद छोड़ देने के बजाय हमें अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। याद रखिए कि गलती करना कोई बेवकूफी नहीं है, बल्की गलतियों से सबक लेकर उन्हें सुधारने की कोशिश ना करना बेशक हमारी मूर्खता होती है। बार बार एक ही गलती को दोहराना भी ठीक नहीं है, चाहे वो घर हो या दफ्तर इससे लोगों का विश्वास हमसे हट जाता है। एक ही गलती को कई बार दोहराएं जाने से साफ झलकता है कि हम उस गलती के प्रति कितने गंभीर है, क्या वाकई उसे सुधारने के हमारे प्रयास सही है, या हम केवल दिखावा कर रहे हैं।
कभी कभी हम सोचते हैं कि काश हमारी जिंदगी एक कंप्यूटर की तरह होती, जिसमें अन डू या डिलीट का बटन होता, तो गलती करके हम उसे हमेशा के लिए मिटा देते।पर ऐसा नहीं है, ये हमारी जिंदगी है, एक बार हमने गलती कर दी तो उसे डिलीट या अन डू तो नहीं किया जा सकता है, पर सुधारने का अॉप्शन तो हमारे पास अवश्य होता है।हम किसी भी किमत पर समय को तो चुनौती नहीं दे सकते हैं, वो ना तो किसी के लिए रुका है, और ना ही पीछे मुड़ा है, पर उसके साथ चलकर आगे जरुर बढ़ सकते हैं। हम हमारी गलती को स्वीकार करके उसे सुधार कर आगे बढ़ सकते हैं।
अपनी गलतियों को स्वीकार करने का प्रयास पूरी हिम्मत से करे, क्योंकि आपकी गलतियां और उनको सुधारने के आपके प्रयास आपके चरित्र की अच्छाई को दर्शाते हैं। इसके विपरित गलतियों को स्वीकार करके सुधारने के बजाय अकड़ में रहना आपकी कमजोर मनःस्थिति का प्रर्दशन करते हैं। जब तक हम नादान होते हैं,और हमारे लिए फैसले कोई और लेता है, तब तक ठीक है, पर जब हम इस काबिल हो जाते हैं कि अपना अच्छा या बुरा खुद ही सोच सकते हैं तो हमारे फैसलों की जिम्मेदारी भी हमारी ख़ुद की ही हो जाती है। इसके लिए हम किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। हमारा कोई फैसला अगर गलत हुआ हैं, या हमसे जितनी भी गलतियां हुई हो, उसका कारण भी हम है और निवारण भी हमारे ही पास है।
आज कितने ही सफल लोग हैं, जिन्होंने सफलता के शिखर पर पहुंचने के पहले कई बार कोशिश की है। आज जितने भी अफसर बड़े बड़े प्रशासनिक पदों जैसे IAS, IPS,IFS पर बैठे हैं, उनमें से बहुत कम ऐसे हैं, जिन्होंने पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त कर ली हो, वहीं कुछ लोग बार बार प्रयास करके यहां तक पहुंचे हैं। उन्होंने अपनी हर विफलता का विश्लेषण किया, हर गलती को स्वीकार किया, उसे सुधारा और सबक लेकर फिर से प्रयास किया। ऐसा ही हर प्रतियोगी परीक्षाओं में होता है। जब तक आप अपनी हार को स्वीकार नहीं करते हैं, अपनी जीत से भी उतना ही दूर रहते हैं।
याद रखिए, आप कितनी भी सफलता हासिल कर ले, कितना भी उपर उठ जाएं, पर अपने बुरे समय को कभी भी नहीं भूले। इसे हमेशा अपनी यादों में बसाए रखें, क्योंकि ये वही समय है, जिसमें आपने एक, दो या फिर अनगिनत गलतियां की होगी, और उन पर मात देकर यहां तक पहुंचे होंगे। वैसे तो कभी कभी उन गलतियों को याद करने के बजाय उनसे मिलने वाले सबक को याद रखना बेहतर होता है।
इसलिए गलतियां भी करें, उन्हें बे हिचक स्वीकार करके उनका विश्लेषण भी करे, उन्हें सुधारें और आगे बढ़े।
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