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हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन | Hindi Varnamala Alphabet
आपका स्वागत है वर्णमाला विश्व में, जहाँ अक्षरों की मिठास और शब्दों का जादू हर दिल को बहलाता है!
क्या आप भारत की सबसे प्रमुख भाषा, हिंदी, के सुनहरे अक्षरों से अभिप्राय करने की अद्भुत यात्रा को तैयार हैं?
तो आइए, हम आपको हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala Alphabet) की अनोखी दुनिया में ले चलते हैं, जहां हर अक्षर एक नई कहानी सुनाता है और जीवन को सजाने के लिए नये रंग लाता है।
तो बिना देर किये, हमारी इस अद्भुत यात्रा में शामिल होकर, हिंदी वर्णमाला के अक्षरों का जादू अपने हाथों में समाने का आनंद लें!
हिन्दी, भारत की राष्ट्रीय भाषा हैं। सरल और सहज, होने के कारण, भारत की आधी से भी अधिक जनसंख्या, हिन्दी पढ़ना, लिखना और बोलना अच्छी तरह जानती हैं।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली और झारखंड, इन राज्यों में हिन्दी ही मुख्य भाषा है, और इन सभी राज्यों की अधिकारिक भाषा भी हिन्दी ही हैं।
आज हम हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी को और अधिक अच्छे से जानने का प्रयास करते हैं।
जब हम हिंदी वर्णमाला के साथ खेलते हैं, हमें नई नई बातें सीखने को मिलती हैं। इस वर्णमाला की मदद से, हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं, किसी को समझा सकते हैं, और दूसरों के साथ बातचीत कर सकते हैं।
तो चलिए, हिंदी वर्णमाला के साथ दोस्ती करते हैं और इसके अक्षरों के साथ अपनी भाषा को और अच्छी तरह से समझते हैं।
हिन्दी को क्रमबद्ध रूप से समझना है तो सबसे पहले हमें भाषा की परिभाषा को जानना होगा। तो सबसे पहले हम शुरुआत करते हैं, भाषा से।
भाषा किसे कहते हैं?
भाषा, अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम है। अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने और दूसरों की बात को समझने का, माध्यम भाषा ही है। भाषा की सहायता से हम लीख कर तथा बोल कर, या कभी कभी कुछ विशेष परिस्थितियों में इशारों से अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं और दूसरों के विचार जान सकते हैं। इस प्रकार भाषा के मुख्य रूप से दो प्रकार हुए, लिखित और मौखिक।
भाषा बनती हैं, सार्थक ध्वनियों से। किसी भी भाषा का निर्माण होता है, क्रमशः ध्वनि, वर्ण, शब्द, पद और वाक्य से।
ध्वनि का प्रयोग हम मौखिक भाषा में करते हैं। मुंह से निकलने वाले प्रत्येक स्वतंत्र स्वर को ध्वनि कहते हैं। अब ध्वनी से भाषा के निर्माण के क्रम को समझते हैं। इसकी शुरुआत होती है वर्ण से।
वर्ण किसे कहते हैं?
तो वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, जिसे विभाजित नहीं कर सकते हैं यानी जिसके तुकड़े नहीं किए जा सकते हैं, जैसे क, म, ल इत्यादि वर्ण हैं। मुंह से निकलने वाली ध्वनियों को जब हम लिखित रुप देते हैं, तो यह वर्ण कहलाते हैं। इस प्रकार मुंह से निकलने वाली अखंड ध्वनियों को वर्ण कहा जाता है। वर्ण को ही अक्षर भी कहा जाता है।
वर्णों के सार्थक मेल को, या वर्णों के व्यवस्थित समुह को शब्द कहते हैं, जैसे कमल, कोमल इत्यादि। जब हम इन शब्दों का प्रयोग, किसी वाक्य में करते हैं तो इन्हें पद कहा जाता है। और जब हम अपनी बात या अपने विचार को व्यक्त करते हुए, शब्द या पदों के समुह का उपयोग करते हैं तो यह एक वाक्य बन जाता है, जैसे, कमल हमारा राष्ट्रीय फूल हैं।
अब हम बात करते हैं, हिन्दी वर्णमाला की। हिन्दी वर्णमाला में कुल मिलाकर बावन (52) वर्ण होते हैं। इन्ही बावन वर्णों से मिलकर बने समुह को वर्णमाला कहते हैं।
वर्णमाला को दो भागों में बांटा गया है।
1 स्वर (Vowel)
2 व्यंजन (Consonant)
इस प्रकार, हिन्दी वर्णमाला के 52 वर्णों का, स्वर और व्यंजन में विभाजन इस प्रकार हैं कि, इसमें कुल 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं। ये सभी स्वर और व्यंजन कौन से है, आइए जानते हैं।
हिंदी वर्णमाला में कितने अक्षर होते हैं
हिंदी वर्णमाला में कल अक्षरों की संख्या 52 होती है, जिन्हें अलग-अलग वर्गों में विभाजित किया गया है। जिम सबसे प्रमुख श्रेणी स्वर और व्यंजन की आती है पर मेरा लिए देखते हैं हिंदी वर्णमाला के 52 वर्णों को किस तरह बांटा गया है –
- स्वर – 11
- व्यंजन – 33
- संयुक्त व्यंजन – 04
- अयोगवाह वर्ण – 02
- उत्क्षिप्त व्यंजन – 02
इस तरह उपयुक्त वर्णों को जोड़कर तथा एक समूह में व्यवस्थित कर हिंदी वर्णमालाओं (Alphabet) की संख्या 52 होती है।
वर्णमाला में स्वर क्या होते हैं? What are Vowels in Hindi Varnamala Alphabet?
तो इसका उत्तर है, जिन वर्णों का उच्चारण,, गले के किसी भी अवयव, जैसे कंठ, तालु इत्यादि की सहायता के बिना किया जाता है, उन वर्णों को स्वर कहते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि, जिन वर्णों का उच्चारण, स्वतंत्र रूप से यानी कि बिना किसी अन्य सहायक वर्ण के साथ किया जाता है, उन्हें स्वर कहते हैं।
हिन्दी वर्णमाला के सभी 11 स्वर इस प्रकार है,
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ऋ | ए | ऐ | ओ | औ |
इनमें से ऋ को अर्ध स्वर कहा जाता है।
स्वर के भेद कितने हैं
स्वर के मुख्यत: तीन प्रकार होते हैं, ह्स्व स्वर, दीर्घ स्वर और संयुक्त स्वर।
ह्स्व स्वर वह होते हैं, जिनका उच्चारण करने में कम समय लगता है उदाहरण के लिए, अ, इ, उ और ऋ ।
दीर्घ स्वर वह होते हैं, जिनके उच्चारण करने में, ह्स्व स्वर से ज्यादा यानी दुगना समय लगता है, जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
प्लुत स्वर, जिन स्वरों के उच्चारण में, दीर्घ स्वर से भी ज्यादा यानी ह्स्व स्वर से तीन गुना अधिक समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं।
हृस्व स्वर
ऐसे वर्ण या अक्षर जिनके उच्चारण के दौरान महज एक मात्रा का समय लगे उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं। अन्य शब्दों में हृस्व स्वर को एक मात्रिक स्वर या लघु मूल भी कहा जाता है। इनमें किसी भी तरह की मात्रा का प्रयोग नहीं किया जाता है। हिंदी वर्णमाला में मुख्य रूप से हृस्व स्वर की संख्या चार होती है।
जैसे की –
अ | इ | उ | ऋ |
गुरु या दीर्घ स्वर
ऐसे वर्ण या अक्षर जिनके उच्चारण के दौरान हृस्व स्वर की तुलना दुगना समय लगे वे गुरु या दीर्घ स्वर कहलाते हैं। सरल शब्दों में कहे तो इन वर्णों के उच्चारण मे लगभग दो मात्रा का समय लगता है। इन स्वरों को संधि या दो मात्रिक स्वर के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार गुरु या दीर्घ स्वर की संख्या मुख्तः 7 होती है।
जैसे की –
आ | ई | ऊ | ए |
ऐ | ओ | औ |
प्लुत स्वर
ऐसे वर्ण या अक्षर जिनके उच्चारण के दौरान दीर्घ स्वर से भी ज्यादा समय लगे यानी की हृस्व स्वर से तीन गुना ज्यादा समय लगे वे प्लुत स्वर कहलाते हैं। प्लुत स्वर को हिंदी भाषा में लिखित रूप से कुछ इस तरह (ऽ) से लिखा जाता है। इस चिन्ह का अर्थ होता है, कि इन शब्दों को खींचकर उच्चारित किया जाए।
जैसे की –
राऽम – राम इस तरह यहां बीच में लगे हुए इस निशान को पलट स्वर कहते हैं यानी कि इन शब्दों को खींचकर पढ़ना चाहिए।
स्वरों का उच्चारण स्थान क्या है
स्वर | उच्चारण स्थान |
---|---|
अ, आ | कंठ |
इ, ई | तालु |
उ, ऊ | ओष्ठ |
ऋ | मूर्धा |
ए, ऐ | कंठ – तालु |
ओ, औ | कंठ – ओष्ठ |
व्यंजन किसे कहते हैं? What are Consonants in Hindi Alphabet
जिन वर्णों का उच्चारण करते समय, हमारा श्वास, गले के विभिन्न अवयवों जैसे कंठ, तालु, दांत इत्यादि स्थानों से रुककर निकालता है, उन वर्णों को व्यंजन कहते हैं। व्यंजनों का उच्चारण करते समय हमेशा स्वरों की सहायता ली जाती है। हिन्दी वर्णमाला में कुल 41 व्यंजन हैं, जिनमें 33 मूल व्यंजन,चार संयुक्त व्यंजन, दो द्विगुण व्यंजन, एक अनुस्वार व्यंजन और एक विसर्ग व्यंजन है।
क से लेकर ह तक के, 33 व्यंजन वर्णों को ककहरा कहा जाता है। जो क्रमशः इस प्रकार हैं।
क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह
इनके अलावा इसमें चार संयुक्त व्यंजन हैं- क्ष, त्र, ज्ञ और श्र , दो द्विगुण व्यंजन होते हैं- ड़ और ढ़, एक अनुस्वार व्यंजन है- अं और एक विसर्ग व्यंजन हैं- अ:।
व्यंजन वर्णों का वर्गीकरण
हिंदी वर्णमाला के अनुसार अलग-अलग आधार पर व्यंजन वर्णों को चार अलग-अलग श्रेणी में विभाजित किया गया है।
जैसे की –
उच्चारण स्थान के आधार पर
उच्चारण विधि के आधार पर
प्राणवायु के आधार पर
स्वर तांत्रियों के कंपन के आधार पर
उच्चारण स्थान के आधार पर
इसके अंतर्गत ऐसे व्यंजन वर्ण शामिल होते हैं, जिनका उच्चारण करते समय मुंह के विभिन्न अंग यानी जीभ, तालु कंठ, होंठ आदि एक दूसरे से परस्पर मिलते हो तथा इनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु मुंह में रुक कर बाहर की ओर निकलती हो।
उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों को सात वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे की –
- कंठ्य व्यंजन
- तालव्य व्यंजन
- मुर्धन्य व्यंजन
- दन्त्य व्यंजन
- ओष्ठ्य व्यंजन
- दंतोंष्ठय व्यंजन
- काकल्य व्यंजन
कंठ्य व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त होने वाले ऐसे वर्ण या अक्षर जिन्हें कंठ से उच्चारित किया जाता हो, उन्हें कंठ्य व्यंजन कहा जाता है। इन वर्णों का उच्चारण करने के दौरान प्राणवायु फेफड़ों होते हुए मुंह के माध्यम से बाहर निकलती है। कंठ्य व्यंजनों की कुल संख्या 8 होती है।
जैसे की – क, ख, ग, घ, ङ, क़, ख़, ग़
तालव्य व्यंजन
ऐसे व्यंजन या वर्ण जिन्हें उच्चरित करते समय जीभ तालू को स्पर्श करती हो उन्हें तालव्य व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार तालव्य व्यंजनों की संख्या कुल सात होती है।
जैसे कि – च, छ, ज, झ, ञ, श, य
मुर्धन्य व्यंजन
ऐसे वर्ण या अक्षर जिनके उच्चारण के दौरान जीभ तालु के बीच के हिस्से अर्थात मुर्धा को स्पर्श करें उन्हें मूर्धन्य व्यंजन कहा जाता है। हिंदी व्याकरण के अनुसार मूर्धन्य व्यंजनों की संख्या कल 9 होती है।
जैसे कि – ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष, ड़, ढ़
दन्त्य व्यंजन
ऐसे वर्ण या अक्षर जिन्हें उच्चरित करते समय जीभ दांतो को स्पर्श करें उन्हें दन्त्य व्यंजन कहा जाता है। इन वर्णों का उच्चारण करते समय जीभ के आगे का हिस्सा दांत को स्पर्श करता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार दन्त्य व्यंजनों की संख्या कल साथ होती है।
जैसे की – त, थ, द, ध, न, ल, स
ओष्ठ्य व्यंजन
जिन वर्णों के उच्चारण के दौरान होंट आपस में मिलते हैं, उन्हें ओष्ठ्य व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार ओष्ठ्यव्यंजनों की संख्या 5 होती है।
जैसे कि – प, फ, ब, भ, म
दंतोंष्ठय व्यंजन
जिन वर्णो को उच्चरित करते समय दांत होंठ के निचले हिस्से को स्पर्श करें उन्हे दंतोंष्ठय व्यंजन कहते हैं। दंतोंष्ठय व्यंजन की संख्या केवल एक होती है।
जैसे कि – व
काकल्य व्यंजन
जिन वर्णों का उच्चारण कंठ से न होकर कंठ के थोड़े नीचे से होता हो, उन्हें काकल्य व्यंजन कहा जाता है। काकल्य व्यंजन की संख्या केवल एक होती है।
जैसे कि – ह
वर्णमाला के वर्णों का उच्चारण स्थान
वर्णों के नाम | उच्चारण स्थान | वर्ण |
---|---|---|
कंठ्य वर्ण | कंठ | अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ, ह और विसर्ग |
तालव्य वर्ण | तालु | इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ, य, श |
मूर्धन्य वर्ण | मूर्धा | ऋ, ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष |
दंत्य वर्ण | दंत | त, थ, द, ध, न, ल, स |
ओष्ठ्य वर्ण | ओष्ठ | उ, ऊ, प, फ, ब, भ, म |
अनुनासिक वर्ण | नासिका और मुख | ङ, ञ, ण, न, म, पंचमाक्षर, अनुस्वार और चन्द्रबिंदु |
कंठतालव्य वर्ण | कंठ और तालु | ए और ऐ |
कंठौष्ठ्य वर्ण | कंठ और ओष्ठ | ओ और औ |
दंतौष्ठ्य वर्ण | दंत और ओष्ठ | व |
उच्चारण विधि के आधार पर
उच्चारण विधि के आधार पर हिंदी व्यंजनों को विभिन्न वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे की –
लुंठित व्यंजन
अंतः स्थ व्यंजन
ऊष्म व्यंजन
संयुक्त व्यंजन
स्पर्श व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त होने वाले ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के दौरान प्राणवायु फेफड़ों से होकर मुंह के विभिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए बाहर की ओर निकलती हो उन्हें स्पर्श व्यंजन कहा जाता है। स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या 16 होती है।
जैसे की – क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध
स्पर्श संघर्षी व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु मुंह के विभिन्न हिस्सों के साथ स्पर्श के साथ संघर्ष करते हुए बाहर की ओर निकलती हो, उन्हें स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहा जाता है। स्पर्श संघर्षी व्यंजनों की कुल संख्या 5 होती है।
जैसे की – च, छ, ज, झ
नासिक्य व्यंजन
ऐसे वर्ण या अक्षर जिनका उच्चारण नाक के माध्यम से होता हो तथा प्राण वायु नाक से होकर बाहर आती हो, नासिक के व्यंजन कहलाती है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार नासिक्य व्यंजनों की संख्या पांच होती है।
जैसे कि – ङ, ञ, ण, म
उत्क्षिप्त व्यंजन
उत्क्षिप्त व्यंजन वे वर्ण कहलाते हैं, जिनके उच्चारण के दौरान जीभ तालू को छूते हुए झटके से नीचे की ओर गिरती है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार उत्क्षिप्त व्यंजनों की कुल संख्या दो होती है।
जैसे कि – ड़, ढ़
लुंठित व्यंजन
ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु जीव से टकराते हुए बाहर की ओर निकलती हो, लुंठित व्यंजन कहलाती है। लुंठित व्यंजन को प्रकम्पित व्यंजन के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार लुंठित व्यंजन या प्रकम्पित व्यंजनों की संख्या केवल एक होती है
जैसे की – र
अंतः स्थ व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण प्राय व्यंजन और स्वरों के बीच होता हो अंतस्थ व्यंजन कहलाते हैं। हिंदी वर्णमाला के अनुसार अंतः स्थ व्यंजन व्यंजनों की कुल संख्या चार होती है।
जैसे की – य, र ल, व
पार्श्विक व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के दौरान प्राण वायु जीभ के दोनों ओर से होते हुए बाहर की ओर निकलती हो पार्श्विक व्यंजन कहलाती है। हिंदी वर्णमाला में पार्श्विक व्यंजन की कुल संख्या एक होती है।
जैसे की – ल
ऊष्म व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त होने वाले ऐसे वर्ण जिन्हें उच्चारण करने के दौरान प्राण वायु मुंह से घर्षण करते हुए बाहर की ओर निकलती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं। ऊष्म व्यंजन को अन्य शब्दों में संघर्षी व्यंजन भी कहा जाता है।
जैसे की – श, ष, स, ह
संयुक्त व्यंजन
ऐसे वर्ण जो प्रयास दो वर्णों के योग से बनता हो उन्हें संयुक्त व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में संयुक्त व्यंजनों की कुल संख्या चार होती है।
जैसे की – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
प्राणवायु के आधार पर
हिंदी व्याकरण के अनुसार प्राण वायु के आधार पर व्यंजनों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे कि –
- अल्पप्राण व्यंजन
- महाप्राण व्यंजन
अल्पप्राण व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त होने वाले ऐसे वर्ण या अक्षर जिन्हें उच्चरित करने के दौरान प्राण वायु की मात्रा बहुत ही धीमी या कम लगानी पड़ती हो, उन्हें अल्प प्राण व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार अल्पप्राण व्यंजनों की कुल संख्या 25 होती है।
जैसे की – क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल, व, त्र, क्ष, ज्ञ, श्र, ड़, ढ़
महाप्राण व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त होने वाले ऐसे वर्ण या अक्षर जिन्हें उच्चरित करते समय प्राण वायु की अधिक मात्रा का प्रयोग करना पड़े, तो उन्हें महाप्राण व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार महाप्राण व्यंजनों की कुल संख्या 14 होती है।
जैसे की – ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ, श, ष, स, ह
स्वर तांत्रियों के कंपन के आधार पर
हिंदी व्याकरण के अनुसार स्वर तांत्रियों के कंपन के आधार पर हिंदी वर्णमाला के व्यंजनो को दो वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे की –
- आघोष व्यंजन
- सघोष व्यंजन
आघोष व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त होने वाले ऐसे वर्ण या अक्षर जिनके उच्चारण के दौरान स्वर तांत्रियों में किसी भी तरह का कंपन ना हो, तो उन्हें आघोष व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार आघोष व्यंजनों की संख्या कुल 13 है।
जैसे की – क, ख, छ, च, ट, ठ, त, थ, प, फ, श, ष, स
सघोष व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त होने वाले ऐसे वर्ण या अक्षर जिनके उच्चारण के दौरान स्वर तांत्रियों में कंपन उत्पन्न होता हो, उन्हें सघोष व्यंजन कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार सघोष व्यंजनों की कुल संख्या 22 होती है।
जैसे कि – ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह
संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं?
संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं? क्या संयुक्त अक्षर ही संयुक्त व्यंजन होते हैं?
यदि नहीं तो संयुक्त अक्षर क्या होते हैं?
तो संयुक्त व्यंजन वह व्यंजन होते हैं, जो दो वर्णों से मिलकर बने होते हैं और इनके मेल से बनने वाले नए व्यंजन के उच्चारण से एक नया वर्ण बन जाता है। जैसे,
क्ष= क्+ष, त्र= त्+र, ज्ञ=ज्+ञ और श्र= श्+र
उदाहरण के लिए, कुछ शब्द, जो संयुक्त व्यंजन से बनते हैं, क्षमा, त्रिशूल, श्रम, ज्ञानी इत्यादि।
संयुक्त शब्द भी दो वर्णों के मेल से ही बनते हैं, लेकिन इनके मेल से कोई नया वर्ण नहीं बनता है।
जैसे, शब्द= श+ब्+द, यहां ब और द जुड़े हुए हैं लेकिन इनके उच्चारण से किसी नए वर्ण की उत्पत्ति नहीं होती है। इसी तरह, पत्नी, प्यार, कुल्हाड़ी इत्यादि।
द्विगुण व्यंजन: वे होते हैं, जिनमें दो गुण होते हैं। वर्णमाला में ड और ढ, के नीचे बिंदु लगाकर उसे ड़ और ढ़ बनाते हैं। इस तरह ड और ढ का प्रयोग दो प्रकार से किया जाता है, इसलिए यह दोनों द्विगुण व्यंजन कहलाते हैं।
अनुस्वार किसे कहते हैं।
तो यदि अनुस्वार का संधी विग्रह करते हैं तो इसे लिखा जाएगा, अनु+ स्वर । यानी कि, स्वर के तुरंत बाद में आने वाले व्यंजन को अनुस्वार कहते हैं। इसकी ध्वनि नाक से निकलती हैं। अनुस्वार को एक बिंदु (.) के द्वारा, प्रदर्शित किया जाता है। शब्द के अनुसार, इस बिंदु को, अक्षर के उपर अलग अलग जगह पर लगाया जाता है, उदाहरण के लिए,
लंबा, कदंब, बांस, पलंग, बंसी, चौरंगी, हैं, मैं, जिन्हें, उन्हें इत्यादि।
विसर्ग किसे कहते हैं?
जब किसी वर्ण का उच्चारण करते समय, स्वर के उच्चारण के तुरंत बाद ह् जैसी ध्वनि निकलती है तो इसे विसर्ग कहते हैं। इसे किसी भी स्वर के आगे, दो खड़े बिंदु (:) के द्वारा दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए, दुःख, अंततः, नि:श्वास, स्वत: इत्यादि।
अनेक लोगों से हिन्दी में लगाई जाने वाली मात्राओं के विषय में बहुत सी गलतियां होती हैं। इसके लिए इन मात्राओं को सही रुप से लगाया जाना आवश्यक होता है। हिन्दी वर्णमाला में जो स्वर हमने देखें, वह मात्राएं ही होती हैं। केवल अ को छोड़कर, क्योंकि इसकी कोई मात्रा नहीं होती है। व्यंजनों को, स्वरों यानी मात्राओं के साथ जोड़ने पर बनने वाले अक्षरों को बारहखड़ी कहते हैं।
इस प्रकार हिन्दी वर्णमाला के बारह स्वरों, ( अ से लेकर अ:) को व्यंजन के साथ जोड़ने पर बारहखड़ी बनती है।
जैसे, यदि क व्यंजन की बारहखड़ी देखें, तो यह इस प्रकार होगी,
क का कि की कु कू के कै को कौ कं क:
क | का | कि | कु | कू | के | कै | को | कौ | कं | क: |
हिंदी वर्णमाला चार्ट (Hindi Varnamala Chart)
हिंदी वर्णमाला चार्ट में सभी वर्ण को लिखा गया है | वर्णमाला चार्ट में स्वर और व्यंजन वर्ण के सभी अक्षरों को तस्बीर के साथ लिखा गया है | यह चार्ट हिंदी वर्णमाला को इसीलिए दिया गया है की आपको पढ़ने में और समझने में आसानी हो |
Hindi Varnamala in English
हिंदी वर्णमाला को इंग्लिश में जानना बोहोत ही महत्वपूर्ण हो गया है | यह गैर हिंदी वालों के लिए सरल हो जाता है पढ़ने में और इसके अलावा यह इंग्लिश हिंदी टाइपिंग में भी बोहोत मदद मिलता है |
इसी प्रकार हम, क से लेकर तो ज्ञ तक के अक्षरों की बारहखड़ी बना सकते हैं। हिन्दी भाषा सीखने के लिए, मात्राओं का ज्ञान होना आवश्यक है और इसके लिए हमें बारहखड़ी का व्यवस्थित क्रम अच्छी तरह पता होना चाहिए।
हालांकि अक्षरों के उपर मात्राओं को लगाने के बहुत से नियम होते हैं। और इन्हें किसी अनुभवी और हिंदी भाषा के विशेषज्ञ से ही सीखना जरूरी है।
हिंदी वर्णमाला सीखने का महत्व: बेहतरीन संपर्क के लिए
आज हम हिंदी वर्णमाला सीखने के महत्व के बारे में बात करेंगे। हिंदी वर्णमाला हमारी भाषा का आधार है और इसे सीखना हमें बेहतरीन संपर्क करने में मदद करता है।
पहली बात: वर्णमाला सीखने से हम अच्छे से बोल सकते हैं। हम जब वर्णमाला सीखते हैं, तब हमें हर अक्षर का उच्चारण सही करना सीखाया जाता है। इससे हम शब्दों को सही ढंग से बोल सकते हैं।
दूसरी बात: वर्णमाला सीखने से हम लिखना सीखते हैं। जब हमें वर्णमाला के सारे अक्षर मालूम होते हैं, तब हम शब्दों को लिखना और पढ़ना सीख सकते हैं। इससे हम अपनी विचारधारा को लिखित रूप में प्रकट कर सकते हैं।
तीसरी बात: हिंदी वर्णमाला सीखने से हमें अपनी संस्कृति और भाषा के बारे में और ज्यादा जानकारी मिलती है। इसके जरिए हम अपनी परंपरा और भाषा को समझते हैं और इसे सम्मान करते हैं।
चौथी बात: वर्णमाला सीखने से हम दूसरों के साथ अच्छी तरह से रिलेशन अच्छा कर सकते हैं। हमारी बातचीत में स्पष्टता और सुगमता बढ़ती है। इससे हमारी दोस्ती और सम्बन्ध मजबूत होते हैं।
पांचवी बात: हिंदी वर्णमाला सीखने से हम अपनी कक्षा में अध्ययन करते समय बेहतर समझ सकते हैं। जब हमें पाठ्यपुस्तकों में लिखे शब्दों का अर्थ और वाक्यांशों का उच्चारण समझ में आता है, तब हमारा अध्ययन अधिक उपयोगी होता है।
छठी बात: हिंदी वर्णमाला सीखने से हम अपने देश की भाषा को समर्थन देते हैं। इससे हम अपने देश की गरिमा बढ़ाते हैं और अपनी भाषा को आगे बढ़ाते हैं।
सातवीं बात: हिंदी वर्णमाला सीखने से हमें कविता, कहानियाँ और नाटकों का आनंद लेने का मौका मिलता है। हम अपनी भाषा के साहित्य को समझकर, अनेक प्रतिभावान लेखकों और कवियों की रचनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
आठवीं बात: हिंदी वर्णमाला सीखने से हम अपनी भाषा में विचारधारा और ज्ञान का आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह हमें दूसरों के साथ विचार-विमर्श करने की क्षमता देता है, जो हमारे व्यक्तिगत विकास में सहायक होता है।
नौवीं बात: हिंदी वर्णमाला सीखने से हम अपने देश की विविधता को समझते हैं और सहयोग करते हैं। इससे हम अपने समाज में सहयोग और सौहार्द की भावना को बढ़ाते हैं।
इस प्रकार, हिंदी वर्णमाला सीखना हमें बेहतरीन संपर्क करने में मदद करता है और हमें व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से विकसित होते हैं। इसके साथ-साथ, हम अपनी भाषा के प्रति गर्व और समर्पण महसूस करते हैं।
इन सभी कारणों से हिंदी वर्णमाला सीखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसे सीखकर हम अपनी भाषा को समृद्ध कर सकते हैं और अपने संपर्क कौशल को सुधार सकते हैं। यहाँ तक कि इसे सीखकर हम अपनी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी प्रदर्शित कर सकते हैं।
हिंदी वर्णमाला चार्ट पीडीऍफ़ डाउनलोड (HIndi Varnamala Chart PDF Download)
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12 आसान तरीके हिंदी वर्णमाला को तेजी से सीखने के लिए
आइए हिंदी वर्णमाला तेजी से सीखने के कुछ आसान तरीके जानते हैं:
- स्वर-व्यंजन की याद करें: सबसे पहले हमें स्वर और व्यंजनों की पहचान करनी चाहिए। हम एक नियमित रूटीन बना कर उन्हें याद कर सकते हैं।
- गानों की मदद: हिंदी वर्णमाला के गाने सुनकर आप अक्षरों की धुन में याद कर सकते हैं। गानों की मदद से सीखना और याद करना आसान होता है।
- अभ्यास करें: हिंदी वर्णमाला को तेजी से सीखने के लिए, नियमित अभ्यास करना जरूरी है। अक्षरों को बार-बार लिखकर, पढ़कर और बोलकर याद कर सकते हैं।
- फ्लैशकार्ड बनाएँ: हिंदी अक्षरों के फ्लैशकार्ड बना कर उन्हें देखते रहें। इससे आपको अक्षरों की याददाश्त मजबूत होगी।
- गेम्स खेलें: हिंदी वर्णमाला से जुड़े कुछ गेम्स खेलकर आप अक्षरों को आसानी से सीख सकते हैं। गेम्स सीखने को मजेदार बना देते हैं।
- दूसरों के साथ साझा करें: अक्षरों को दूसरों के साथ साझा करके आप अपने हिंदी वर्णमाला के ज्ञान को मजबूत कर सकते हैं। आप अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ अक्षरों की पहचान और उच्चारण का अभ्यास कर सकते हैं।
- कविता और कहानियाँ पढ़ें: हिंदी कविता और कहानियाँ पढ़कर आपको नई शब्दों का पता चलेगा। इससे आपके वर्णमाला के अक्षरों के साथ संबंध और भी मजबूत होगा।
- हिंदी फिल्में और धारावाहिक देखें: हिंदी फिल्मों और धारावाहिकों को देखकर आप हिंदी वर्णमाला के प्रयोग को समझ सकते हैं। इससे आपको वाक्यों में अक्षरों का उपयोग समझने में मदद मिलेगी।
- हिंदी वर्णमाला ऐप्स: आजकल बहुत सी मोबाइल ऐप्स हैं जो हिंदी वर्णमाला को सीखने में मदद करती हैं। आप उन्हें डाउनलोड करके अपने फोन पर हिंदी वर्णमाला का अभ्यास कर सकते हैं।
- शब्द रचना का अभ्यास: हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से नए शब्द बनाने का अभ्यास करें। इससे आपके अक्षरों के साथ तालमेल और भी बेहतर होगा।
- टेस्ट खुद करें: अपनी हिंदी वर्णमाला की सीखने की प्रगति जानने के लिए, खुद को समय-समय पर टेस्ट करें। इससे आपको पता चलेगा कि आपको किन अक्षरों पर और ध्यान देना है।
- हिंदी वर्णमाला चार्ट: अपने कमरे में या पढ़ाई के स्थान पर हिंदी वर्णमाला का चार्ट लगाएँ। इससे आपको अक्षरों को देखते रहने का मौका मिलेगा, और वे आपकी याददाश्त में बैठ जाएँगे।
ये सभी उपाय आपको हिंदी वर्णमाला को तेजी से सीखने में मदद करेंगे। इन्हें नियमित रूप से अपनाने से आपकी हिंदी वर्णमाला संबंधी समझ और निपुणता में सुधार होगा। आखिरकार, धैर्य, अभ्यास और समर्पण ही सीखने की कुंजी होते हैं।
हिंदी वर्णमाला FAQ
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हिंदी की वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं?
हिन्दी में मौखिक रूप से देखाजाये तो 52 वर्ण होते हैं। इनमें 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं। लिखित रूप से 56 वर्ण होते हैं इसमें 11 स्वर , 41 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।
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हिन्दी वर्णमाला की खोज, कब और किसने की थी?
तो यह निश्चित रूप से कहना बहुत ही मुश्किल है या कहिए असंभव है। क्योंकि किसी भी भाषा का निर्माण एक व्यक्ति के द्वारा नही हो सकता है और ना ही एक दिन में या एक निश्चित समय में हो सकता है। समय, स्थान और स्थिति के अनुसार किसी भी भाषा की उत्पत्ति होती है और यह धीरे धीरे विकसित, विस्तारित और परिपक्व होती है। इसलिए यह कोई नहीं बता सकता है कि हिन्दी वर्णमाला के जनक कौन हैं।
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मूल स्वर की संख्या कितनी है?
मूल स्वर कुल मिलके ४ है | अ, इ, उ, ऋ को मूल स्वर कहा जाता है |
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प्रथम वर्ण कौन सा है?
वर्णमाला का पहला अक्षर तथा वर्ण ‘अ ‘ है | यह एक स्वर व्यंजन है |
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क से ज्ञ तक कितने अक्षर होते हैं?
क से ज्ञ तक 36 अक्षर होते हैं |