अनुशासित जीवन (Discipline Life)

anushaasit jeevan

सफलता की मंजील तक पहुंचने के लिए मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के साथ-साथ एक और चीज की बेहद आवश्यकता होती है,और वो है अनुशासन या Discipline की।

अनुशासन का अर्थ है स्वयं नियमित रहकर, नियमों का अनुसरण या पालन करना। ये नियम उसके स्वयं के, परिवार के या फिर समाज के द्वारा बनाए गए हो सकते हैं।

एक सुंदर जीवन को जीने के लिए एक अनुशासित दिनचर्या का होना बहुत आवश्यक है। अनुशासित दिनचर्या से तात्पर्य केवल, हमारे रोजमर्रा के कामकाज से ही नहीं हैं, अपितु हमें अपने जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासित होने की जरूरत है।

अनुशासित जीवन को जीने के लिए हमें स्वयं पर, अपने विचारों पर, मन पर, मस्तिष्क पर, आदतों पर, और व्यवहार पर नियंत्रण रखना जरूरी है। हम क्या सोचते हैं, हम क्या करते हैं, कैसे करते हैं, हम  कैसे रहते हैं, हमारा व्यवहार कैसा है, यह सभी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से अनुशासन पर ही निर्भर करता है।

जब तक हम खुद को अनुशासित नहीं करेंगे,हम जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं हो सकते हैं। इसलिए कोई भी काम शुरू करने से पहले,नियम बनाने, उनका पालन करने और स्वयं को अनुशासित करने की आवश्यकता है।

समय-समय पर कई विद्वानों ने अनुशासन को अपने शब्दों से परिभाषित किया है। परंतु अमेरिका के एक प्रसिद्ध लेखक, नेपोलियन हिल (Napoleon Hill) द्वारा अनुशासन या आत्म-अनुशासन की जो परिभाषा दी है,वो मुझे सबसे ज्यादा प्रभावशाली और सटिक लगती है। उनके अनुसार-

     “Self-discipline is begins with the mastery of your thoughts. If you don’t control what you think, you can’t control what you do. Simply self-discipline enables you to think first and act afterwards.”

इसका हिंदी में अनुवाद है, आत्म-अनुशासन, आपके विचारों की महारत से शुरू होता है, यदि आप जो सोचते हैं, उसे नियंत्रित नहीं कर सकते हैं तो आप जो करते हैं, उस पर भी नियंत्रण नहीं रख पाते हैं। इसलिए आत्म- अनुशासन आपको पहले सोचने और बाद में कार्य करने में सक्षम बनाता है।इसे हम अपने मन ,मस्तिष्क और विचारों पर अनुशासन रखना कह सकते हैं।

शासन या नियमों के अंतर्गत रहना या अनुशासित रहना आप किसी पर भी थोप नहीं सकते हैं। यानी कि किसी को भी नियम से रहने की आप केवल हिदायत दे सकते हैं, परंतु उसे बाध्य नहीं कर सकते हैं। यह तो केवल आपके स्वयं पर और आपके स्वभाव पर निर्भर करता है।आपका अपने जीवन के प्रति नजरिया,आपकी सोच और आपके विचारों पर आधारित होता है। एक बालक भी अपने पारिवारिक नियमों का पालन तभी तक करेगा,जब तक कि वह अपने परिवार पर निर्भर है। बड़ा होने पर वह अपने नियम खुद बनाएगा और उनका पालन करने का प्रयत्न करेगा। परंतु यह भी सच है कि परिवार और स्कूल में जो हमें नियमित रहने और हर काम को समय और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए करना सिखाया जाता है, यदि हम उनका पालन करते हैं तो यह हमारी प्रगती के लिए अच्छा ही होता है।

यदि अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए,हम स्वयं के लिए कुछ नियम बनाते हैं और उनका पूरी इमानदारी से पालन करते हैं, तो सफल होने से हमे कोई भी रोक नहीं सकता है। एक खिलाड़ी की दिनचर्या ही देख लीजिए, वह सुबह उठने से लेकर तो रात में सोने तक एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करता है, जिसमें सुबह उठने के समय से लेकर, आवश्यक और सही मात्रा में आहार, प्रेक्टिस के समय और स्थान से लेकर तो सारे दिन के कार्यो का समय निर्धारित होता है। और यही अनुशासन कहलाता है, अपनी आदतों पर अनुशासन।

इसी प्रकार एक सैनिक की दिनचर्या पर ध्यान दे तो उसका हर एक पल ही अनुशासित है।

हम, यदि आज दुनियां में जितने भी सफल लोग हैं  उनकी जीवन यात्रा पर नजर डालेंगे तो देखेंगे कि उनमें से अधिकांश लोगों ने अपनी सफलता की यात्रा शून्य से शुरू की है, और धीरे-धीरे अपनी मेहनत, लगन, आत्मविश्वास और अनुशासित जीवन के साथ आगे बढ़ते हुए सफलता का स्वाद चखा है। और बुलंदियों को छुआ है।यदि आप पुछेंगे तो ये सभी लोग अपनी सफलता का श्रेय अपनी मेहनत और लगन के साथ-साथ अपनी अनुशासित दिनचर्या को भी देते हैं।

हमें हमारी मंजिल तक पहुंचने का मार्ग स्वयं ही निर्धारित करना होता है,और वहां तक पहुंचने के लिए हमें ये सोचना अत्यावश्यक है कि हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है। अर्थात हमारी प्राथमिकता क्या है और उसके अनुसार ही अपने स्वयं के नियम बनाने होते हैं। और सिर्फ नियम बनाने तक ही सीमित न रहकर, उनके पालन के लिए भी खुद को प्रेरित करना होता है। यही है आपका आपके लक्ष्य के प्रति अनुशासन। तभी हम सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं।

हमें अपने जीवन के एक प्रमुख घटक, अर्थात हमारे समाज के द्वारा बनाए गए नियमों का भी पालन करना होता है, जिसे हम  सामाजिक अनुशासन कह सकते हैं। मतलब हमें हमारे समाज के बनाए हुए नियम और कायदों का भी पालन नियमित रूप से करना होता है। जिसमें आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना, ट्रेफिक और अन्य सरकारी नियमों तथा  स्कूल-कॉलेज, हस्पताल, लाइब्रेरी, बैंक या अन्य सरकारी दफ्तरों के निर्धारित नियमों का पालन करना होता है। कुछ नियम धर्म और संस्कृति तथा अलग-अलग समुदायों के द्वारा भी बनाए गए हैं, जिनका पालन करना कभी आवश्यक तो कभी इच्छानुसार होता है। यह सब सामाजिक अनुशासन के अंतर्गत आता है।

कुछ नियम प्रकृति द्वारा भी बनाए गए हैं, जिसके अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों और सुविधाओं के उपयोग और देखभाल के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना आता है। इसे हम प्राकृतिक अनुशासन कहते हैं।

कुल मिलाकर यह तो तय है कि हमारा जीवन अनुशासन के आसपास  ही घूमता है। कभी स्वयं के तो कभी, देश और समाज के और कभी प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए हम हमारे जीवन का सफर तय करते हैं।

अनुशासित जीवन के लाभ ही लाभ है। जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए, नियम बनाना और नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। नियमित व्यक्ती के पास समय और ऊर्जा का कभी भी अभाव नहीं होता है साथ ही उसका अपने मन और मस्तिष्क पर नियंत्रण होता है, क्योंकि वह जानता है कि उसकी प्राथमिकता क्या है। उसके हर काम का समय निश्चित होता है, इसलिए उसे तनाव भी ज्यादा नहीं होता है।

अतः अनुशासन को अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बनाने की कोशिश किजिए, और एक सफल,स्वस्थ, सुंदर और सकारात्मक जीवन की ओर कदम बढ़ाइए।