भाव वाच्य (Bhav Vachya) की परिभाषा, उदाहरण एवं प्रयोग के नियम

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भाव वाच्य (Bhav Vachya)

आज हम यहां जानेंगे कि भाव वाच्य (Bhav Vachya) की परिभाषा, उदाहरण एवं प्रयोग के नियम क्या है। यदि आप भी भाव वाच्य किसे कहते हैं? या भाव वाच्य से संबंधित जानकारी की तलाश कर रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए बिल्कुल सही है, क्योंकि हम यहां भाववाचक क्या है उदाहरण सहित विस्तार से बताएंगे। तो चलिए फिर बिना देर किए इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं –

भाव वाच्य किसे कहते है (Bhav Vachya Kise Kehete Hai)

उन शब्दों को भाव वाच्य कहा जाता है, जो किसी व्यक्ति या वस्तु के भाव, भावना या स्थिति को व्यक्त करते हैं। इन शब्दों के द्वारा हम अपनी भावनाओं,आदर्शों, भावों या स्थितियों को दृश्य शाली तथा जीवंत ढंग से व्यक्त करते हैं।

भाववाचक शब्दों का इस्तेमाल ज्यादातर साहित्यकार रचनाओं में होता है, जहां इनका उपयोग आकर्षण, भाव, रस और पाठकों की सहभागिता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

भाव वाच्य शब्दों की एक विशेषता यह है, कि वह व्यक्ति या वस्तु के भाव को न केवल बताते हैं बल्कि पाठक के अंदर उस भाव को जागृत भी करते हैं। विशेष तौर पर इन शब्दों का इस्तेमाल करके रचनाकार या कवी अपने पाठकों की भावनाओं को छूने, उन्हें प्रभावित करने और साझा करने का प्रयास करते हैं।

जैसे कि –

रोता हुआ बच्चा

गर्मी से पीड़ित लोग

मुस्कराते हुए लोग

उसने उदास मन से बोला

ऊपर दिए गए रोता, पीड़ित, मुस्कुराते और उदास जैसे शब्द से भाव का बोध होता है इसलिए इन्हें भाव वाच्य कहा जाएगा।

भाव वाच्य की परिभाषा (Bhav Vachya Ki Paribhasha)

वैसे वाक्य जिनमे कर्ता और कर्म दोनों की ही प्रधानता ना हो बल्कि वाक्यों में भाव का बोध हो या भाव की प्रधानता हो तो उसे भाव वाच्य कहा जाता है।

जैसे –

  • गीता बहुत हंस रही है।
  • बच्चों का मन बहुत चंचल होता है।
  • आरती आज बहुत शांत बैठी है।
  • रात बहुत हो गई है सोना चाहिए।
  • अब घर की ओर चलते हैं।
  • चिंटू बहुत रो रहा है।

भाव वाच्य में कौन सी क्रिया होती है

भाव वाच्य में अकर्मक क्रिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन क्रियाओं का इस्तेमाल व्यक्ति के आंतरिक स्थिति, भावना और भावों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इन क्रियाओं का इस्तेमाल भाषा के माध्यम से पठन, उच्चारण, अभिभाषण, रचना और संगीत आदि में किया जाता है।

यह क्रियाएं सामान्यतः एक वचन और पुलिंग होती है। और इसका कारण यह है, कि भाव वाच्य  क्रियाओं का इस्तेमाल व्यक्ति के अंतर्निहित भावों को व्यक्त करने के लिए होता है, जो सामान्य रूप से एक वचन और पुलिंग रूप में प्रकट होते हैं। जिसे हम उदाहरण के माध्यम से और अच्छी तरह से समझ सकते हैं –

उदाहरण के लिए –

चलो: चलना – इस तरह के वाक्यों का इस्तेमाल लोगों को आमंत्रित करने या बुलाने के लिए प्रयोग किया जाता है ताकि वह साथ चले या किसी स्थान की ओर बढ़े

आइए:  आना – इस तरह के वाक्यों को स्वागत, निमंत्रण या मिलने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

बैठिए:  बैठना – यह शब्द लोगों को बैठने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

अकर्मक क्रियाएँ भाव वाच्य में व्यक्ति के भाव,  भावना या स्थिति को व्यक्त करने के लिए प्रयोग की जाती है।  यह क्रियाएं वास्तविक क्रियाओं के प्रयोग के बजाय व्यक्ति के आत्म संस्थापन या संवेदनशीलता को दर्शाने के लिए होती है।

भाव वाच्य का उदाहरण (Bhav Vachya ka Udaharan)

भाव वाच्य के कुछ उदाहरण इस तरह से हैं, जिनके माध्यम से आप भाव वाच्य किसे कहते हैं अच्छी तरह से समझ जाएंगे। जैसे कि –

राम खुश है

श्याम रो रहा है

मुझे डर लग रहा है

प्रीति अपने कार्य से संतुष्ट है

अर्चना विचलित हो रही है

उसने मुझसे प्यार किया था

शंकर हमेशा अपने अभिमान में रहता है

हमें आप पर पूर्ण विश्वास है

सभी लोग शीतल को देखकर आश्चर्यचकित हो गए थे। प्रियांशु से खाया नहीं जा रहा है।

धूप इतनी ज्यादा है, कि चला नहीं जा रहा है।

ऊपर दिए गए वाक्यों में डर, संतुष्ट, खुश, रोना, प्यार, घबराना, अभिमान, विश्वास आदि जैसे शब्द किसी के भाव को दर्शा रहे हैं। जिसका अर्थ है कि यह वाक्य भाव वाच्य है।

भाव वाच्य को कैसे पहचाने (Bhav Vachya Ko Kaise Pehechane)

भाव वाच्य को पहचानने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। जैसे कि –

क्रिया –

हमेशा भाव वाच्य में प्रयुक्त क्रिया अकर्मक होती है, इसलिए प्रायः वाक्यों को ध्यान से देखें और यह जांचे की क्या वाक्य में प्रयोग क्रिया किसी भाव, भावना या स्थिति को व्यक्त कर रही है या नहीं।

पुरुष और वचन –

भाव वाच्य में क्रियाएँ सामन्यतः पुलिंग और एकवचन होती है, इसलिए यदि क्रिया एकवचन और पुलिंग रूप में हो, तो यह भाव वाच्य की संकेत हो सकती है।

संधि

भाव वाच्य में बहुत सारे संधि नहीं होते हैं। विशेष रूप से जब आप क्रिया की ओर ध्यान दे रहे है, तो आपको संधि के नियमों को ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि भाव वाच्य में क्रिया के बाद किसी विशेष संधि के आधार पर उसकी पहचान की जा सकती है।

परिवर्तनशील –

भाव वाच्य क्रियाएं व्यक्ति के आंतरिक भावों और अनुभवों को व्यक्त करने के लिए होती है। इसलिए भाव वाच्य क्रियाओं का प्रयोग वाक्य के संदर्भ में उसके पाठकों को उन भावनाओं को स्पष्ट करने में मदद करता है, जिन्हें व्यक्ति अनुभव कर रहा है।

इन तत्वों के आधार पर आप भाव वाच्य क्रियाओं को पहचान सकते हैं और उन्हें अन्य क्रियाओं से अलग कर सकते हैं।

भाव वाच्य प्रयोग करने के नियम क्या है (Bhav Vachya Prayog Karne Ke Niyam Kya Hai)

भाव वाच्य क्रियाओं को प्रयोग करने के नियम कुछ इस तरह है, जिनका आपको पालन करना बहुत जरूरी है।  इन नियमों के बारे में हम यहां नीचे बात कर रहे हैं। जैसे कि –

क्रियापद के रूप में प्रयोग –

भाव वाच्य क्रिया को क्रियापद के रूप में प्रयोग करना होता है। क्रियापद में विशेष प्रत्यय, उपसर्ग या संबोधन का प्रयोग हो सकता है।

व्यक्ति, पुरुष और वचन का सामान्यतः प्रयोग-

भाव वाच्य क्रियाएँ सामन्यतः पुलिंग और एकवचन में होती है।  इसलिए क्रियापद को उन्हीं व्यक्ति, पुरुष और वचन में प्रयोग करना चाहिए जिन्हें व्यक्त किया जा रहा है।

उपसर्ग, प्रत्यय और संबोधन के साथ प्रयोग

भाव वाच्य क्रियाओं में उपसर्ग, प्रत्यय और संबोधन का प्रयोग हो सकता है। इनका उपयोग क्रियापद को परिवर्तित और भाव वाच्य को संकेतित करने के लिए किया जाता है।

संधि के नियम का पालन

भाव वाच्य क्रियाओं को वाक्य में प्रयोग करते समय, संधि के नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। और क्रियापद को वाक्य के संदर्भ में सही रूप से संधित करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज का यह लेख भाव वाच्य की परिभाषा, उदाहरण एवं प्रयोग के नियम यहीं पर समाप्त होते है। आज के इस लेख में हमने भाव वाच्य किसे कहते हैं,  के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की है। उम्मीद करते हैं, यहां दी गई जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गई होगी।

लेकिन इसके बावजूद यदि यह लेख आपको पसंद आया हो, तो इसे जितना अधिक हो सके इतना शेयर करें ताकि और लोगों को भी हिंदी व्याकरण के इस विषय की जानकारी हो सके।

FAQ

भाव वाच्य क्या होता है?

वैसे वाक्य जिनमे कर्ता और कर्म दोनों की ही प्रधानता ना हो बल्कि वाक्यों में भाव का बोध हो या भाव की प्रधानता हो तो उसे भाव वाच्य कहा जाता है।

भाव वाच्य के उदाहरण क्या है?

भाव वाच्य के उदाहरण है – राम खुश है, मेरा मन विचलीत है, वह उसकी बातों से संतुष्ट है।

भाव वाच्य में कौन सी क्रिया होती है?

भाव वाच्य में प्रायः अकर्मक क्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।

मुझ से चला नहीं जाता कौन सा वाच्य है?

इस वाक्य में कर्ता और कर्म दोनों में किसी कि प्राथनाता नहीं है बल्कि यहां क्रिया के भाव का बोध हो रहा इसलिए यह भाव वाच्य है।

भाव वाच्य वाक्यों में कैसे प्रयोग किया जाता है

भाव वाच्य को क्रियापद के रूप में वाक्यों में इस्तेमाल किया जाता है। इन क्रियाओं को सामान्यतः पुलिंग,  एकवचन में प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही उपसर्ग, प्रत्यय और संबोधन का भी प्रयोग हो सकता है।

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