जाति वाचक संज्ञा परिभाषा, उदाहरण और प्रकार (Jaati Vaachak Sangya In Hindi)

Jaati Vaachak Sangya

जाति वाचक संज्ञा की परिभाषा

जैसा कि हम जानते हैं कि, किसी भी वस्तु, व्यक्ति / प्राणी, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं और अर्थ के आधार पर इसके पांच प्रकार होते हैं। आज हम संज्ञा के  प्रकार, जाति वाचक संज्ञा के विषय में विस्तार से जानते हैं।  तो जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि, जाति यानी कि एक संपूर्ण वर्ग या समुदाय, तो इस प्रकार, हिंदी व्याकरण के अनुसार,  जाति वाचक संज्ञा की परिभाषा इस प्रकार होती है,

” जिन शब्दों से, किसी भी व्यक्ति/ प्राणी, वस्तु अथवा स्थान की संपूर्ण जाति का बोध होता है, उन संज्ञा शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।”

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि, जिस नाम से एक ही प्रकार की तथा समान गुणधर्मों वाली वस्तु, व्यक्ति अथवा प्राणी का बोध होता है, उसे जाति वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे,

लड़का, पेड़, मोर, खिलौना, बिल्ली, चूहा, पहाड़, पुस्तक, विद्यालय, मंदिर, कबूतर, पंडित, नदी, बकरी, डॉक्टर, फूल, फल, शहर, देश, ग्रह इत्यादि। यहां पर, लड़का किसी का नाम नहीं है बल्कि यह संपूर्ण लड़कों के वर्ग को दर्शाता है, इसी तरह पेड़ शब्द से किसी खास पेड़ का नाम स्पष्ट नहीं हो रहा है बल्कि यह सभी प्रकार के पेड़ को दर्शाने वाला शब्द है। मोर एक पक्षी जरुर है, लेकिन यहां पर मोर का कोई नाम विशेष नहीं बताया गया है इसलिए मोर एक मोरों की जाति को दर्शाने वाला जातिवाचक शब्द है।

जाति वाचक संज्ञा के उदाहरण

अब हम कुछ वाक्यों के द्वारा, जातिवाचक संज्ञा को और अधिक अच्छे से समझते हैं। इन सभी वाक्यों को ध्यान से पढ़िए।

1 पक्षी आकाश में उड़ते हैं।

2 कुत्ता एक वफादार पशु होता है।

3 किसान खेतों में काम करता है।

4 बच्चें मन के सच्चे होते हैं।

5 तेज़ बारिश के कारण नदियों का जल स्तर बढ़ गया है।

6 अंतरिक्ष में छोटे बड़े कई ग्रह और उपग्रह होते हैं।

7 पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

8 नर्स ने मरीज़ को इंजेक्शन लगाया।

9 बुरहानपुर मध्यप्रदेश का एक जिला है।

10 मंत्री जी ने मूर्ति का शिलान्यास किया।

11 कपिल देव, एक महान खिलाड़ी है।

12 राहुल ने नई कार खरीदी है।

13 आम फलों का राजा है।

14 तकिए के गलेफ बदल दो।

15 दादी को सोने दो।

16 शिक्षक पढ़ा रहे हैं।

17 मेज़ पर कपड़े रखें हुए हैं।

18 बुढ़िया लाठी लेकर चल रही है। 

19 उसका भाई अस्पताल में भर्ती है।

20 पंडित जी हवन करा रहे हैं।

इन सभी वाक्यों में, अंडरलाइन किए गए शब्द, किसी व्यक्ति/ प्राणी, वस्तु अथवा स्थान के नाम विशेष को नहीं बता रहे हैं, बल्कि उस व्यक्ति/ प्राणी, वस्तु अथवा स्थान की संपूर्ण जाति या वर्ग का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये सभी जातिवाचक संज्ञा शब्द हैं।

जाति वाचक संज्ञा के प्रकार

द्रव्य वाचक संज्ञा और समूहवाचक या समुदाय वाचक संज्ञा, मूलतः जातिवाचक संज्ञा के ही दो प्रकार होते हैं। आइए इनके विषय में जानते हैं।

द्रव्य वाचक संज्ञा

जिन शब्दों से, किसी पदार्थ (ठोस या द्रव्य) या धातु का बोध होता है, उन्हें द्रव्य वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे,

दाल, दूध, दही, सोना, पीतल, टमाटर, चावल, तेल इत्यादि। उदाहरण के लिए,

1 दादी ने रेणु को एक लीटर तेल लाने के लिए कहा।

2 सोने के गहने बहुत मूल्यवान होते हैं।

समूह वाचक / समुदाय वाचक संज्ञा

जिन संज्ञा शब्दों से, किसी भी व्यक्ति या वस्तु के समुदाय या समूह का बोध होता है, उन्हें समुदाय वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे,

भीड़, गुच्छा, झुंड, सेना इत्यादि। समूह वाचक संज्ञा के उदाहरण,

1 मेरे परिवार में चार सदस्य हैं।

2 भारतीय सेना ने कई बार अपने शौर्य का परिचय दिया है।

जातिवाचक संज्ञा और व्यक्ति वाचक संज्ञा में अंतर

जातिवाचक संज्ञा और व्यक्ति वाचक संज्ञा में यही अंतर है कि, व्यक्तिवाचक संज्ञा से हम जिस व्यक्ति, वस्तु या स्थान के विषय में बात कर रहे हैं, उसीका नाम स्पष्ट होता है जबकि जातिवाचक संज्ञा से किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान का नाम स्पष्ट ना होकर, उसकी जाति, वर्ग या समुदाय का नाम स्पष्ट होता है। परंतु वाक्य के आधार पर, जातिवाचक संज्ञा शब्दों का प्रयोग , व्यक्ति वाचक संज्ञा शब्दों के रुप में किया जाता है। जैसे,

”  भारत एक खोज, पुस्तक पंडित जी ने लिखी है।”

यहां पर पंडित जी से तात्पर्य पंडित जवाहरलाल नेहरू से है, लेकिन पंडित शब्द एक जातिवाचक संज्ञा शब्द है जो संपूर्ण पंडित जाति को दर्शाता है, उपरोक्त वाक्य में पंडित शब्द को व्यक्तिवाचक संज्ञा के रुप में उपयोग किया गया है।

इसी तरह कभी कभी, व्यक्ति वाचक संज्ञा शब्दों को भी जातिवाचक संज्ञा शब्दों के स्थान पर लिखा जाता है।

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