” जीत के लिए संघर्ष कर, हार को भी स्वीकार कर,
सफलता की राह में, मेहनत को हथियार कर….
जिद कर, मनमानी कर, खुद पर विश्वास कर,
सपने भी देख तू, आलस पर भी प्रहार कर…
हौसले को बना सारथी, निराशा पर वार कर,
राह में मुश्किलें भी होंगी,हर मुश्किल का संहार कर..
जीत तो निश्चित ही है, उठ कर दिखा तू हार कर,
उठ कर दिखा तू हार कर” ।
ऐसा कौन-सा इंसान होगा, जो अपने जीवन में सफल होने का सपना नहीं देखता होगा। हर कोई ये सपना देखता है और अपनी मंजिल तक पहुंचना चाहता है, और वहां तक पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास भी करता है।
परंतु कभी-कभी अपनी संपूर्ण शक्ति लगाकर भी यदि हमें असफलता ही मिलती हैं, तो हम निराशा से घिर जाते हैं और हार मान कर बैठ जाते हैं।पर ये बिल्कुल भी सही बात नहीं है। हार मान लेना तो, किसी भी समस्या का समाधान हो ही नहीं सकता है। बल्कि हमें तो यह सोचना चाहिए कि वाकई में क्या हम इतने कमजोर है कि मात्र एक असफलता से विचलित हो जाएं, या हार मान लें। इसलिए खुद पर विश्वास रखकर, अपनी क्षमताओं को पहचानने और हर चुनौती को स्वीकार करने में ही हमारी भलाई है। धीरे-धीरे ही सही,जीत निश्चित ही हमारी होगी।
माना कि हारना किसी को भी पसंद नहीं होता है।पर ये भी तो सच है कि हार और जीत दोनों, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जिस तरह हमेशा ही हेड़ नहीं आ सकता,या हमेशा ही टेल भी नहीं आ सकता है उसी प्रकार हमेशा ही हमारी हार ही होगी ये तो असंभव है, आज नहीं तो कल,जीत भी निश्चित ही होती है।
किसी भी सफलता को हासिल करने के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ता है,और उस संघर्ष में यदि हम हार भी जाते हैं, तो फिर से उठकर खड़े भी तो हों सकते हैं। बस जरूरत है तो खुद पर विश्वास करने की। और अपनी योग्यता को बढ़ाने की।
अपनी असफलता को एक हार की तरह ना मान कर, एक सबक की तरह देखना चाहिए। निराश होकर हाथ पर हाथ धर कर बैठने के बजाय,हमसे क्या,कहां और कैसे कमी रह गई है, उस पर ध्यान देना चाहिए।और कोशिश करना चाहिए कि दुबारा हमसे फिर वहीं गलतियां ना हो और अगली बार हमें जीत हासिल हो सके।समय बड़ा ही किमती होता है, उसे बेकार की बातें सोचने में जाया नहीं करना चाहिए बल्कि आगे की रणनीति पर विचार करने और उसे क्रियान्वित करने में अपना पूरा सामर्थ्य लगाना चाहिए।
याद रखिए कि यह हमारी जिंदगी है,और हमें अपने जीवन की हर लड़ाई अकेले ही लड़नी होती है। कोई हमें एक हद तक ही सहायता कर सकता हैं, या फिर हमारा मार्गदर्शन कर सकता हैं, परंतु असली मेहनत तो हमें खुद ही करनी होती है। हमारी हार और जीत का परिणाम सिर्फ और सिर्फ हम पर ही निर्भर करता है। हमारी इच्छा,हमारा विश्वास, हमारा निर्णय, हमारा दृष्टिकोण,हमारा संकल्प और हमारा निश्चय ही हमारे लिए सफलता के नए द्वार खोलता है।
अपने लक्ष्य को हासिल करने में हमें चाहे जितनी बार भी कोशिश करनी पड़े या चाहें कितनी ही बार हम हार जाएं पर पीछे कभी ना हटे और एक ना एक दिन सफलता अवश्य ही मिलेगी, इस बात पर अटूट विश्वास रखकर अपनी ओर से पूरी मेहनत करते हुए आगे बढ़ते जाएं और अपनी कोशिशों में कोई कसर न छोड़ें तो हमें जीतने से कोई भी रोक नहीं सकता हैं। आपने तो सुना ही होगा कि “बिना कुछ किए जय जयकार नहीं होती है, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती हैं”। आज नहीं तो कल जीत निश्चित ही हमारी होगी।
अपनी हार को स्वीकार करके उसका विश्लेषण करना, हर किसी के बस की बात नहीं होती है । यदि हम अपनी जीत को लेकर आश्वस्त और संकल्पबद्ध है तो हम निश्चित ही अपनी हार के कारण और निवारण पर ध्यान केंद्रित करेंगे और अपनी कमियों को स्वीकार करके उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे। सही मायने में,यही से हमारी जीत की शुरुआत हो जाती है।
माना कभी-कभी लगातार मिलने वाली असफलता और हार से हमारा मनोबल और हौसला दोनों ही कमजोर हो जाते हैं,और यह बहुत ही स्वाभावीक सी बात भी है। ऐसे समय में हमें अपने आसपास के माहौल से शिक्षा लेने का प्रयास करना चाहिए, हमें ऐसे लोगों या छोटे-छोटे जीवों को देखना चाहिए जो कमजोर या अपाहिज होते हुए भी कभी हार नहीं मानते हैं,और अपनी कोशिश और मेहनत से असंभव से असंभव कार्य को भी संभव कर दिखाने का हौसला रखते हैं।
आज दुनियां में जितने भी कामयाब लोग हैं, उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ना जाने कितनी ही असफलताओं, मुश्किलों, मुसीबतों और हार का मुंह देखा होगा,पर बजाय निराश होकर,पीछे हट जाने के उन्होंने कड़े संघर्ष का रास्ता ही चुना और उसी पर आगे चलते हुए सफलता की बुलंदियों को छुआ है। अतः हम कह सकते हैं कि,
” कामयाबी जिसे कहते हैं, क्या यूं ही हासिल हो जाती है,
ये तो तब मिलती हैं जनाब,जब दिन का चैन गंवाकर,और रातों से बातें होती है।”
जब भी कभी प्रतिकूल समय में, हम निराशा से घिरने लगें, हमें इन लोगों की जीवनी पढ़नी चाहिए और उनके जीवन से सबक लेते हुए अपने आप को विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकालने की कोशिश करनी चाहिए। याद रखिए, ऐसे समय में केवल हम खुद ही अपनी सहायता कर सकते हैं, दुसरे केवल हमें सांत्वना ही दे सकते हैं।
हमारा संघर्ष जितना बड़ा और मुश्किल भरा होता है, सफलता भी उतनी ही बड़ी होती है। हारना कमजोरी की निशानी नहीं होती है,बल्कि हार मान लेना ही हमारी कमजोरी होती है। जब तक हम हार को कबूल नहीं करते हैं तब तक हम जीते हुए ही कहलाते हैं। संघर्ष को करते हुए हम थक सकते हैं, परेशान हो सकते हैं, निराश भी हो सकते हैं, पर कभी भी झुक नहीं सकते हैं। इसलिए जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।