महत्त्वाकांक्षी बनो

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महत्वाकांक्षा मतलब  महत्त्व+आकांशा, अर्थात कुछ बड़ा या महत्त्वपूर्ण पाने की आकांक्षा, तमन्ना या अभिलाषा। या यूं कहें कि जीवन में कुछ खास पाने या करने की इच्छा। आज के इस प्रतियोगिता भरे समय में हमारी सबसे बड़ी जरूरत है महत्त्वाकांक्षी होना और सभी के अंदर यह गुण होना अत्यंत आवश्यक है।

मनुष्य का जीवन भी मात्र एक संघर्ष है। जन्म लेने से लेकर तो आंखरी सांस तक हम केवल और केवल संघर्ष ही करते है। हमारे संघर्ष की कहानी कभी खत्म नहीं होती,बल्कि इसमें रोज कुछ न कुछ चीजें जुड़ती चली जाती है। ऐसे में सफलता प्राप्त करने के लिए भी एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है।

महत्वाकांक्षा ऐसी चीज है, जो किसी में भी हो सकती है, उपर तो हर कोई उठना चाहता है। अपनी मंजिल तो हर किसी ने सोच कर रखी होती हैं। पर उस तक पहुंचने की तैयारी सबकी अलग-अलग होती है।सबकी अपनी विशेषताएं होती है, विशेषज्ञताएं होती है और क्षमताएं होती है। हमें महत्त्वाकांक्षी तो होना चाहिए बस इन्हे ध्यान में रखकर।

हर दौर का युवा वर्ग दो हिस्सों में बंटा होता है, एक वर्ग जो बहुत जागरूक हैं, सजग है, मेहनती हैं और महत्त्वाकांक्षी है। वो सपने भी देखता है और उन्हें पूरा करने का हौसला और सामर्थ्य भी रखता है। वहीं दूसरी ओर एक युवा वर्ग है जो केवल महत्त्वाकांक्षी है, सिर्फ सपने देखता है पर उन्हें पूरा करने के लिए आवश्यक मेहनत नहीं करना चाहता और जल्द से जल्द, बिना संघर्ष किए सफलता के शिखर पर पहुंच जाना चाहता है। ये वही लोग हैं जो हर चीज में शॉर्ट कट ढूंढते हैं। पर ऐसे से भले ही वो थोड़ी सी सफलता हासिल भी कर ले, पर यह क्षणिक ही होती है।ऐसी महत्त्वाकांक्षा का कोई मुल्य या महत्व नहीं होता है।

ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो जीवन में सफल होना नहीं चाहता, बल्कि हर कोई सफलता के शिखर पर पहुंचना चाहता है। आज हर क्षेत्र में जितनी प्रतियोगिता है, उतने ही पर्याय भी है और अपनी पसंद का पर्याय चुनने की आज़ादी भी है। पहले के समय में हर क्षेत्र में काम को दो हिस्सों में बांटा गया था, लड़कों या मर्दों का काम और लड़कियों या औरतों का काम। दोनों को ही एक-दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप करने की आजादी नहीं थी। परंतु अब जमाना बदल गया है। आप अब अपनी रुचि और क्षमताओं के अनुरूप कोई भी क्षेत्र चुन सकते है और उसमें काम करते हुए अपनी पहचान बना सकते हैं। बस जरूरत है तो सही मार्गदर्शन की।

सफलता की ऊंचाई पर पहुंचना है तो मेहनत का कोई पर्याय नहीं है, मेहनत तो आपको करनी ही होगी। किसी भी गंतव्य तक पहुंचने के लिए जिस प्रकार हमें उसका पूरा पता और रास्ते में आने वाले हर पड़ाव और हर बाधा का ज्ञान होना आवश्यक है, उसी प्रकार हमरी सफलता की मंजिल पर पहुंचने के लिए भी हमें राह में आने वाली सभी बाधाओं को समझदारी से पार करना होता है। यदि आप महत्त्वाकांक्षी है तो अपनी मंजिल तक जरुर पहुंच जाएंगे। इसके लिए काम के प्रति आपका समर्पण, आपका जूनुन, आपकी इच्छा, आपका आत्मविश्वास और आपका अभ्यास ये सब ही काम आएंगे।

अपने सपनों को साकार करने के लिए महत्त्वाकांक्षी होने में कोई भी बुराई नहीं है। बस महत्त्वाकांक्षा और अतिआत्मविश्वास में जो एक महिन सी रेखा है, उसे पहचानने की आवश्यकता है। बात थोड़ी कड़वी जरुर है पर सच तो यह है कि इंसान को अपनी योग्यता और क्षमता को देखते हुए ही सपने देखने चाहिए। अपनी कमजोरियों और खुबियों को हमसे बेहतर शायद ही कोई जानता होगा,तो इस बात को कबूल करने में कभी हिचकिचाएं नहीं कि आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं।अति महत्वकांक्षी या अतिआत्मविश्वास होने से कुछ हासिल नहीं होता है, बल्कि इससे हमारे पास जो योग्यता है, वो भी व्यर्थ हो जाती है। अतः सपने देखे सपने देखेंगे तभी उनको पूरा करने की कोशिश भी करेंगे। पर खुद को केंद्र में रखकर।

हम जीवन में बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति से प्रभावित हो जाते हैं। हमारी महत्वाकांक्षा होती है कि हम भी जल्द से जल्द उस जगह पर पहुंच जाएं, जिस जगह पर वो इंसान बैठा है। आखिर इसमें क्या बुरा है,हर किसी की अपनी महत्त्वाकांक्षाएं होती हैं, हर कोई प्रसिद्ध होना चाहता है, हर किसी का जीवन में कोई ना कोई आदर्श होता है और उसके जैसा वो बनना भी चाहता है। पर यहां गलत यह है कि हम उस व्यक्ति की सफलता को तो आसानी से देख लेते हैं, पर हम उस जगह पर पहुंचने के लिए, उस व्यक्ति के द्वारा किए गए संघर्ष, मेहनत और प्रयासों को बिल्कुल ही नजरअंदाज कर देते हैं।हम सफलता की मंजिल पर तो उसे पहुंचा हुआ देख लेते हैं, पर वहां तक के उसके सफ़र पर रौशनी ही नहीं डालते हैं। इसलिए जीवन में अपना एक आदर्श जरुर बनाएं तो साथ ही उसकी जीवनशैली या रहन-सहन, उसकी संघर्ष यात्रा, उसके चरित्र, उसके व्यक्तित्व, उसकी आदतों आदि का भी पूरा अध्ययन करे और उन्हें अपनाएं आत्मसात अवश्य करें। पर ये ना भूल जाएं कि आप आप है, और वो वो है। मतलब आप दोनों ही अलग अलग व्यक्तित्व है।

सफलता पाने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते हैं, हर वो काम करते हैं, जो हमें हमारी मंजिल तक पहुंचने में मदद करें। फिर भी हम यदि असफल हो जाते हैं तो हमारे पास सबसे आसान जगह है अपनी असफलता का दोष मढ़ने के लिए अपनी किस्मत और भगवान। हम असफल होने पर सबसे पहले इन्हे दोष देना नहीं भूलते हैं। माना हम अपनी ओर से पूरी कोशिश और मेहनत करते हैं, पर फिर भी कुछ कमियां तो हमसे भी रह जाती होगी,जो शायद हम देख नहीं पाते होंगे। अतिमहत्वाकांक्षी होने की वजह से हम कई बार खुद पर ही अन्याय कर बैठते हैं, हम स्वयं से अपनी योग्यता के परे जाकर उम्मीद कर लेते हैं और नतीजा यह कि हम लगातार असफल होकर निराशा में डूब जाते हैं और सारा दोष दूसरे को या किस्मत को दे देते हैं।

अतः हमेशा कुछ बातों का ध्यान रखें। महत्त्वाकांक्षी होना और सपने देखना बहुत अच्छी बात है, क्योंकि सपने देखेंगे तभी तो उन्हें पूरा करेंगे।पर दूरदर्शिता से, समझदारी से और उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखकर ही सपने देखे। अपनी योग्यताओं और क्षमताओं को नजरंदाज ना करें। महत्त्वाकांक्षी होना, जागरुक होना और मेहनत करना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत भी है, पर अतिमहत्वाकांक्षी होने से बचें। अपने अंदर अतिआत्मविश्वास और अहंकार को भी पनपने ना दे। जीवन में संतुलन बनाए रखें।

हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखें, जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी।

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