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Sambandhbodhak Avyay | संबंधबोधक अव्यय
इस लेख में आज हम संबंधबोधक अव्यय (Sambandhbodhak Avyay) के बारे में विस्तार पूर्वक बात करने वाले हैं। संबंधबोधक अव्यय हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय है। जिनके बारे में प्रत्येक अभ्यर्थियों को जानकारी होना अति आवश्यक है।
खास तौर पर उन विद्यार्थियों के लिए जो किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। हिंदी व्याकरण की महत्वता को देखते हुए हम यहां हिंदी व्याकरण का एक अहम विषय संबंधबोधक अव्यय क्या होता है|
संबंधबोधक अव्यय कैसे पहचाने जाते हैं तथा संबंधबोधक अव्यय कितने प्रकार के होते हैं आदि के बारे में बताने वाले हैं। तो चलिए फिर बिना देर किए इस लेख को शुरू करते हैं –
संबंधबोधक (Sambandhbodhak Avyay) अव्यय किसे कहते हैं
अविकारी शब्द या अवयव शब्द के चार प्रकार होते हैं, संबंधबोधक अव्यय इन्हीं में से एक है।
जब हम किसी संज्ञा या सर्वनाम पद के साथ किसी अव्यय का प्रयोग करके उन्हें जोड़ते हैं, तो वह अव्यय संज्ञा या सर्वनाम पदों के संबंध को स्पष्ट करते हैं और उनके बीच विशेष रिश्ता या परस्पर संबंध का बोध करते हैं, इन्ही अव्यय को हम संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।
यह अव्यय विभिन्न प्रकार के संबंध बताने में मदद करते हैं।
जैसे कि –
कारण, मारे, संग, सहित, बिना, अलावा, अतिरिक्त, बगैर, वास्ते, इधर, उधर, पीछे, पास- पास, बदले, आगे इत्यादि।
इन अवयवों का उपयोग वाक्य में कुछ इस तरह से किया जाता है –
जैसे कि –
हेतु – उसने जानकारी के हेतु पुस्तक पढ़ी। (इस वाक्य में हेतु शब्द के माध्यम से यह बताया जा रहा है, कि पुस्तक को पढ़ने का कारण जानकारी प्राप्त करना है।)
संग – राहुल खेत में खेलते समय अपने दोस्तों के संग था। (इस वाक्य में संग द्वारा यह बताया जा रहा है, कि राहुल खेत में खेलते समय अपने दोस्तों के साथ था)
साथ – मेरे बच्चे अपने खिलौनों के साथ खुश थे। (इस वाक्य में साथ शब्द के द्वारा यह बताया जा रहा है, कि बच्चे अपने खिलौनों के साथ खुश है।
अतिरिक्त – अलीशा बिस्कुट के अतिरिक्त चॉकलेट भी खाती है। (इस वाक्य में अतिरिक्त शब्द के माध्यम से यह बताया जा रहा है, कि अलीशा बिस्कुट के साथ-साथ चॉकलेट का सेवन भी कर रही है।)
संबंधबोधक अव्यय (Sambandhbodhak Avyay) की परिभाषा क्या है
ऐसे अव्यय पद जो संबंध का बोध करवाते हैं संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। इनका इस्तेमाल विशेष तौर पर दो संज्ञा या सर्वनाम पदों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है।
हिन्दी में कई ऐसे संबंधबोधक अव्यय है, जो विशेषतौर पर संस्कृत और उर्दू भाषा से आए है। यहां हम इन दोनों भाषाओं से संबंधित कुछ संबंधबोधक अव्यय उदाहरण के रूप में बता रहे हैं।
जैसे कि –
संस्कृत भाषा से लिए गए संबंधबोधक अव्यय कूछ इस तरह है –
निकट, अपेक्षा, सम्मुख, भांति, विपरीत, समक्ष, हेतु, विषय, उपरांत, द्वारा, अतिरिक्त, कारण, बिना, अपेक्षा, निमित्त, समीप आदि।
उर्दू भाषा से लिए गए कुछ संबंधबोधक अव्यय इस तरह है –
खातिर, सबब, बदौलत, बदले, रूबरू, तरह, सिवा, नजदीक, जरिए, बाबत, बदले आदि।
संबंधबोधक अव्यय (Sambandhbodhak Avyay) उदाहरण क्या है
यहां हम नीचे संबंधबोधक अव्यय से संबंधित कुछ उदाहरण बता रहे हैं, जिनके माध्यम से आपको संबंधबोधक अव्यय को अच्छी तरह से समझने में मदद होगी।
जैसे कि –
- राम के बिना श्याम पार्टी नहीं जाएगा।
- मनोज अपने मित्रों के साथ मेला घूमने गया है।
- दिनेश को पढ़ाई के अतिरिक्त सब कुछ याद रहता है।
- चंचल अपने मित्रों के संग कॉलेज ट्रिपल गया है।
- विद्यालय के सामने कई दुकाने हैं।
- मेरे समीप एक पागल सा लड़का खड़ा है।
- तुम्हारे घर के निकट किसका घर है?
- रायता के बगैर बिरयानी अधूरी होती है।
- तुम्हारे कारण आज हम स्कूल देर से पहुंचे।
- राधा और सीता हमेशा साथ घूमती हैं।
- निशा को पढ़ाई के अतिरिक्त खेलकूद में भी रूचि है।
- हमारे घर के सामने एक छोटा सा पार्क है।
- नदी के ऊपर पुल बना है।
- अचानक बारिश के कारण लोग इधर-उधर भागने लगे।
- हाईवे के समीप एक चाय की गुमटी है।
संबंधबोधक अव्यय (Sambandhbodhak Avyay) कितने प्रकार के होते हैं
संबंधबोधक अव्यय को विभिन्न आधारों के अंतर्गत बांटा गया है। जैसे कि –
- काल के आधार पर
- प्रयोग के आधार पर
- व्युत्पत्ति के आधार पर
काल के आधार पर
काल के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के कुल 13 प्रकार होते हैं। जैसे कि –
- साधनवाचक संबंधबोधक अव्यय
- तुलनावाचक संबंधबोधक अव्यय
- कालवाचक संबंधबोधक अव्यय
- दिशावाचक संबंधबोधक अव्यय
- विषयवाचक संबंधबोधक अव्यय
- स्थानवाचक संबंधबोधक अव्यय
- हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय
- विनिमय वाचक संबंधबोधक अव्यय
- व्यक्तिरेकवाचक संबंधबोधक अव्यय
- सहचार वाचक संबंधबोधक अव्यय
- विरोध वाचक संबंधबोधक अव्यय
- सादृश्यवाचक संबंधबोधक अव्यय
- संग्रह वाचक संबंधबोधक अव्यय
साधनवाचक संबंधबोधक अव्यय
ऐसे अव्यय शब्द जो किसी साधन को दर्शाते हैं, वे साधनवाचक संबंधबोधक कहलाते हैं। जैसे कि द्वारा, माध्यम, जरिए, निमित्त आदि।
उदाहरण के लिए – यह नृत्य मेघा के द्वारा किया जा रहा है।
तुलनावाचक संबंधबोधक अव्यय
इन अवयवों से किसी वस्तु की तुलना करने के लिए दूसरी वस्तु संबंधित होती है। जैसे समान रूप से, भांति, की, तरह आदि।
उदाहरण के लिए – मनोज राम की तरह है बातें करता है।
कालवाचक संबंधबोधक अव्यय
जो अव्यय शब्द समय का बोध कराते हैं, उन्हें कालवाचक संबंधबोधक अव्यय कहा जाता है। जैसे आगे, पीछे, उपरांत, पश्चात, बाद, पहले आदि।
उदाहरण के लिए – राम के पीछे सीता आ रही है।
दिशावाचक संबंधबोधक अव्यय
ऐसे अव्यय शब्द जो दिशा का बोध कराते हैं उन्हें दिशा वाचक संबंधबोधक अव्यय कहा जाता है। जैसे कि सामने, तरफ, निकट, समीर, प्रति आदि।
उदाहरण के लिए – उसकी तरफ देखो वह कितना नादान है।
विषयवाचक संबंधबोधक अव्यय
इन अवयवों से वाक्य का विषय या कर्ता संबंधित होता है। जैसे कि तुम, आप, वे, वह आदि।
उदाहरण के लिए – तुम यहां कब आए?
स्थानवाचक संबंधबोधक अव्यय
ऐसी अव्यय जो स्थान के बारे में दर्शाते हैं स्थानवाचक संबंधबोधक काव्य कहलाते हैं। जैसे पीछे, निकट, ऊपर, बाहर, बीच, नीचे आदि।
उदाहरण के लिए – मेरे घर के सामने एक पार्क है।
हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय
इन अव्ययों से किसी कारण या हेतु का संबंध स्पष्ट होता है जैसे कि इसलिए, वजह, कारण, क्योंकि, इसी कारण आदि।
उदाहरण के लिए – इसलिए हम तुम्हें अपने साथ नहीं ले जा रहे थे।
विनिमय वाचक संबंधबोधक अव्यय
इन अव्ययों से किसी संबंध का अदला-बदली किया जाता है या दो वस्तुओं के बीच अंतर दिखाया जाता है जैसे कि तो, जैसे, भांति, की आदि।
उदाहरण के लिए – तुम जैसे और भी लोग यहां मौजूद है।
व्यक्तिरेकवाचक संबंधबोधक अव्यय
इन अवयवों से किसी संबंध के विरुद्धता या विपरीता का संबंध स्पष्ट होता है। जैसे कि नहीं, बल्कि, बहुत, विपरीत आदि।
उदाहरण के लिए – तुम्हारा नृत्य नहीं बल्कि राधा का नृत्य अधिक उत्तम था।
सहचार वाचक संबंधबोधक अव्यय
इन अव्ययों से किसी संबंध की समानता या सहचर के साथ संबंध बताया जाता है। जैसे कि संग, तथा, समेत, आदि।
उदाहरण के लिए – तुम लोगों सांग हम भी केदारनाथ भगवान के दर्शन करने जाएंगे।
विरोध वाचक संबंधबोधक अव्यय
ऐसे अव्यय शब्द जो विरोध या प्रतिकूलता को दर्शाते हैं विरोध वाचक संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। जैसे कि उल्टे, विरुद्ध, प्रतिकूल, विपरीत आदि।
उदाहरण के लिए – चोर डकैत कानून का उल्लंघन करते हैं |
सादृश्यवाचक संबंधबोधक अव्यय
इन अव्ययों से दो वस्तुओं के सदृश्य यानी समानता का संबंध दिखाया जाता है। जैसे कि अनुसार, सामान आदि।
उदाहरण के लिए – यह कार्य नियम के अनुसार ही किया जा रहा है।
संग्रह वाचक संबंधबोधक अव्यय
ऐसे अव्यय शब्द जो विभिन्न वस्तुओं के समूह के संबंध का बोध कराते हैं, संग्रह वाचक संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। जैसे कि समेत, संग, और आदि।
उदाहरण के लिए – राम और सीता मेला जा रही है।
प्रयोग के आधार पर
प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के दो प्रकार होते हैं जैसे कि –
- संबद्ध संबंधबोधक अव्यय
- अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय
संबद्ध संबंधबोधक अव्यय
ऐसे अव्यय शब्द जिनका इस्तेमाल खास तौर पर किसी कारक चिन्ह के बाद किया जाता है, वह संबद्ध संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। इसके अलावा वाक्य में मौजूद संज्ञा शब्द की विभक्ति के पीछे भी इन अव्व्य शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे – भोजन के बाद, तुम्हारे बिना, तुमसे पहले आदि।
उदाहरण के लिए –
मनोज के बिना शाम नहीं आएगा।
दवाइयां अक्सर भोजन के बाद ही खानी चाहिए।
विद्यालय ट्रिप पर जाने से पहले घरवालों से अनुमति लेना अनिवार्य है।
अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय
ऐसे अव्यय पद जिनका इस्तेमाल संज्ञा के विकृत रूप के साथ किया जाता है, वह अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। जैसे कि – समेत, सहित, सखियों, तक आदि।
उदाहरण के लिए –
- बच्चों समेत बड़े बुजुर्ग भी यहां मस्ती कर रहे हैं।
- दिशा सहित सभी लोगों ने मंदिर के दर्शन किए।
- जब तक सफलता ना मिले उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।
- गरीबों सहित हर किसी को भोजन कराना चाहिए।
व्युत्पत्ति के आधार पर
व्युत्पत्ति के आधार पर भी संबंधबोधक अव्यय के दो प्रकार होते हैं। जैसे –
- मूल संबंधबोधक अव्यय
- योगिक संबंधबोधक अव्यय
मूल संबंधबोधक अव्यय
ऐसे अव्यय पद जहां किसी दूसरे शब्द का योग ना हो, वे मूल संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। हिंदी भाषा में बहुत ही कम मात्रा में मूल संबंधबोधक अव्यय देखने को मिलते हैं। जैसे – बिना, पूर्वक, पर्यत, नाई आदि।
योगिक संबंधबोधक अव्यय
जब दो शब्दों से मिलकर नए संबंधबोधक अव्यय का निर्माण होता है, तो वे योगिक संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। जैसे – भीतर, बाहर, नाम, समान, जान, करके, मारे आदि।
संबंधबोधक अव्यय (Sambandhbodhak Avyay) कैसे पहचाने
संबंधबोधक अव्यय पहचानने के कई तरीके हैं, कुछ महत्वपूर्ण तरीकों के बारे में हम या नीचे बता रहे हैं। जैसे कि –
पढ़ें और समझें:
संबंधबोधक अव्ययों को पहचानने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण है, कि आप वाक्य को अच्छे से पढ़ें और समझें। अव्यय वाक्य ज्यादातर संज्ञा या सर्वनाम के साथ मिलते हैं और संबंध का बोध कराते हैं। वाक्य का पूरा संदर्भ समझने से आप संबंधबोधक अव्यय को भी सही रूप से पहचान सकते हैं।
संबंध पर ध्यान दें:
संबंधबोधक अव्यय हमेशा वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम पद के साथ संबंधित होते हैं। इन अव्ययों का मुख्य उद्देश्य संज्ञा या सर्वनाम पदों के संबंध को स्पष्ट करना होता है। इसलिए, जब आप वाक्य पढ़ते हैं, तो उन संज्ञा या सर्वनाम पदों को ढूंढें जिनके साथ ये अव्यय जुड़े हुए हैं।
संबंध के प्रकार:
संबंधबोधक अव्यय विभिन्न प्रकार के संबंध दर्शाते हैं, जैसे कारण, समय, स्थान, संख्या, तुलना, उपकरण, विरोध, समानता आदि। यदि आप विशेष प्रकार के संबंध के साथ अव्यय देखते हैं, तो आप उन्हें संबंधबोधक अव्यय के रूप में पहचान सकते हैं।
अभ्यास करें:
अव्ययों को पहचानने के लिए अभ्यास करना भी महत्वपूर्ण है। आप विभिन्न प्रकार के संबंधबोधक अव्ययों के उदाहरणों को पढ़कर और संज्ञा या सर्वनाम पदों के साथ मिलाकर उन्हें समझ सकते हैं। वाक्य रचना और भाषा के संदर्भ में भी अभ्यास करने से आपकी पहचान कौशल में सुधार होगा।
शब्दकोश का उपयोग:
अगर आपको किसी अव्यय का मतलब या प्रकार समझ में नहीं आता है, तो शब्दकोश का उपयोग कर सकते हैं। शब्दकोश आपको अव्ययों के अर्थ और उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।
निष्कर्ष
आज का यह लेख संबंधबोधक अव्यय (Sambandhbodhak Avyay) यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस लेख में हमने जाना कि संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं, संबंधबोधक अव्यय कितने प्रकार के होते हैं तथा संबंधबोधक अव्यय कैसे पहचाने जाते हैं?
उम्मीद करते हैं, हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हुई होगी और इस लेख के माध्यम से आपको संबंधबोधक अव्यय के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त हो गई होगी।
लेकिन इसके बावजूद यदि इस लेख से संबंधित आप को और अधिक जानकारी चाहिए या इससे संबंधित आप कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। यदि यह है आपको पसंद आया हो तो इसे जितना हो सके उतना अधिक शेयर करें।
FAQ
संबंधबोधक अव्यय क्या होते हैं?
जब हम किसी संज्ञा या सर्वनाम पद के साथ किसी अव्यय का प्रयोग करके उन्हें जोड़ते हैं, तो वह अव्यय संज्ञा या सर्वनाम पदों के संबंध को स्पष्ट करते हैं और उनके बीच विशेष रिश्ता या परस्पर संबंध का बोध करते हैं, इन्ही अव्यय को हम संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।
प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के कितने प्रकार हैं?
प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के दो प्रकार होते हैं।
संबंधबोधक अव्यय के उदहारण क्या है?
संबंधबोधक अव्यय के उदहारण है – राम संग सीता की जोड़ी सुंदर लगती है, विद्यालय के समीप एक बहुत बड़ी दुकान है, घर के नजदीक एक छोटा सा पार्क है।