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संज्ञा (Sangya)
किसी भी भाषा को समृद्ध करने में, उसके व्याकरण का बहुत महत्व होता है। इसीलिए किसी भी भाषा को अच्छे से सीखना हैं तो, पहले हमें उस भाषा के व्याकरण को समझना जरूरी है। आज हम हिन्दी भाषा के व्याकरण को समझने का प्रयास करते हैं और शुरुआत करते हैं, संज्ञा से।
संज्ञा किसे कहते हैं (Sangya Kise Kehete Hai)
सबसे पहले हम यह देखते हैं कि, संज्ञा किसे कहते हैं (Sangya Kise Kehte Hain)। तो संज्ञा की परिभाषा इस प्रकार है –
” किसी भी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जाति, गुण तथा भाव के “नाम” को संज्ञा कहते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि, इस दुनियां की हर एक वस्तु और हर एक प्राणी का नाम, संज्ञा ही है। संक्षिप्त में कहा जाए तो, “किसी भी नाम को दर्शाने वाले शब्द को ही संज्ञा कहते हैं।”
संज्ञा के उदाहरण (Sangya Ke Udaharan)
अब हम इसे, कुछ उदाहरणों के द्वारा और अधिक अच्छे से समझते हैं। इन वाक्य को पढ़िए,
- राम, एक बुद्धिमान लड़का है।
- चीता बहुत तेज दौड़ता है।
- इंदौर एक स्वच्छ शहर है।
- राजु को पढ़ाई करते हुए देखकर, उसकी मां बहुत खुश हुई।
- दही बहुत खट्टा हैं।
- ताजमहल आगरा में है।
- रेलगाड़ी अपने नियत समय पर स्टेशन पर आ गई थी।
पहले वाक्य में, राम एक लड़के का नाम है, इसलिए राम एक संज्ञा है। इसी वाक्य में, बुद्धिमान एक गुण है, इसलिए बुद्धिमान भी एक संज्ञा है।
इसी तरह दुसरे वाक्य में, चीता एक पशु है और इससे पशुओं की एक जाति का बोध होता है, इसलिए चीता एक संज्ञा हुई।
इसी प्रकार बाकी के वाक्यों में क्रमशः, इंदौर, स्वच्छ, राजु, खुश, दही, खट्टा, ताजमहल, आगरा और रेलगाड़ी ये सभी संज्ञा ही हैं।
संज्ञा के भेद (Sangya Ke Bhed)
संज्ञा को और अधिक अच्छे से समझने के लिए, हमें उसके प्रकारों को अच्छी तरह जान लेना आवश्यक है। संज्ञा के पांच प्रकार होते हैं, जो क्रमशः इस प्रकार है –
- व्यक्ति वाचक संज्ञा
- जाति वाचक संज्ञा
- समूह वाचक संज्ञा
- द्रव्य वाचक संज्ञा
- भाव वाचक संज्ञा
आइए अब हम, संज्ञा के इन सभी प्रकारों को, और अच्छी तरह उदाहरण सहित समझते हैं, जिससे हमें, संज्ञा को समझना और भी आसान हो जाए।
व्यक्ति वाचक संज्ञा किसे कहते है ?
जिन शब्दों से, किसी विशेष व्यक्ति, विशेष वस्तु और विशेष स्थान के नाम का बोध होता है, उसे व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते हैं। यह हमेशा एक वचन के रुप में ही होती है।
अर्थात वे सभी शब्द, जो किसी एक ही व्यक्ति विशेष, एक ही वस्तु विशेष और एक ही स्थान विशेष का बोध कराते हैं, व्यक्ति वाचक संज्ञा कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, राजु, कार, दिल्ली, दीपिका, बैंगलोर, गीता इत्यादि।
व्यक्ति वाचक संज्ञा के उदाहरण
व्यक्ति वाचक संज्ञा शब्दों का हम वाक्यों में प्रयोग देखते हैं,
- राखी एक सुंदर लड़की है।
- श्री नरेन्द्र मोदी जी हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं।
- मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल है।
- हम हवाई जहाज में बैठकर हैदराबाद गए थे।
- महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था।
- रामायण विश्व का एक महानतम ग्रंथ है।
- श्रीलंका हमारा पड़ोसी देश है।
- सीमा की कार का रंग लाल है।
- भगवान श्रीकृष्ण ने, गीता का ज्ञान दिया है।
- मुंशी प्रेमचंद एक महान लेखक थे।
उपरोक्त सभी वाक्यों में, रेखांकित किए गए सभी शब्द व्यक्ति वाचक संज्ञा को दर्शाते हैं। यह सभी शब्द, एक वचन में हैं, और किसी एक ही व्यक्ति, वस्तु या स्थान विशेष का प्रतिनिधित्व करते हैं।
यदि यही शब्द बहुवचन में हो, तो संज्ञा का प्रकार बदल जाता है। अर्थात, यहां पर, उन्हीं शब्दों को किया गया है, जो किसी विशेष व्यक्ति, विशेष वस्तु या किसी विशेष स्थान का बोध कराते हैं।
जाति वाचक संज्ञा किसे कहते है ?
जाति का अर्थ होता है, किसी एक विशेष वर्ग से संबंधित होना। जो शब्द किसी व्यक्ति विशेष, स्थान विशेष या वस्तु विशेष की जाति या उसके वर्ग विशेष का बोध कराते हैं, उन्हें जाति वाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे, यदि हम उपरोक्त वाक्यों को ही देखें, तो उनमें, लड़की, देश, प्रधानमंत्री, राजधानी, ग्रंथ, रंग, भगवान, लेखक, यह सभी किसी ना किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान की जाति बताने वाले शब्द हैं।
इसलिए यह सभी जाति वाचक संज्ञा हैं। जाति वाचक संज्ञा हमेशा बहुवचन के रुप में ही होती हैं, क्योंकि यह केवल एक ही वस्तु, प्राणी या स्थान को नहीं, बल्कि पूरी जाति को दर्शाती हैं। इसे हम और अधिक अच्छे से समझते हैं।
जैसे, रामायण, महाभारत, गीता, बाइबल, कुरान इत्यादि सभी अलग अलग धर्मों की धार्मिक पुस्तकें हैं और एक वचन हैं इसलिए व्यक्ति वाचक संज्ञा हैं।
लेकिन इन सभी पुस्तकों को हम एक ही वर्ग अर्थात “धार्मिक ग्रंथ” की श्रेणी में रख सकते हैं। इस प्रकार “धार्मिक ग्रंथ ” एक संपूर्ण जाति या वर्ग का बोध कराते हैं। जैसे, शिक्षक, महिलाएं, बच्चें, पहाड़, नदियां, शहर, घर इत्यादि।
समूह वाचक संज्ञा किसे कहते है ?
जिन शब्दों से, किसी भी व्यक्ति या वस्तु विशेष के समूह का बोध होता है, उन सभी शब्दों को, समूह वाचक संज्ञा कहते हैं। समूह वाचक संज्ञा को, समुदाय वाचक संज्ञा भी कहते हैं।
जैसे, सेना, दल, गुच्छा, झुंड, कक्षा, गिरोह इत्यादि किसी समूह को दर्शाने वाले शब्द हैं, इसलिए इन्हें समूह वाचक संज्ञा कहा जाएगा।
सेना से तात्पर्य है सैनिकों का पूरा समूह, दल शब्द भी व्यक्तियों के समूह को दर्शाता है , गुच्छा भी फूलों या फलों इत्यादि के एक समूह का ही बोध कराने वाला शब्द है, कक्षा से तात्पर्य विद्यार्थियों के समूह से हैं और गिरोह शब्द किसी एक काम में लगे हुए लोगों के समूह का बोध कराता है।
अब हम वाक्यों के द्वारा, समूह वाचक संज्ञा को और अच्छे से समझते हैं।
समूह वाचक संज्ञा के उदाहरण
- राजु का जन्म एक अमीर परिवार में हुआ था।
- सोसायटी की सभा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
- भीड़ ने कानून अपने हाथ में ले लिया।
- पुस्तकालय में कई नई पुस्तकें आई हैं।
- मुझे एक दर्जन केले दिजिए।
इन वाक्यों में क्रमशः, परिवार, सभा, भीड़, पुस्तकालय तथा दर्जन यह शब्द किसी विशेष, व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध कराते हैं। इसलिए इन शब्दों को, समूह वाचक संज्ञा कहते हैं।
परिवार, घर में रहने वाले लोगों का समूह, सभा किसी विशेष कार्य के लिए एकत्रित हुए लोगों का समूह, भीड़ भी लोगों का समूह, पुस्तकालय पुस्तकों का समूह, दर्जन किसी फल या फूल इत्यादि के समूह को दर्शाता है, इसलिए ये सभी समूह वाचक संज्ञा हैं।
द्रव्य वाचक संज्ञा किसे कहते है ?
जिन शब्दों से, किसी भी पदार्थ या उसकी अवस्था का बोध होता है, उन शब्दों को द्रव्य वाचक संज्ञा कहते हैं। पदार्थ किसी भी रुप में हो सकता है, अर्थात वह ठोस , तरल या गैस कुछ भी हो सकता है।
उदाहरण के लिए, दूध, तेल, पेट्रोल, सोना, चांदी, पीतल , अॉक्सीजन, हाइड्रोजन इत्यादि।
ये सभी विशेष रूप से वे वस्तुएं हैं, जिन्हें हम गिन नहीं सकते हैं, बस इन्हें नाप या तौल सकते हैं, जैसे, हम दूध के पेकेट्स को तो गिन सकते हैं लेकिन दूध को हम गिन नहीं सकते हैं केवल तौल ही सकते हैं।
इसी तरह, तेल, पेट्रोल, सोना, पानी इत्यादि को भी हम तौल ही सकते हैं।
द्रव्य वाचक संज्ञा के उदाहरण
द्रव्य वाचक संज्ञा को हम इन वाक्यों के द्वारा समझते हैं,
- सोना एक महंगी धातु है।
- पेड़ों से हमें प्राणवायु अॉक्सीजन मिलती हैं।
- अच्छी सेहत के लिए, रोज दूध पीना चाहिए।
- रेल की पटरियां, लोहे से बनी हुई होती है।
- पेट्रोल के दाम बढ़ गए हैं।
- गुब्बारों में हाइड्रोजन गैस भरी होती हैं।
इत्यादि।
भाव वाचक संज्ञा किसे कहते है ?
भाव शब्द का अर्थ है, अपने विचारों को किसी शब्द या हाव भाव से प्रकट करना। इसलिए भाव वाचक संज्ञा को हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि, वे शब्द, जो किसी भाव, गुण, दोष, स्थिति या परिस्थिति यानी अवस्था का बोध कराते हैं, उन्हें भाव वाचक संज्ञा कहते हैं।
खुशी, दुख, प्रेम, दया, क्रोध, आश्चर्य, इमानदारी, बेईमानी, सुंदरता, जवानी, बुढ़ापा, अच्छा, खराब, सड़ा हुआ इत्यादि सभी शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के भाव, गुण , स्थिति या अवस्था को दर्शा रहें हैं, इसलिए ये सभी भाव वाचक संज्ञा हैं।
भाव वाचक संज्ञा के उदाहरण
कुछ उदाहरण देखते हैं,
- बचपन, व्यक्ति के जीवन का सबसे सुंदर समय होता है।
- मोर बहुत सुंदर पक्षी है।
- ईमानदारी से कमाया हुआ धन ही कल्याणकारी होता है।
- सभी आम सड़ गए हैं।
- मनचाही नौकरी मिलने पर, मुझे बहुत खुशी हुई।
उपरोक्त सभी वाक्यों में, रेखांकित किए गए सभी शब्द भाव वाचक संज्ञा के उदाहरण हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने जाना की sangya kise kehte hain उसके परिभाषा, भेद एवं उदाहरण | अगर आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना मत भूलियेगा | कमेंट के माद्यम से आप अपना राय दे सकते है |
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FAQ
संज्ञा किसे कहते हैं
किसी भी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जाति, गुण तथा भाव के “नाम” को संज्ञा कहते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि, इस दुनियां की हर एक वस्तु और हर एक प्राणी का नाम, संज्ञा ही है
संज्ञा कितने प्रकार के होते है?
संज्ञा के पांच प्रकार होते हैं|
संज्ञा के भेद का नाम क्या क्या है?
व्यक्ति वाचक संज्ञा
जाति वाचक संज्ञा
समूह वाचक संज्ञा
द्रव्य वाचक संज्ञा
भाव वाचक संज्ञा
rajgarh kaun sa sangya hai
राजगड (rajgarh) एक विशेष स्थान का नाम है | जिन शब्दों से, किसी विशेष व्यक्ति, विशेष वस्तु और विशेष स्थान के नाम का बोध होता है, उसे व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते | इसीलिए राजगड (rajgarh) एक व्यक्ति वाचक संज्ञा है |