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सर्वनाम किसे कहते है?
” किसी भी वाक्य में, जब किसी एक नाम का उल्लेख, बार बार किया जाता है, तो यह सुनने में अच्छा नहीं लगता है। इसलिए उस नाम के स्थान पर हम कुछ शब्दों का उपयोग कर सकते हैं, जिन्हें सर्वनाम कहते हैं। इस प्रकार सर्वनाम की परिभाषा इस प्रकार हैं कि, “जो भी शब्द, नाम, अर्थात संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त किए जा सकते हैं, उन शब्दों शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।” जैसे, तुम, तुम्हारा, उनका, ये, वो इत्यादि। सर्वनाम को हम उदाहरण के द्वारा और अधिक अच्छे से समझते हैं। इस वाक्य को पढ़िए,
” श्रीराम अयोध्या के राजा थे, श्रीराम अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे इसलिए श्रीराम की प्रजा भी उन्हें बहुत प्यार करती थी।”
यह एक ही वाक्य हैं, और इस वाक्य में श्रीराम शब्द अर्थात संज्ञा शब्द का प्रयोग बार बार हुआ है जो सुनने में अच्छा नहीं लगता है। यदि इसी वाक्य को हम इस प्रकार कहते हैं कि, “श्रीराम अयोध्या के राजा थे, वे अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे इसलिए उनकी प्रजा भी उन्हें बहुत प्यार करती थी।” तो यह वाक्य ज्यादा प्रभावी लगता है। इस वाक्य में, श्रीराम शब्द के स्थान पर “वे” तथा “उनकी” शब्द का उपयोग किया गया है, ये दोनों ही शब्द “नाम” यानी संज्ञा के स्थान पर इस्तेमाल किए गए हैं, इसलिए इन्हें हम सर्वनाम कहते हैं।
कुछ और भी वाक्यों की सहायता से हम सर्वनाम को और अधिक अच्छे से समझते हैं। नीचे लिखें हुए वाक्यों को पढ़िए,
- मेरे प्रिय शिक्षक का नाम श्री मोहन वर्मा हैं।
- श्री मोहन वर्मा हमें हिन्दी विषय पढ़ाते हैं।
- श्री मोहन वर्मा का पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा है।
- इसीलिए कक्षा के बाकी सभी विद्यार्थी भी, श्री मोहन वर्मा को बहुत पसंद करते हैं।
अब इन वाक्यों को इस प्रकार पढ़िए,
- मेरे प्रिय शिक्षक का नाम श्री मोहन वर्मा हैं।
- वे हमें हिन्दी विषय पढ़ाते हैं।
- उनका पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा है।
- इसीलिए, कक्षा के बाकी सभी विद्यार्थी भी उन्हें बहुत पसंद करते हैं।
यहां आपने दोनों वाक्यों में क्या भिन्नता देखी? यहां हमने देखा कि, पहले वाले वाक्यों में, बार बार श्री मोहन वर्मा नाम का प्रयोग करने से वाक्यों की सुंदरता नष्ट हो गई थी। और सार्थक होने के बावजूद भी ये सुनने में भी ठीक नहीं लग रहे थे। इसके विपरित, नीचे लिखे चारों वाक्य, सार्थक भी हैं और सुनने में अच्छे भी लग रहे हैं। उन वाक्यों में हमने क्रमशः, वे, उनका और उन्हें ये तीन सर्वनाम प्रयोग किए हैं और ये तीनों ही सर्वनाम, श्री मोहन वर्मा इस नाम की ओर ही संकेत कर रहे हैं।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि, सर्वनाम दो शब्दों सर्व और नाम से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है, सबका नाम। सर्वनाम भी एक प्रकार की संज्ञा ही है, लेकिन संज्ञा और सर्वनाम में यह अंतर है कि, संज्ञा, वाक्य में प्रयुक्त किए गए केवल उसी शब्द की ओर संकेत करती है, जो एक नाम होता है जबकि सर्वनाम शब्द से अन्य वस्तुओं का भी बोध होता है। इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं,
” पेड़ हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, वे हमें प्राणवायु अक्सीजन देते हैं।”
यहां पर “पेड़” एक संज्ञा शब्द और “वे” एक सर्वनाम शब्द हैं। इनमें से पेड़ कहा गया है, तो केवल पेड़ की ही बात होगी, ना कि पुस्तक या किसी अन्य वस्तु की, जबकि सर्वनाम शब्द “वे” का प्रयोग हम किसी भी अन्य व्यक्ति या वस्तु के लिए कर सकते हैं।
मूल (मौलिक) सर्वनाम
मैं, तू, आप, यह, वह, कोई, कुछ, कौन, क्या, जो, सो
यह सभी मूल सर्वनाम हैं, जिनकी संख्या ग्यारह हैं। ये सभी ग्यारह मूल सर्वनाम, अन्य सर्वनाम बनाते हैं, जिन्हें यौगिक सर्वनाम कहते हैं। पुरुष ( उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष) , वचन ( एक वचन, द्वि वचन और बहु वचन) और कारक के अनुसार, मूल सर्वनाम अपना रुप परिवर्तन करके, यौगिक सर्वनाम बनाते हैं।
जैसे कि यदि हम मूल सर्वनाम “तू” के यौगिक सर्वनाम देखें तो वे इस प्रकार है – तुम, तुने, तेरा, तुम्हें, तुम्हारा, तुम्हारे, तुम्हारी, तुम्हारे लिए, तुममें, तुझमें, तुमको।
इसी तरह अन्य मौलिक सर्वनाम भी अन्य यौगिक सर्वनाम बनाते हैं।
सर्वनाम के छः भेद
सर्वनाम के छः भेद यानी प्रकार होते हैं, जो इस प्रकार है,
सर्वनाम के भेद | |
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1 | पुरुषवाचक सर्वनाम |
2 | निश्चयवाचक सर्वनाम |
3 | अनिश्चयवाचक सर्वनाम |
4 | संबंधवाचक सर्वनाम |
5 | प्रश्नवाचक सर्वनाम |
6 | निजवाचक सर्वनाम |
अब हम इन सभी प्रकारों को विस्तार से समझते हैं।
पुरुषवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग, बात कहने वाले अर्थात वक्ता, बात सुनने वाले अर्थात श्रोता और जिसके विषय में बात हो रही है उसके नाम के स्थान पर किया जाता हैं, उन सर्वनाम शब्दों को पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।
उदाहरण के लिए यह वाक्य पढ़िए,
” मैंने सुना कि तुम्हारे पिताजी की तबियत खराब है, वे अब कैसे हैं? “
इस वाक्य में, मैंने अर्थात कहने वाला, तुम्हारे अर्थात सुनने वाला और वे अर्थात् वह व्यक्ति जिसके विषय में बात हो रही है। इस प्रकार इस पूरे वाक्य में तीन तरह के सर्वनाम शब्द उपयोग किए गए हैं। इस आधार पर, पुरुषवाचक सर्वनाम सर्वनाम तीन प्रकार के हैं, उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष।
उत्तम पुरुष में आने वाले सर्वनाम – मैं, मेरा, मेरे, मैंने, मुझे, मुझको, हम, हमारा इत्यादि।
मध्यम पुरुष के अंतर्गत आने वाले सर्वनाम – तु, तुम, तुमने, तुम्हें, तुझे, तेरा इत्यादि।
अन्य पुरुष के सर्वनाम – वह, वे, वो, उन्हें, उनकी, उन्होंने, इन्हें, ये इत्यादि।
इन तीनों प्रकारों को कुछ उदाहरणों से समझते हैं।
उत्तम पुरुष –
1 मैं कक्षा पांच में पढ़ता हूं।
2 मेरे घर के सामने एक बड़ा सा मैदान हैं।
3 मेरा भाई सेना में हैं।
4 हमारे पास एक बिल्ली है।
मध्यम पुरुष –
1 तुम बिल्कुल सही कह रहे हो।
2 तुझे यहां किसने बुलाया है?
3 तुम्हारे पिताजी क्या करते हैं?
4 आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
अन्य पुरुष-
1 उसके पिताजी जेलर है।
2 वह एक अच्छा गायक है।
3 उसे जरुरी काम से जाना था।
4 यह मेरी पुस्तक है।
निश्चयवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग, पास की या दूर की किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति को दिखाने के लिए किया जाता है, उन्हें निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। ये, वो, वे, वह, यह, उस, इस इत्यादि ये सभी निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण।
1 यह मेरी साड़ी हैं।
2 वे सभी गायक हैं।
3 वह मेरी मां हैं।
4 सामने वाले उस घर में कोई नहीं रहता है।
यहां क्रमशः यह, वे, वह और उस इन शब्दों से एक निश्चित बात पता चल रही हैं। इसलिए ये सभी निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम शब्द, किसके लिए कहे गए हैं यह निश्चित रुप से कहा नहीं जा सकता है, तो उन सर्वनाम शब्दों को अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। दूसरे शब्दों में, वे शब्द जो किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति की ओर संकेत नहीं करते हैं, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे, कुछ, कोई।
1 कुछ लोग इधर आ रहे हैं।
2 कोई वहां बैठा है।
3 तुम्हारे कुछ रुपए गिर गए हैं।
4 मेरा कोई पत्र आया हैं क्या।
यहां पर कुछ या कोई शब्द से अनिश्चितता का स्पष्ट बोध हो रहा है। जैसे पहले वाक्य में कुछ लोग कहा गया है, लेकिन कुछ से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि कितने लोग। इसी तरह दूसरे वाक्य में कोई कहा गया है, इससे भी स्थिति अस्पष्ट ही है कि, वहां कौन बैठा है। इसलिए यह सभी वाक्य, अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं।
संबंधवाचक सर्वनाम
जो सर्वनाम शब्द, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का संबंध बताने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। इन शब्दों का प्रयोग, वाक्य में निहित दो संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों को जोड़ने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, जो, सो, जितना, उतना इत्यादि।
इसे हम उदाहरण के द्वारा समझते हैं।
1 जैसी करनी वैसी भरनी
2 जो बोएगा सो पाएगा
3 जो जीतेगा वो ईनाम पाएगा।
4 जितनी चादर होती है, उतने ही पैर फैलाना चाहिए।
5 वो कौन है जो वहां खड़ा है।
6 जैसा खाएगा अन्न, वैसा बनेगा मन।
7 जिसकी लाठी उसकी भैंस
उपरोक्त सभी वाक्यों में, क्रमशः जैसी- वैसी, जो -सो, जो -वो, जितनी -उतनी, वो -जो, जैसा -वैसा और जिसकी- उसकी , ये वो शब्द हैं, जो दो वाक्यों के बीच में संबंध का बोध कराते हैं। इसलिए इन शब्दों को संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।
प्रश्नवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों के प्रयोग से, वाक्य एक प्रश्न बन जाता है, उन सर्वनाम शब्दों को प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे, कौन, कहां, क्या, कौन सी, किसकी इत्यादि शब्द प्रश्नवाचक सर्वनाम हैं, क्योंकि इनसे किसी प्रश्न के होने का बोध होता है।
कुछ उदाहरणों से हम इसे समझते हैं,
1 तुम कहां जा रहे हो?
2 यह किसका स्वेटर है?
3 कौन अपनी किताब यहां भूल गया है?
4 शिवजी का धनुष किसने तोड़ा था?
5 तुम कहां कहां गए थे?
उपरोक्त सभी वाक्यों में, क्रमशः कहां, किसका, कौन, किसने तथा कहां कहां यह सभी प्रश्नवाचक सर्वनाम हैं, क्योंकि इनके उपयोग से, वाक्य एक प्रश्न बन जाता है।
निजवाचक सर्वनाम
निज शब्द का अर्थ है, स्वयं। इसलिए निजवाचक सर्वनाम की परिभाषा इस प्रकार है कि, “ जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग, कर्ता अपने स्वयं के लिए करता है, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।” जैसे मेरी, अपनी, अपना, आप इत्यादि।
यहां पर आप शब्द दो भाव प्रदर्शित करता है, एक तो किसी को सम्मान देने के लिए और दूसरा स्वयं के लिए।
जैसे, पिताजी आप कहां जा रहे हैं?
इस वाक्य में पिताजी को आदर से आप कहा गया है। इसलिए इस वाक्य में प्रयुक्त आप शब्द, एक मध्यम पुरुष सर्वनाम हैं। अब इस वाक्य को पढ़िए,
” मैं अपना काम आप ही कर लूंगा।”
अब इस वाक्य में प्रयुक्त किए गए आप शब्द को स्वयं के लिए कहा गया है। इसलिए यहां पर आप का अर्थ हैं, मैं खुद।
कुछ और उदाहरण देखकर, निजवाचक सर्वनाम को समझते हैं।
1 तुम चिंता मत करो, मैं खुद ही आ जाऊंगा।
2 मुझे अपना काम आप ही करने की आदत है।
3 मुझे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा है।
4 अपने से बड़ों का हमेशा सम्मान करना चाहिए।
इन सभी वाक्यों में, क्रमशः खुद, अपना, आप, अपनी तथा अपने इन सर्वनाम शब्दों से निजता अर्थात स्वयं का बोध हो रहा है। इसलिए इन सभी शब्दों को, निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
सर्वनाम किसे कहते हैं उसके कितने भेद होते है?
संज्ञा के स्तान पर प्रयुक्त करे जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते है | सर्वनाम के ६ भेद होते है |
सर्वनाम के 6 भेद कौन कौन से हैं?
सर्वनाम के ६ भेद
1. पुरुषवाचक सर्वनाम
2. निश्चयवाचक सर्वनाम
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम
5. संबंधवाचक सर्वनाम
6. निजवाचक सर्वनाम
तुम कौन सा सर्वनाम है?
तुम पुरुषवाचक सर्वनाम के मध्यम पुरुष के अंतर्गत आने वाले सर्वनाम है |