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Shudh Ashudh Shabdh
इस लेख में आज हम शुद्ध और अशुद्ध शब्द (Shudh Ashudh Shabdh) क्या होते है के बारे में बात करेंगे। और साथ ही साथ उच्चारण किसे कहते हैं तथा वर्तनी की परिभाषा क्या है के बारे में भी जानेंगे।
दरअसल किसी भी भाषा का सही उच्चारण करने के लिए उस भाषा के वर्तनी की सम्पूर्ण जानकारी होना बहुत ज़रूरी होता है। इसी कारण आज इस लेख में हम उच्चारण और वर्तनी से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
तो आइए फिर इस लेख को शुरू करते हैं –
शुद्ध शब्द का अर्थ क्या होता है
शुद्ध शब्द का मतलब है, जो किसी भी मानक के अनुसार हो या जो किसी भाषा के नियमों के अनुसार लिखा या बोला गया हो तथा किसी वस्तु या व्यक्ति की वास्तविक स्थिति के अनुसार हो।
अन्य शब्दों में कहा जाए तो शुद्ध शब्द वह शब्द होता है, जो किसी भाषा के मानक वर्तनी नियमों के अनुसार लिखा गया हो।
किसी भी भाषा को लिखने का एक अलग तरीका होता है एक नियम होता है जिसके अनुसार ही शब्दों को लिखा जाता है परंतु कभी-कभी लिखते समय शब्दों में कुछ गलतियां भी हो जाती है और जब इन गलतियों को सुधार कर सही नियम अनुसार शब्दों को लिखा जाता है तो उन्हें शुद्ध शब्द कहा जाता है।
अशुद्ध शब्द का क्या अर्थ होता है
अशुद्ध शब्द का मतलब है, जो किसी मानक के अनुसार ना हो या जो किसी भाषा के नियमों के अनुसार लिखा या बोला नहीं गया हो तथा किसी वस्तु या व्यक्ति की वास्तविक स्थिति के अनुसार ना हो।
अन्य शब्दों में कहे तो अशुद्ध शब्द वह शब्द है, जो किसी भाषा की मानक वर्तनी नियमों के अनुसार नहीं लिखा गया हो।
किसी भी भाषा को लिखने के नियम होते हैं और उन्हीं के अनुसार उन्हें शब्दों के रूप में लिखा जाता है। लेकिन जब लिखते समय नियमों का पालन नहीं किया जाता है और शब्दों को गलत तरीके से लिखा जाता है, तो उन्हें अशुद्ध शब्द कहते हैं यानी की वर्तनी में होने वाले गलतियां या त्रुटियो को अशुद्ध शब्द कहते हैं।
उच्चारण से आप क्या समझते हैं
उच्चारण किसी भी भाषा के मौखिक रूप से व्यक्त करने का एक तरीका होता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो उच्चारण किसी भाषा के ध्वनि प्रणाली को व्यक्त करने का तरीका है।
उच्चारण के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, कि वक्ता को उस भाषा के स्वरों, व्यंजनों और स्वनियमों का पूर्ण ज्ञान हो।
सरल भाषा में यदि कहा जाए तो, उच्चारण शब्दों को सही तरीके से बोलने की क्रिया है, जिससे दूसरे लोग सही रूप से सुन सकें।
यह वो तरीका होता है जिससे एक शब्द के ध्वनि और आवाज को सही तरीके से प्रकट किया जाता है, ताकि वो शब्द सही अर्थ में समझा जा सके।
उच्चारण के दौरान ध्वनि, ताल, तीव्रता, और स्वर सही रूप से बोलने की कोशिश की जाती है। उच्चारण का सही होना भाषा के सही तरह से समझाने और संवाद करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
वर्तनी किसे कहते हैं
वर्तनी किसी भी भाषा में लिखने के तरीके को व्यक्त करने का तरीका है। दूसरे शब्दों में कहे तो यह किसी भाषा के शब्दों को लिखने के लिए प्रयुक्त अक्षर और उनके क्रम को व्यक्त करने का तरीका होता है।
सही वर्तनी के लिए सबसे जरूरी है की लेखक को उसे भाषा के शब्दों की संरचना और वर्तनी नियमों का पूर्ण ज्ञान हो।
सरल भाषा में कहा जाए तो, जब हम किसी भी भाषा के शब्दों के अक्षरों को सही ढंग से लिखते हैं ताकि वाक्य और शब्दों को सही तरीके से पढ़ा और समझा जा सके, तो उन्हें वर्तनी कहा जाता है।
इसका मतलब है कि हर शब्द के अक्षरों का सही क्रम और स्थान होता है।
और उन्हें इसी क्रम के अनुसार लिखना चाहिए ताकि शब्दों का ठीक और स्पष्ट उच्चारण हो सके और उनका सही अर्थ समझ में आ सके। वर्तनी का सही होना भाषा के सही और प्राधिकृत उपयोग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
हिंदी में वर्तनी के नियमों को आधिकारिक रूप से भारत सरकार की वर्तनी समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है नियमों का पालन करके हम हिंदी में सही वर्तनी लिख सकते हैं।
शुद्ध वर्तनी के नियम
1962 में भारत सरकार ने वर्तनी को मानकीकृत करने के लिए कुछ नियम बनाए। इन नियमों को हिंदी वर्तनी का मानक कहा जाता है। इन नियमों के अनुसार, हिंदी वर्तनी को निम्नलिखित सिद्धांतों के आधार पर निर्धारित किया गया है:
1 . ध्वन्यात्मकता: वर्तनी को शब्दों के उच्चारण के अनुसार निर्धारित किया गया है।
2 . इतिहास: वर्तनी को शब्दों के ऐतिहासिक विकास के अनुसार भी निर्धारित किया गया है।
3 . व्यावहारिकता: वर्तनी को व्यावहारिक रूप से उपयोग करने में आसान बनाने के लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं।
1962 में बनाए गए वर्तनी नियमों के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
1 . शुद्ध उच्चारण: वर्तनी का आधार शुद्ध उच्चारण होता है। किसी शब्द को जिस तरह से उच्चारित किया जाता है, उसी तरह से उसका लिखा जाना चाहिए।
2 . प्रचलन: वर्तनी के निर्णय में प्रचलन को भी ध्यान में रखा जाता है। जो शब्द आमतौर पर प्रचलित होते हैं, उनकी वर्तनी भी उसी तरह से मान्य होती है।
3 . परंपरा: वर्तनी के निर्णय में परंपरा का भी महत्व होता है। कई शब्दों की वर्तनी ऐसी होती है जो सदियों से चली आ रही है। इन शब्दों की वर्तनी में बदलाव करना उचित नहीं होता है।
4 . सामान्य नियम: वर्तनी के निर्णय में सामान्य नियमों को भी ध्यान में रखा जाता है। इन नियमों के आधार पर नए शब्दों की वर्तनी भी तय की जाती है।
कुछ उपयोगी और सर्वमान्य निर्णयों के उदाहरण इस प्रकार हैं –
1 . शब्द में प्रयुक्त वर्णों का क्रम: शब्द में प्रयुक्त वर्णों का क्रम निश्चित होता है। इस क्रम को बदलना अशुद्ध वर्तनी कहलाता है।
2 . विसर्ग का प्रयोग: संस्कृत के शब्दों में विसर्ग का प्रयोग होता है। यदि कोई शब्द तत्सम रूप में प्रयुक्त हो रहा है, तो उसमें विसर्ग (:) का प्रयोग करना चाहिए।
जैसे कि – प्रातः, अंततः, दुःख, मूलतः, प्रायः आदि।
3 . संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग: संयुक्त क्रियाओं में सभी अंगभूत क्रियाएँ अलग-अलग लिखी जाती हैं।
जैसे कि – पढ़ा करता है, खा सकते हो, जाया करता है, आ सकते हो।
4 . पूर्वकालिक प्रत्यय का प्रयोग: पूर्वकालिक प्रत्यय क्रिया से मिलाकर लिखा जाता है।
जैसे कि – अपनाकर, गाकर, उठकर, खाकर, खिलाकर, सोकर, मिलाकर आदि।
5 . अव्ययों का प्रयोग: अव्यय अलग-अलग लिखे जाते हैं।
जैसे कि – यहां तक, मेरे साथ, अब तक, हमारे साथ, तुम्हारे साथ आदि।
6 . संख्या और वचन का प्रयोग: शब्दों की संख्या और वचन के अनुसार उनकी वर्तनी में परिवर्तन होता है।
जैसे कि – एक लड़का, अनेक वस्तुएं, कुछ लोग आदि।
7 . लिंग का प्रयोग: शब्दों की लिंग के अनुसार उनकी वर्तनी में परिवर्तन होता है।
जैसे कि – आती है, जाती है, खाता है, लाता है, बैठी है, दौड़ता है आदि।
8 . विसर्ग के बाद अगर हिंदी के अक्षर श, ष तथा स आए तो वहां ‘यथावत, या और विसर्ग (:) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे की –
- दु:+ शासन = दु:शासन या दुश्शासन
- नि: + सन्देह = नि:सन्देह या नि:स्सन्देह
9 . अंग्रेजी भाषा से लिए गए कुछ शब्द जिनका प्रयोग हिंदी भाषा में हिंदी शब्दों के रूप में किया जाता है उनमें राय शब्दों या अक्षर के ऊपर अर्धचंद्र बिंदु का प्रयोग किया जाता है।
जैसे कि – कॉलेज, डॉक्टर, कॉफी, हॉस्पिटल आदि।
10 . हिंदी भाषा में खास तौर पर ‘अ, आ तथा ऊ’ मात्रा वाले वर्णों में प्राय अनुनासिक चिन्ह (ँ) जिन्हें सामान्य भाषा में चंद्रबिंदु (ँ) कहा जाता है, उनका प्रयोग किया जाता है।
जैसे की – आँख काँच, आँगन, दायाँ, बायाँ आदि।
11 . ‘अ, आ तथा ऊ’ वर्णों के अलावा अन्य मात्राओं वाले वर्णों में प्रायः अनुनासिक चिन्ह (ं) जिन्हें अनुस्वार (ं) भी कहा जाता है, उनका प्रयोग किया जाता है।
जैसे कि – खींचना, नहीं, ईंट, सिंचाई, दाएं, बाएं, मैंने आदि।
12 . हिंदी भाषा में ‘जैसा तथा सा’ आदि वाचको से पहले प्रायः योजक चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है।
जैसे की – चाकू-सा, आप-सा, तीखा-सा, प्यार-सा आदि।
13 . हिंदी वर्णमाला के नासिक्य व्यंजन यानी की चौथे वर्ग का पांचवा वर्ण यदि किसी वर्ग के पहले चार वर्णों के अतिरिक्त किसी भी अन्य वर्ण के पहले आता है, तो वहां पंचम वर्ण का आधा रूप लिखा जाता है।
जैसे की – पुण्य, जन्म, गन्ना, पन्ना, अन्यथा, अन्य आदि।
उच्चारण और वर्तनी के बीच संबंध
उच्चारण और वर्तनी के बीच बहुत ही गहरा और अटूट संबंध होता है। यदि किसी शब्द का उच्चारण सही है, तो उसकी वर्तनी भी सही होने की संभावना अधिक होती है।
लेकिन इसके विपरीत यदि किसी शब्द का उच्चारण गलत होता है, तो उसकी वर्तनी भी गलत होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
सरल शब्दों में कहे तो, यदि किसी शब्द का उच्चारण गलत है तो उसकी वर्तनी भी गलत हो सकती है इसलिए उच्चारण को सही करना वर्तनी को सही करने के लिए भी आवश्यक होता है।
इसका कारण यह है, कि उच्चारण और वर्तनी दोनों ही किसी भाषा के ध्वनि प्रणाली को व्यक्त करने के तरीके हैं।
यदि किसी शब्द का उच्चारण सही है, तो इसका अर्थ है कि उस शब्द की ध्वनि को सही तरीके से व्यक्त किया जा रहा है या उस शब्द को लिखने के लिए प्रयुक्त किए गए अक्षरों और उनके क्रम को सही तरीके से व्यक्त किया जा रहा है।
उच्चारण और वर्तनी को सुधारने के लिए सुझाव
उच्चारण और वर्तनी को सुधारने के लिए हम यहाँ नीचे कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव व्यक्त कर रहे हैं, जिनसे आपको शब्दों का सही उच्चारण और वर्तनी को सुधारने में मदद मिलेगी।
जैसे की –
- उच्चारण या वर्तनी में सुधार लाने के लिए सबसे अच्छा और सर्वश्रेष्ठ तरीका है, हिंदी के शब्दों का उच्चारण और वर्तनी का नियमित रूप से अभ्यास करें।
- यदि आपको उच्चारण और वर्तनी में अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो आप किसी अच्छे शिक्षक से मार्गदर्शन ले सकते हैं।
- यदि आपको हिंदी के किसी भी शब्द की वर्तनी समझ नहीं आ रही या याद नहीं हो पा रही है, तो आप किसी वर्तनी शब्दकोश का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- हिंदी के उच्चारण और उनके वर्तनी में सुधार लाने के लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है, हिंदी को ज्यादा से ज्यादा पढ़ा या लिखा जाए।
- जी हाँ हिंदी भाषा में लिखी गई पुस्तकों और अखबारों आदि को रोजाना ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए ताकि आपके उच्चारण और वर्तनी में सुधार आ सके।
उच्चारण और वर्तनी के महत्व
ना केवल हिंदी बल्कि किसी भी भाषा में मौखिक और लिखित रूप से शब्दों और वाक्यों को व्यक्त करने के लिए उच्चारण और वर्तनी दोनों ही बहुत आवश्यक होते हैं।
इसी कारण उच्चारण और वर्तनी को सही प्रकार से व्यक्त करना जरूरी होता है। उच्चारण और वर्तनी को सुधारना किसी भी भाषा में दक्षता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
नीचे हम उच्चारण और वर्तनी का प्रयोग सही प्रकार से करने से क्या लाभ होता है, उनके बारे में बात कर रहे हैं।
जैसे की –
- किसी भी भाषा को स्पष्ट और प्रभावित रूप से व्यक्त करने के लिए उच्चारण और वर्तनी का प्रयोग बेहद आवश्यक है। यह शब्दों और वाक्य को सही ढंग से व्यक्त करने में मदद करती है।
- उच्चारण या वर्तनी यदि सही हो तो किसी भी भाषा को समझने में मदद मिलती है। या यूँ कहे तो किसी भी विषय का उच्चारण या वर्तनी स्पष्ट हो तो उसे आसानी से समझा जा सकता है।
- उच्चारण या वर्तनी यदि सही और स्पष्ट रूप से व्यक्त की गई हो तो भाषा में दक्षता प्राप्त करने में भी मदद मिलती है।
- उच्चारण और वर्तनी को सुधारने के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए ताकि हम किसी भी भाषा में प्रभावी ढंग से संवाद कर सकें।
शुद्ध और अशुद्ध शब्दों की सूची
Sr. No. | शुद्ध वर्तनी वाले शब्द | अशुद्ध वर्तनी वाला शब्द |
---|---|---|
1 | नि:शुल्क | निशुल्क |
2 | अत्यधिक | अत्याधिक |
3 | वसंत | बसंत |
4 | अंगूर | अँगुर |
5 | गुण | गुन |
6 | सामान्यत: | सामान्यत |
7 | वांशिक | वंशिक |
8 | पुराण | पुरान |
9 | पुन: | पुन |
10 | आँख | आंख |
12 | प्रात: काल | प्रात काल |
13 | अनुमानित | आनुमानित |
14 | दुःख | दुख |
15 | सैनिक | सेनिक |
16 | वासुदेव | बासुदेव |
17 | पुजारिन | पुजारन |
18 | सहज | शहज |
19 | सदुपयोग | सदोपयोग |
20 | विष्णु | बिष्णु |
21 | पृथ्वी | प्रथ्वी |
22 | रामायण | रमायन |
23 | यमुना | जमुना |
24 | चाहिए | चाहिये |
25 | जैसे | जेसे |
26 | शामिल | सामिल |
27 | वाल्मीकि | बाल्मिकी |
28 | अभियुक्त | अभियूक्त |
29 | प्रजातंत्र | पराजतंत्र |
30 | विकार | बीकार |
31 | परमार्थ | परमार्थ |
32 | जीवन | जिवन |
33 | यजमानी | जजमानी |
34 | गृहस्थी | ग्रहस्थी |
35 | कृपा | क्रपा |
36 | रक्षा | रक्शा |
37 | स्कूल | सकूल |
38 | उऋण | उरिण |
39 | बाँसुरी | बांसुरी |
40 | आदर्श | आर्दश |
41 | गृहिणी | ग्रहिणी |
42 | दूँगा | दुंगा |
43 | ऋतु | रितु |
44 | वधू | वधु |
45 | सप्ताह | सप्ता |
46 | बीमार | बिमार |
47 | पौधा | पोधा |
48 | तूफान | तुफान |
49 | साधु | साधू |
50 | हँसी | हंसी |
निष्कर्ष
आज का यह लेख यही पर समाप्त होता है, आज के इस लेख में हमने जाना की शुद्ध और अशुद्ध शब्द (Shudh Ashudh Shabdh) क्या है तथा उच्चारण और वर्तनी की परिभाषा क्या होती है।
साथ ही साथ हमने इस लेख में उच्चारण और वर्तनी के महत्व तथा उच्चारण और वर्तनी को सुधारने के लिए सुझाव के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त की है।
उम्मीद करते है हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। इसी एक साथ आपको अगर यह लेख पसंद आया हो तो इसे अन्य लोगों के साथ share करना बिल्कुल ना भूले।
FAQ
वर्तनी क्या होती हैं?
वर्तनी किसी भाषा के शब्दों को लिखने के लिए प्रयुक्त अक्षर और उनके क्रम को व्यक्त करने का तरीका होता है।
अशुद्ध वर्तनी के कारण क्या है?
किसी भी शब्द को लिखने का एक सही क्रम होता है, परंतु अभ्यास की कमी या वर्तनी शब्दकोश पर ध्यान न देने पर लिखने के क्रम में गलतियाँ होती हैं, जो अशुद्ध वर्तनी का कारण बनती है।
शुद्ध और अशुद्ध शब्दों के उदाहरण बताएं?
हँसी- हंसी, तूफान- तुफान, वधू- वधु, बाँसुरी- बांसुरी आदि।
उच्चारण की परिभाषा क्या है?
उच्चारण शब्दों को सही तरीके से बोलने की क्रिया है, जिससे दूसरे लोग सही रूप से सुन सकें व समझ सके।