Tatpurush Samas Kise Kahate | तत्पुरुष समास: परिभाषा, भेद और उदाहरण

Tatpurush Samas | तत्पुरुष समास

आज हम यहां तत्पुरुष समास: परिभाषा, भेद और उदाहरण के बारे में चर्चा करने वाले हैं। दरअसल हिंदी भाषा को समझने के लिए हिंदी व्याकरण के विभिन्न खंडों के बारे में ज्ञान प्राप्त होना बेहद आवश्यक है।

तत्पुरुष समास हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंश होता है। यह समाज का वह रूप होता है, जिनमें प्रायः पहला पद अप्रधान और दूसरा पद प्रधान होता है। इसी के बारे में हम नीचे विस्तार से बात आने वाले हैं।

तो चलिए बिना देर किए इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं, तत्पुरुष समास क्या हैं (Tatpurush Samas Kise Kahate) और तत्पुरुष समास के कितने भेद है –

तत्पुरुष समास किसे कहते हैं (Tatpurush Samas Kise Kahate)

तत्पुरुष समास न केवल हिंदी व्याकरण बल्कि संस्कृत व्याकरण में भी समास का एक प्रकार है, जो दो शब्दों के जोड़ने से बनता है। तत्पुरुष समास में पहला पद प्रधान पद होता है,  जो समास के पूरक पद से मिलकर नया शब्द बनाते हैं। तत्पुरुष समास में प्रधान पद वह पद होता है, जिसका संबंध समास के पूरक पद के साथ होता है।

जैसे कि –

रामकथा – यहां राम शब्द प्रधान पद है, जो किसी कथा यानी कहानी का विषय है और कथा उसका पूरक पद है जो राम से संबंधित है। इस प्रकार इन दोनों शब्दों को जोड़कर ‘रामकथा’ एक नया शब्द बनता है। जिसका मतलब होता है, ‘राम की कथा’ अर्थात राम के विषय में होने वाली कथा।

इसी तरह,

गुलाबकुमुद – यहां गुलाब शब्द प्रधान पद है जिसका मतलब होता है किसी फूल का नाम और कुमुद उसका पूरक पद है, इसका मतलब होता है, कमल का नाम। इस प्रकार गुलाबकुमुद एक नया शब्द बनता है, जिसका मतलब होता है गुलाब और कमल

यह एक सामान्य तत्पुरुष समास का उदाहरण है। इसी तरह अन्य भी विशेष या अन्य क्रिया के साथ मिलकर तत्पुरुष समास बनाया जा सकता है। जैसे कि –

  • महाकाव्य = महा + काव्य
  • किताबखाना = किताब + खाना
  • सुनहरीमकान = सुनहरी + मकान
  • लालगुलाब = लाल + गुलाब

तत्पुरुष समास की परिभाषा क्या है

ऐसे सामासिक शब्द जिनका उत्तर पद प्रधान हो तत्पुरुष समास कहलाता है। तत्पुरुष समास के दोनों पदों के बीच शामिल होने वाले पर्सर्गों के लिए का, के, को, के लिए, से, के द्वारा, पर, में आदि जैसे शब्दों का लोप हो जाता है। आसान शब्दों में कहें, तो जिस पद का उत्तर पद यानी कि दूसरा पद प्रधान हो, वे तत्पुरुष समास कहलाते हैं।

उदाहरण के तौर पर –

यशोदा = यश + ओदा (यश को देने वाली)

कालिदासकृत = कालिदास + कृत (कालिदास द्वारा कृत)

कुंभकार = कुंभ + कार (कुंभ को बनाने वाला)

गगनचुंबी = गगन + चुंबी (गगन को चूमने वाला)

रथचालक = रथ + चालक (रथ को चलाने वाला)

ग्रामगत = ग्राम + गत (ग्राम को गया हुआ)

तत्पुरुष समास के उदाहरण क्या है

यहां नीचे हम तत्पुरुष समास के 10 उदाहरण बता रहे हैं। इन उदाहरणों के माध्यम से आपको तत्पुरुष समास को समझने में मदद मिलेगी। 

  • चित्रकार = चित्र + कार (चित्र बनाने वाला) 
  • मांसाहारी = मांसा + हारी (मांस का सेवन करने वाला)
  • राजदूत = राज + दूत (राजा का दूत) 
  • अश्रुधारा = अश्रु + धारा (आंसुओं की धारा) 
  • मूर्तिकार = मूर्ति + कार (मूर्ति का निर्माण करने वाला) 
  • लालगुलाब = लाल + गुलाब (लाल रंग का फूल)
  • सुनहरीमकान = सुनहरी + मकान (सुनहरे रंग का घर या मकान)
  • किताबखाना = किताब + खाना (किताब रखने की जगह यानी लाइब्रेरी)
  • रक्तदान = रक्त + दान (रक्त को देने वाला)
  • ऋणमुक्त = ऋण + मुक्त (ऋण से मुक्ति)

तत्पुरुष समास के भेद कितने हैं

हिंदी व्याकरण में तत्पुरुष समास के कुल 6 भेद होते हैं, जो कुछ इस तरह से हैं। जैसे कि –

  • करण तत्पुरुष समास
  • कर्म तत्पुरुष समास
  • संबंध तत्पुरुष समास
  • संप्रदान तत्पुरुष समास
  • अधिकरण तत्पुरुष समास
  • अपादान तत्पुरुष समास

करण तत्पुरुष समास

करण तत्पुरुष समास में प्रधान पद क्रिया होता है और पूरक पद उसके करण का विवरण करता है। इस समास का अर्थ करण के अनुसार होता है। सरल शब्दों में कहें, तो करण तत्पुरुष समास में ‘से’ और ‘के’ दो कारक चिन्हो का लोप होता है।

जैसे कि –

  • धर्मभ्रष्ट – धर्म से दृष्ट
  • पथिकगम्य – जिसका गमन पथिक के अनुसार हो
  • देशनिकाला – देश से निकाला
  • गुणरहित – गुण से रहित
  • शोकग्रस्त- शोक से ग्रस्त
  • ईश्वरदत्त – ईश्वर के द्वारा दिया हुआ
  • धर्मविमुख – धर्म से विमुख
  • हस्तलिखित – हाथ से लिखा हुआ
  • भूखमरा – जो भूख से मरा
  • नेत्रहीन – आंख से अंधा
  • जन्मरोगी – जन्म से रोगी
  • शक्तिहीन – शक्ति से हीन
  • पापमुक्त – पाप से मुक्त
  • बंधनमुक्त – बंधन से मुक्ति
  • कलानिपूर्ण – कला से निपुण

कर्म तत्पुरुष समास

इसमें प्रथम पद क्रिया होता है और पूर्व पद उसके कर्म का विस्तार करता है  इस समास का मतलब कर्म के अनुसार होता है। सरल शब्दों में कहे तो  ऐसे समाज शब्द जिनमें कारक चिन्ह ‘को’ का लोप हो वे क्रम तत्पुरुष समास कहलाते हैं।

जैसे कि

  • मनोहर – मन को हरने वाला
  • मुंहतोड़ – मुंह को तोड़ने वाला
  • मूर्तिकार – मूर्ति को बनाने वाला
  • देशगत – देश को गया हुआ
  • गगनचुंबी – गगन को चूमने वाला
  • इतिहासकार – इतिहास को रचने वाला
  • कटफोड़ा – कट को फोड़ने वाला
  • माखनचोर – माखन को चोरी करने वाला
  • चिड़ीमार – चिड़िया को मारने वाला
  • स्वर्गप्राप्त – स्वर्ग को प्राप्त
  • जेबकतरा – जेब को कतरने वाला
  • रथचालक  रथ को चलाने वाला
  • स्वर्गवासी – स्वर्ग को प्राप्त हो चुके वासी
  • शरणागत – शरण को आया हुआ
  • गीतकार – गीत को रचने वाला
  • शिल्पकार – शिल्प को बनाने वाला
  • कला प्रेमी – कला को पसंद करने वाला

संबंध तत्पुरुष समास

इसमें प्रधान पद विशेषण होता है और पूरक पद वह व्यक्ति होता है जिससे संबंध होता है। इस समास का अर्थ संबंध के अनुसार होता है। सरल भाषा में कहा जाए, तो जिन सामासिक शब्दों की विभक्ति में ‘का, के, की’ आदि का लोप हो वह संबंध तत्पुरुष समास कहलाते हैं।

जैसे कि –

  • वीरकन्या – वीर की कन्या
  • अन्नदाता – अन्न को देने वाला
  • देशसुधार – देश को सुधारने वाला
  • राजगृह – राजा का घर
  • राजमाता – राजा की माता
  • सूर्योदय – सूर्य का उदय
  • गंगाजल – गंगा का जल
  • गुरु सेवा – गुरु की सेवा
  • देशसेवा – देश की सेवा
  • देवमूर्ति – देवों की मूर्ति
  • गंगातट – गंगा का तट
  • कृष्णमूर्ति – कृष्ण की मूर्ति
  • अमृतधारा – अमृत की धारा
  • राष्ट्र गौरव – राष्ट्र का गौरव
  • राज दरबार – राजा का दरबार
  • आमरस – आम का रस
  • प्रसंगाअनुसार – प्रसंग के अनुसार
  • रामायण – राम का आयन
  • पुस्तकालय – पुस्तक का आलय
  • घुड़दौड़ – घोड़ों की दौड़
  • उद्योगपति – उद्योगों का पति

संप्रदान तत्पुरुष समास

संप्रदान तत्पुरुष समास में प्रधान पद विशेषण होता है और पूरक पद वह व्यक्ति या वस्तु होती है जिसे विशेषण दिया जा रहा है इस समास का अर्थ संबंध के अनुसार होता है। सरल शब्दों में कहें तो जहां विभक्ति से ‘के लिए’ का लोप हो वे संप्रदान तत्पुरुष कहलाते हैं।

जैसे कि –

  • हाथघड़ी – हाथों के लिए घड़ी
  • शपथपत्र – शपथ के लिए पत्र
  • डाकगाड़ी – डाक के लिए गाड़ी
  • सत्यग्रह – सत्य के लिए आग्रह
  • जेबखर्च – जेब के लिए खर्च
  • स्नानघर – स्नान के लिए घर
  • मालगाड़ी – माल के लिए गाड़ी
  • रसोईघर – रसोई के लिए घर
  • कारावास – कारा के लिए आवास
  • विश्रामग्रह – विश्राम के लिए घर
  • प्रयोगशाला – प्रयोग के लिए साला
  • गौशाला – गायों के लिए शाला
  • पाठशाला – पाठ के लिए शाला
  • क्रीडास्थल ‘ क्रीडा के लिए स्थल
  • विधानसभा – विधान के लिए सभा
  • पुत्रशोक – पुत्र के लिए शोक
  • समाचार पत्र – समाचार के लिए पत्र
  • आराम कुर्सी – आराम के लिए कुर्सी

अधिकरण तत्पुरुष समास

इसमें प्रधान पद विशेषण होता है और पूरक पद वह व्यक्ति होता है, जिसके द्वारा या जिस पर विशेषण लगाया जा रहा हो। इस समाज का अर्थ अधिकरण के अनुसार होता है। आसान भाषा में यदि कहा जाए तो जहां विभक्ति के दौरान ‘में’ और ‘पर’ का लोप हो अधिकरण तत्पुरुष समास कहलाता है।

 जैसे कि –

  • पुरुषोत्तम – पुरुषों में उत्तम
  • जलमग्न – जल में मगन
  • गृहप्रवेश – गृह में प्रवेश
  • डिब्बाबंद – डिब्बा में बंद
  • अंधविश्वास – अंधेरे में विश्वास
  • विचारलीन – विचारों में लीन
  • कुलश्रेष्ठ – कुल में श्रेष्ठ
  • नगरवास – नगर में वास
  • आपबीती – आप पर बीती
  • घुड़सवार – घोड़े पर सवार
  • स्वर्गवासी – स्वर्ग में बसने वाला
  • पेटदर्द – पेट में दर्द
  • वनवास – वन में वास
  • ध्यानमग्न – ध्यान में मग्न
  • हरफनमौला – हर पल में मौला
  • जीवदया – जीवो पर दया
  • सिरदर्द – सिर में दर्द
  • दहीबड़ा – दही में बड़ा
  • आत्मनिर्भर – खुद पर निर्भर
  • पर्वतरोहन – पर्वत पर आरोहण
  • जलसमाधि – जल में समाधि
  • स्नेहमग्न – प्यार में मगन

अपादान तत्पुरुष समास

अपादान तत्पुरुष समास में प्रधान पद विशेषण होता है और पूरक पद वाह जगह स्थान या वस्तु होती है जिसे विशेषण दिया जा रहा है, इस समास का मतलब अपादान के अनुसार होता है। सरल शब्दों में कहें तो ऐसे समास जिन की विभक्ति से कारक चिन्ह में ‘से’ का लोप हो अपादान तत्पुरुष समास कहलाते हैं।

जैसे कि –

  • बुद्धिहीन – बुद्धि से हीन
  • कर्महीन – कर्म से हीन
  • कामचोर काम से जी चुराने वाला
  • धनहीन – धन से हीन
  • नेत्रहीन – नेत्र से हीन
  • रोजगारवंचित – रोजगार से वंचित
  • विवाहेतर – विवाह से इतर
  • देशनिकाला – देश से निकाला
  • पापमुफ्त – पाप से मुक्ति
  • भयभीत – भय से भीत
  • सेवानिवृत्त  – सेवा से निवृत्त
  • बंधनमुक्त – बंधन से मुक्ति
  • जलहीन – जल से हीन
  • बीमारीमुक्त – बीमारी से मुक्ति
  • धर्मविमुख – धर्म से विमुख
  • धर्मभ्रष्ट – धर्म से भ्रष्ट

निष्कर्ष

आज का यह  लेख यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस लेख में हमने जाना  की तत्पुरुष समास: परिभाषा, भेद और उदाहरण क्या है और साथ ही साथ हमने यहां आपको बताया कि तत्पुरुष समास किसे कहते हैं (Tatpurush Samas Kise Kahate) |

उम्मीद करते हैं, हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी और इस लेख से आपको बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला होगा। इसी के साथ यदि आपको यह लेख पसंद आया हो, तो इसे शेयर करें और यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से हमें जरूर बताएं।

FAQ

तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?

ऐसे सामासिक शब्द जिनका उत्तर पद प्रधान हो तत्पुरुष समास कहलाता है।

तत्पुरुष समास के उदाहरण क्या है?

तत्पुरुष समास के उदाहरण कुछ इस तरह है जैसे – रामकथा – राम की कथा, गुलाबकुमुद – गुलाब और कमल, यशप्राप्त – यश को प्राप्त।

तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?

तत्पुरुष समास के कुल 6 भेद होते हैं – अधिकरण तत्पुरुष, संबंध तत्पुरुष, कर्म तत्पुरुष, करण तत्पुरुष, संप्रदान तत्पुरुष, अपादान तत्पुरुष।

अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण क्या है?

अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण है, आपबीती – आप पर बीती,  ग्रहप्रवेश – घर में प्रवेश, पेटदर्द – पेट में दर्द, घुड़सवार – घोड़े पर सवार।

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