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Utkshipt Vyanjan
इस लेख में आज हम बात करने वाले है, की ‘उत्क्षिप्त व्यंजन किसे कहते है? और उत्क्षिप्त व्यंजन कितने होते है?’ उत्क्षिप्त व्यंजन, हिंदी व्याकरण के व्यंजन का ही एक प्रकार है।
और व्यंजन हिंदी व्याकरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंश है, जिनके बारें में जानकारी होना बहुत जरुरी है क्यूंकि इसी के वजह से हिंदी वर्णमाला के वर्णो का उच्चारण सही ढंग से किया जा सकता है।
इसलिए आज इस लेख में हम उत्क्षिप्त व्यंजन के बारें में विस्तार से बताएँगे। साथ ही हम यहाँ बताएँगे की उत्क्षिप्त व्यंजन का उच्चारण कैसे किया जाता है। तो चलिए फिर इस लेख को शुरू करते है –
उत्क्षिप्त व्यंजन किसे कहते है
जब हम व्यंजन वर्णों का उच्चारण करते हैं, तो हमारी जीभ और हमारे मुंह के विभिन्न भागों का उपयोग होता है। जीभ वर्णमाला का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और यह आमतौर पर व्यंजन वर्णों को उत्पन्न करने या उच्चारण करने में इस्तेमाल किया जाता है।
हालांकि कुछ विशेष व्यंजन वर्ण ऐसे होते हैं, जिनके उच्चारण के लिए जीभ का अग्रभाग यानी कि जीभ का आगे का हिस्सा नीचे की ओर जाता है, तो उन्हें ही उत्क्षिप्त व्यंजन वर्ण कहा जाता है।
उत्क्षिप्त व्यंजन वर्णों में ड और ढ़ होते हैं। इन वर्ण का उच्चारण अन्य व्यंजन वर्ण के मुकाबले थोड़ा अलग और विशेष होता है।
जब हम ‘ड’ वर्ण का उच्चारण करते हैं, तो हमारे जीभ का अग्रभाग यानी आगे का हिस्सा (नोक) एक झटके के साथ नीचे की ओर गिरता है, इसी तरह ‘ढ़‘ का उच्चारण करते समय भी ‘ड’ के समान ही जीभ का अग्रभाग यानी आगे का हिस्सा (नोक) नीचे की ओर झटके के साथ गिरता है|
यहां उच्चारण व्यंजनों के साथ जीभ के अग्रभाग (आगे का हिस्सा) का इस तरह से नीचे की ओर झटके से गिरना इन वर्णो को सबसे खास बनाता है। यह उच्चारण आमतौर पर हिंदी भाषा में ही पाए जाते हैं, क्योंकि यह वर्ण अन्य भाषाओं में आमतौर पर नहीं पाए जाते हैं।
उत्क्षिप्त व्यंजन वर्णों को उच्चारित करते समय ध्यान देने वाली बात यह है, कि जीभ का अग्रभाग यानी कि आगे का हिस्सा (नोक) नीचे जाने के बाद यानी गिरने के बाद सही से उच्चारित किया जाए ताकि संबंधित ध्वनि ठीक से प्रकट हो सके।
उत्क्षिप्त व्यंजन की परिभाषा क्या है
वैसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय जीभ के आगे का हिस्सा तालु को स्पर्श करते हुए झटके से निचे गिरता है उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाता है।
जैसे –
- डंडा
- खड़ी
- डर
- चढ़ाई
- ढंग
- ढाँचा
उत्क्षिप्त व्यंजन के उदाहरण क्या है
उत्क्षिप्त व्यंजन के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण इस तरह से है, इन उदाहरणों के वजह से उत्क्षिप्त व्यंजन का उच्चारण वाक्य में कैसे करना है इसके बारें में आपको अच्छे से समझने मदद मिलेगी। तो चलिए देखते है —
ढ : ढ हिंदी वर्णमाला के ‘ट’ वर्ग का चौथा (4rt) व्यंजन है, जिसका उच्चारण शब्द के शुरू (आदि) व बिच (मध्य) में होता है परन्तु ‘ढ़’ का उच्चारण सदैव शब्द के अंत या मध्य में होता है।
जैसे की –
- ढक्कन
- ढोल
- ढपली
- ढोलक
- लुढ़कना
- बूढ़ा
- कढ़ाई
- गाढ़ा
- पढ़ाई
ड : ड हिंदी वर्णमाला के ‘ट’ वर्ग का तीसरा (3rd) व्यंजन है, जिसका उच्चारण शब्द के शुरू (आदि) व बिच (मध्य) में ड, डा, डि, डी आदि रूपों में होता है। हलाकि अधिकतर ड अक्षर का प्रयोग शब्द के आरम्भ में होता है परन्तु ‘ड़’ का उच्चारण सदैव शब्द के अंत या मध्य में ड़ा, ड़ के रूप में होता है.
जैसे की –
- डलिया
- डमरू
- डब्बा
- डर
- पेड़
- लड़ाई
- लड़की
- सड़क
- छड़ी
उत्क्षिप्त व्यंजन कितने होते है
हिंदी व्याकरण के अनुसार उत्क्षिप्त व्यंजन दो होते है
- ड
- ढ
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने जाना की ‘उत्क्षिप्त व्यंजन (Utkshipt Vyanjan) किसे कहते है? और उत्क्षिप्त व्यंजन कितने होते है?’ उत्क्षिप्त व्यंजन, व्यंजन का एक प्रकार है जिसके बारें में हमने अपने पहले पोस्ट में बताया था।
आज हमने यहाँ उत्क्षिप्त व्यंजन के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है। उम्मीद करते है, हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी।
लेकिन फिर भी यदि यहाँ दी गयी जानकारी आपको समझ न आई हो या इससे सम्बंधित और कुछ जानना चाहते है, तो निचे कमेंट के माधयम से आप अपने प्रश्न पूछ सकते हो। और यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट के जरिये अपनी राय जरूर दें.
FAQ
उत्क्षिप्त व्यंजन किसे कहते है?
वैसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय जीभ के आगे का हिस्सा तालु को स्पर्श करते हुए झटके से निचे गिरता है उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाता है|
उत्क्षिप्त व्यंजन कितने प्रकार के होते है?
उत्क्षिप्त व्यंजन दो प्रकार के होते है – ड और ढ |
उत्क्षिप्त व्यंजन को उच्चारित कैसे होती है?
उत्क्षिप्त व्यंजन का उच्चारण करते समय हमारी जीभ का अग्रभाग यानी आगे का हिस्सा (नोक) एक झटके के साथ नीचे की ओर गिरता है।
उत्क्षिप्त व्यंजन के उदाहरण क्या है?
उत्क्षिप्त व्यंजन के उदाहरण है – डोली, ढिबरी, सड़क, पेड़, चढ़ाई आदि।