अयोगवाह किसे कहते हैं – Ayogwah Kise Kahate Hain

अयोगवाह किसे कहते हैं
Ayogwah Kise Kahate Hain

अयोगवाह किसे कहते हैं: हिंदी व्याकरण में स्वर और व्यंजन किसे कहते हैं, इसके बारे में तो आप अच्छी तरह से जानते ही गए होंगे और अगर नहीं जानते है,  तो हमारे पिछले पोस्ट में जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि अयोगवाह किसे कहते हैं या अयोगवाह कितने प्रकार के होते हैं? यदि नहीं तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।

दरअसल अयोगवाह  स्वर और व्यंजन का ही एक अंश जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। लेकिन हम इस लेख के माध्यम से हिंदी वर्णमाला में अयोगवाह क्या हैं (Ayogwah Kise Kahate Hain) के बारे में विस्तार से बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

अयोगवाह किसे कहते हैं (Ayogwah Kise Kahate Hain)

स्वर और व्यंजन के अलावा हिंदी वर्णमाला में अयोगवाह वर्ण भी होते हैं। जी हाँ अयोगवाह वर्णों के ना तो स्वर वर्णों के अंतर्गत शामिल किया जाता है और ना ही व्यंजन वर्णों के अंतर्गत इसे शामिल किया जाता है।

अयोगवाह वर्ण प्रायः स्वर और व्यंजन दोनों स्वरों के सहारे पर चलती है परंतु इनका योग स्वर तथा व्यंजन किसी के साथ नहीं बनता। अयोगवाह शब्द को यदि ध्यान से देखें, तो समझ आएगा कि यह दो शब्दों के मेल से बना है यानी (आयोग + वाह)

इसमें आयोग का मतलब होता है, कि किसी से भी योग नहीं। अर्थात्‌ यहाँ स्वर एवं व्यंजन दोनों में से किसी के भी साथ योग नहीं है। तथा वाह जिसका मतलब होता है अर्थ वहन।

अयोगवाह कितने होते  हैं  (Ayogwah kitne hote hai)

 हिंदी वर्णमाला में अयोगवाह  की संख्या 2 है।

  • अं (अनुस्वार)
  • अः (विसर्ग)

अं (अनुस्वार)

ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय केवल नाक के माध्यम से हवा बहार की और निकलती हो और झटके से जिन वर्णो का उच्चारण किया जाता हो  तो वहां प्रायः अनुस्वार का प्रयोग किया जाता है. आपको बता दें की आम बोल चल में अनुस्वार को बिंदु कहा जाता है|

  • सारंग
  • चंचल
  • ठंडा
  • पलंग 
  • परंतु

अनुस्वार का प्रयोग प्रायःकिसी भी वयंजन यानी हिंदी वर्णमाला के प्र्तेक वर्गों (क से म तक) के अंतिम वर्ण यानी पांचवे वर्ण (ङ्, ञ, ण्, न्, म्) के स्थान पर किया जाता है.

‘क’ वर्ग के अंतिम यानी पांचवे वर्ण ‘ङ्’ में अनुस्वार का प्रयोग –

चङ्गा के स्थान में चंगा

पलङ्ग के स्थान में पलंग

‘च’ वर्ग के अंतिम यानी पांचवे वर्ण ‘ञ्’ में अनुस्वार का प्रयोग –

चञ्चल के स्थान में चंचल

जञ्गल के स्थान में जंगल

‘ट’ वर्ग के अंतिम यानी पांचवे वर्ण ‘ण्’ में अनुस्वार का प्रयोग –

टण्की के स्थान में टंकी

ठण्डा के स्थान में ठंडा

‘त’ वर्ग के अंतिम यानी पांचवे वर्ण ‘न्’ में अनुस्वार का प्रयोग –

तुरन्त के स्थान में तुरंत

धन्धा के स्थान में धंधा

‘प’ वर्ग के अंतिम यानी पांचवे वर्ण ‘म्’ में अनुस्वार का प्रयोग –

सम्बंध के स्थान में संबंध

परम्परा के स्थान में परंपरा

अः (विसर्ग)

विसर्ग (:)  का प्रयोग अधिकतर संस्कृत शब्दों में किया जाता है.जिसका उच्चारण करते समय ह की आवाज निकलती है|

  • अतः
  • पूर्णतः
  • पुनः
  • मूलतः
  • प्रायः

निष्कर्ष

इस लेख में आज हमने जाना कि अयोगवाह किसे कहते हैं (Ayogwah Kise Kahate Hain) तथा अयोगवाह कितने होते हैं। उम्मीद करते हैं, हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। और इस लेख के माध्यम से आपको अयोगवाह के बारे में अच्छी तरह से समझ आ गया होगा।

लेकिन इसके बावजूद यदि आप इस विषय से संबंधित और अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कमेंट के माध्यम से आप अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। और यदि यह लेख आपको पसंद आया हो, तो इसे जितना अधिक हो सके उतना शेयर करें ताकि अन्य लोग को भी इससे संबंधित जानकारी प्राप्त हो सके।

FAQ

अयोगवाह क्या है?

हिन्दी वर्णमाला के ऐसे वर्ण जिन्ह ना तो स्वर वर्ण में शामिल किया जाता है और ना ही व्यंजन वर्ण में, अयोगवाह कहलाता है।

अयोगवाह कितने होते है?

अयोगवाह की संख्या दो होती है – अं (अनुस्वार) और अः (विसर्ग)

अनुस्वार अयोगवाह के कुछ उदाहरण बताए?

अनुस्वार अयोगवाह के उदाहरण है – अंश, अंग, कलंक, पंक्ति आदि।

विसर्ग अयोगवाह के कुछ उदाहरण बताए?

विसर्ग अयोगवाह के उदाहरण है – अतः, प्रायः, दुःख, पूर्णतः आदि।

अनुनासिक किसे कहते है?

अनुनासिक को आम बोलचाल में चंद्र बिंदु (ँ) भी कहते है। किन वर्णों का उच्चारण मुंह और नाक दोनों से होता है अनुनासिक स्वर कहलाता है।