कर्मवाच्य के परिभाषा एवं उदाहरण

कर्मवाच्य
karm vachya

आज के इस लेख में हम कर्मवाच्य के परिभाषा एवं उदाहरण पर बात करने वाले हैं। कर्मवाच्य हिंदी व्याकरण के वाच्य का ही एक प्रकार है। पिछले पोस्ट में हमने आपको वाच्य के प्रकार भाव वाच्य किसे कहते हैं के बारे में बताया था और आज हम यहां कर्म वाच्य किसे कहते हैं और कर्मवाच्य का प्रयोग कहां किया जाता है इस बारे में बताएंगे।

यह विषय उन विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है, जो हिंदी विषय के माध्यम से किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।  तो चलिए फिर बिना देर किए इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं कर्मवाच्य क्या है

कर्म वाच्य किसे कहते हैं

कर्मवाच्य, वाक्य में उस क्रिया को कहते हैं जिसका प्रयोग कर्ता द्वारा किया जाता है और जिसका प्रभाव कर्म पर पड़ता है। इसका अर्थ होता है, कि वाक्यों में एक क्रिया होती है जो किसी वस्तु या प्रत्येक को निश्चित रूप से प्रभावित करती है।

दूसरे शब्दों में जिन वाक्यों में कर्म की प्रधानता अधिक होती है उन्हें कर्मवाच्य कहा जाता है।

एक कर्मवाच्य के संदर्भ में वाक्य तीन महत्वपूर्ण तत्वों से मिलकर बनता है। जैसे कि –

  • कर्ता
  • कर्म
  • क्रिया

कर्ता

यह व्यक्ति, स्थान, वस्तु या संज्ञा होती है जो क्रिया करती है। इसका प्रयोग कर्तृवाच्य वाक्य में होता है। उदाहरण के रूप में –  राम, वह, बालक कर्ता हो सकते हैं।

कर्म

यह वस्तु, प्राणी या संज्ञा होती है जिसका प्रभाव कर्ता द्वारा पाया जाता है।  इसका प्रयोग कर्मवाच्य वाक्य में होता है। उदाहरण के रूप में पुस्तक, गाना, खिड़की कर्म हो सकते हैं।

क्रिया

यह क्रिया होती है जिसे कर्ता करता है और जिसका प्रभाव कर्म पर पड़ता है।उदाहरण के रूप में पढ़ना, लिखना, खेलना क्रियाएं हो सकती है।

इस तरह कर्मवाच्य वाक्य में कर्ता,  कर्म और क्रिया के तत्व मिलकर एक पूर्ण वाक्य बनाते हैं जहां क्रिया कर्ता द्वारा किया जाता है और कर्म पर प्रभाव डालता है।

कर्म वाच्य के परिभाषा क्या है

वैसे वाक्य जिनमें कर्ता की प्रधानता ना होकर केवल कर्म की प्रधानता होती है, उन्हें कर्मवाच्य कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो क्रिया का वह रूप जिन का केंद्र बिंदु करताना होकर केवल कर्म ही केंद्र बिंदु हो तो उन्हें कर्मवाच्य कहा जाएगा।

ध्यान रहे कर्मवाच्य में प्रायः क्रियाएं सकर्मक होती हैं और क्रिया के लिंग तथा वचन कर्ता के अनुसार ना होकर बल्कि केवल कर्म के अनुसार होते है।

जैसे –

मरीजों को दवाइयां दी गई।

लेखकों द्वारा पुस्तकें लिखी गई।

टीम के द्वारा मैच खेला गया।

बाबूलाल ने घर की सफाई की।

ऊपर दिए गए उदाहरण में स्पष्ट है, कि कर्म प्रधान है यानी  की वाक्य का केंद्र बिंदु कर्म है और उन्हीं के लिए ‘लिखी गई, खेला गया, सफाई की, दवाई दी गई’ जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए हैं। अतः यह कर्मवाच्य कहलाए जाएंगे।

ऊपर आप देख सकते हैं, कि क्रियाएं कर्ता के मुताबिक नहीं बल्कि कर्म के मुताबिक परिवर्तित हो रही है  अतः वाक्य में क्रिया कर्ता द्वारा की गई है और कर्म पर प्रभाव डालती है।

कर्मवाच्य के उदाहरण

हम यहां कर्मवाच्य से संबंधित कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके माध्यम से आप कर्मवाच्य किसे कहते हैं अच्छी तरह से समझ पाएंगे। तो आइए देखते हैं, कर्मवाच्य के उदाहरण क्या है –

  • विनीत का पैर टूट गया।
  • बाबूलाल घर की सफाई कर रहे हैं।
  • क्रिकेट खेली गई
  • बच्चे ने गाना गाया
  • हमने पार्टी मनाई।
  • अभिनेता ने पुरस्कार जीता।
  • विद्यालय की साफ सफाई की जा रही है।
  • गिरकर सारे खिलौने टूट गए।
  • पैसे काफी खर्च किए जा रहे हैं।
  • बगीचों से आम इकट्ठे किए गए।
  • बहुत थक गए और चला नहीं जाता।
  • अब और किताबें नहीं पढ़ी जाती।
  • सीता ने राम के कपड़े स्त्री किए।
  • मजदूरों से यह काम नहीं किया जाता।
  • कक्षा में बच्चों द्वारा फूलदान में फूल लगाए गए।

कर्मवाच्य का प्रयोग कहां किया जाता है

हिंदी व्याकरण के अनुसार कई ऐसी परिस्थितियों का वर्णन किया गया है, जहां पर कर्मवाच्य का प्रयोग करना उचित होता है। नीचे कुछ ऐसे ही परिस्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जहां पर कर्मवाच्य का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे कि –

जिस जगह कर्ता की पहचान ना हो

यह स्थिति उस समय उत्पन्न होती है, जब क्रिया का कर्ता प्रकट नहीं होता है या जब हमें उस वाक्य में उजागर नहीं करना होता है। 

उदाहरण के रूप में –

 ‘चिट्ठी भेजी गई’ यहां बताया गया है, कि चिट्ठी किसी के द्वारा भेजा गया है, लेकिन कर्ता कौन है यह इस वाक्य से  निश्चित नहीं होता।

बिना पूर्व सूचना के कोई कार्य हो गया हो

यह स्थिति विशेष तौर पर उस समय उत्पन्न होती है जब कोई क्रिया अप्रत्याशित रूप से हो जाती है या कोई कार्य अचानक पूरा हो जाता है या बिगड़ जाता है।

 उदाहरण के रूप में –

‘पोर्सलिन के बर्तन टूट गई’ इस वाक्य में बताया जा रहा है कोई कार्य अचानक ही हो गया है जैसे बर्तन गिर कर टूट गए।

जहां कर्ता को प्रकट किया जाए

कभी-कभी ऐसी स्थिति होती है जब करता की पहचान करना आवश्यक नहीं होता और हम सिर्फ उस क्रिया के विवरण को संगठित करना चाहते हैं लेकिन करता का नाम उजागर नहीं होता।

उदाहरण के रूप में –

‘चोरों का पता ढूंढा जा रहा है’ इस वाक्य में चोरों के पते के बारे में चर्चा की जा रही है लेकिन कर्ता का नाम उजागर नहीं किया गया है।

जिस स्थान पर कर्ता निश्चित ना हो

इस स्थिति में क्रिया को कर्ता का पता नहीं होता और हमें उसे निश्चित करने के लिए अनुरोध किया जाता है।

उदाहरण के लिए –

‘बच्चों को कल बुलाया जाए’ इस वाक्य में बच्चों को बुलाए जाने के लिए अनुरोध किया जा रहा है लेकिन कर्ता का नाम निश्चित नहीं है।

आवश्यकता सूचित करने के लिए

कई बार कर्मवाच्य वाक्यों का प्रयोग उस स्थिति में होता है, जब किसी क्रिया को करना या किसी वस्तु को प्राप्त करना असंभव होता है या निष्पादित नहीं किया जा सकता है।

 उदाहरण के रूप में –

‘अब दवाइयां नहीं खाया जाता’ इस वाक्य में दवाई खाना असंभव हो गया है। शायद, क्योंकि दवाइयां समाप्त हो गई है या दवाइयां खाने का मन नहीं है।

कर्मवाच्य को कैसे पहचाने

कर्मवाच्य को पहचानने के लिए आपको सबसे पहले कर्मवाच्य परिवर्तन के नियम को समझना होगा यानी कि जब किसी वाक्य को कर्मवाच्य में परिवर्तन किया जाता है तो उनमे किन चीजों को शामिल किया जाता है या किन्हें हटाया जाता है।

तभी आप किसी को देखकर यह बता पाएंगे कि यह कर्मवाच्य है।

  • सबसे पहले तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि असमर्थता सूचक वाक्य यानी कि कोई कार्य या स्थिति संभव नहीं है या करने में असमर्थ है तो इन वाक्यों में द्वारा का प्रयोग ना होकर से का प्रयोग होता है। ऐसी बात कि अधिकतर नकारात्मक वाक्य ही होते हैं।

जैसे कि –

  • मुझसे और नहीं खाया जा रहा।
  • राम से एक दिन में सारे काम नहीं हो पा रहे।
  • गीता से यह प्रश्न एक मिनट में हल नहीं हो सकता।
  • प्रायः कर्मवाच्य वाक्यों में कर्ता के बाद दो शब्दों का प्रयोग किया जाता है और वे शब्द है से और द्वारा यानी (कर्ता + से) अथवा (कर्ता + द्वारा)

जैसे कि –

  • प्रतीक से खाना खराब हो गया।
  • रामचंद्र के द्वारा पूरे बगीचे की सफाई हुई।
  • मीनाक्षी के द्वारा घर का सारा कार्य पूरा हो गया।
  • तनुश्री से कविताएं नहीं लिखी गई।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने कर्म वाच्य किसे कहते हैं तथा कर्मवाच्य का मतलब क्या होता है के बारे में विस्तारपूर्वक जाना है।  साथ ही साथ हमने यहां कर्मवाच्य के 10 उदाहरण भी देखें।

यहां पर दी गई जानकारी (कर्मवाच्य के परिभाषा एवं उदाहरण) इतनी उपयोगी है, कि किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में यदि इस विषय से संबंधित प्रश्न आते हैं, तो हम आसानी से उसे हल कर पाएंगे।

हालांकि यदि इस विषय से संबंधित कोई प्रश्न किसी को पूछना है, तो वह नीचे कमेंट के माध्यम से पूछ सकता है। लेकिन अगर यह लेख आप लोगों को पसंद आया हो, तो इसे जितना हो सके उतना शेयर करें ताकि लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी हो सके।

FAQ

कर्मवाच्य किसे कहते हैं?

वैसे वाक्य जिनमें कर्ता की प्रधानता ना होकर केवल कर्म की प्रधानता होती है, उन्हें कर्मवाच्य कहा जाता है।

कर्मवाच्य के उदाहरण क्या है?

कर्मवाच्य के उदाहरण है – टीम के द्वारा मैच खेला गया, बाबूलाल ने घर की सफाई की, मरीजों को दवाइयां दी गई।

कर्मवाच्य का प्रयोग कैसे होता है?

कुछ ऐसी परिस्थितियां है जहां कर्मवाच्य का प्रयोग होता है। जैसे – अचानक से कोई कार्य का हो जाना,  जहां पर कर्ता की पहचान ना हो, जहां कर्ता को प्रकट किया जा रहा हो आदि।

कर्मवाच्य और कर्तृवाच्य में क्या अंतर है?

ऐसे वाक्य जिनमें कर्म की प्रधानता होती है उन्हें कर्मवाच्य कहा जाता है जबकि ऐसे वाक्य जिनमें कर्ता की प्रधानता होती है उन्हें कर्तृवाच्य कहते हैं।

कर्मवाच्य में प्रायः कौन सी क्रिया होती है?

कर्मवाच्य में प्रायः सकर्मक क्रिया होती है।