200+Lokoktiyan in Hindi| हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ

Lokoktiyan in Hindi
Lokoktiyan in Hindi

Lokoktiyan in Hindi | लोकोक्तियाँ

इस लेख में आज हम हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ (Lokoktiyan in Hindi) क्या है के बारे में बात करने वाले हैं। साथ ही साथ हम यहाँ जानेंगे की लोकोक्ति क्या है, लोकोक्ति की क्या विशेषताएं है|

लोकोक्ति का क्या महत्व है तथा लोकोक्ति शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? जैसा की आप जानते हैं, लोकोक्ति हिंदी भाषा का सबसे रोचक हिस्सा है, जिसका प्रयोग खास तौर पर लोग अपनी बातों को और भी ज्यादा प्रभावपूर्ण बनाने के लिए करते हैं।

लोकोक्ति ऐतिहासिक और पौराणिक कथा तथा अनुभवों का लेखा जोखा है, जिसका इस्तेमाल सीख या किसी बातों की पुष्टि करने के लिए की जाती है। यह हिंदी का एक ऐसा विषय है जिससे संबंधित प्रश्न विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।

इसलिए प्रत्येक अभ्यर्थियों को इसके बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है। तो चलिए फिर बिना देर किए इसलिए को शुरू करते हैं, और जानते हैं हिंदी ही प्रमुख लोकोक्ति क्या है –

लोकोक्ति किसे कहते हैं

लोकोक्तियां एक प्रकार की प्रसिद्ध कहावतें होते हैं, जो जन सामान्य के माध्यम से प्रसिद्ध होते हैं। इन वाक्यांशों का एक मतलब मतलब होता है और यह संदेशों को संक्षेपित और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने का काम करते हैं।

लोकोक्ति दो शब्द लोक और उक्ति के मेल से बना है जिनमें लोक का मतलब होता है लोगों में प्रचलित और उक्ति का मतलब होता है कथा या कथान अर्थात लोगों में प्रचलित कथन।

लोकोक्तियों का इस्तेमाल आमतौर पर विविध प्रकार की सामाजिक, नैतिक, आध्यात्मिक, शैलिक और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और व्यक्त करने में किया जाता है। इनका इस्तेमाल जीवन के विशिष्ट परिस्थितियों में किया जाता है।

सरल शब्दों में कहे तो लोकोक्तियों का संबंध विशेष कर किसी घटित घटना या कहानी से होती है।

लोकोक्तियां बहुत सी प्राचीन संस्कृति से उत्पन्न होती है और यह समय-समय पर सुनाई गई आदर्श बातों का प्रतिनिधित्व करती है लोकोक्तियों को इंग्लिश में ‘प्रोवर्ब (Proverbs)’ के नाम से जाना जाता है और तो और लोकोक्तियां को हिंदी में ‘कहावत’ के नाम से भी जानते है।

लोकोक्ति की विशेषताएं क्या है

लोकोक्ति की अनगिनत विशेषताएं होती है। जिनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएं इस  तरह है।

जैसे कि –

  • लोकोक्तियों के माध्यम से समाज में मौजूद विभिन्न वर्गों के लोगों को एक स्तर पर जोड़ने का कार्य किया जा सकता है।
  • लोकोक्तियां सुनने में या पढ़ने में इतनी खूबसूरत होती है, की लोग इसके माध्यम से बुरी से बुरी बातों या कड़वी बातों को भी हंसी ठिठोली में तथा मनोरंजन अंदाज में बयान कर सकते हैं, जिससे तनावपूर्ण व्यक्ति भी सुनकर मुस्कुरा देता है।
  • यह समाज में आदर्श और नैतिकता की राह पर चलने या धर्म की मार्ग पर चलने के लिए प्रेरक करती है। यह समाज में स्थिरता बनाए रखने में भी काफी ज्यादा उपयोगी होती है।
  • लोकोक्ति के जरिए लोग जटिल और मुश्किल से मुश्किल बातों को बहुत ही सरलता पूर्वक अंदाज में कह सकते हैं।
  • जैसा की सबको पता है, लोकोक्तियां पौराणिक समय से चली आ रही है। इसलिए लोकोक्तियों के जरिए लोग अपने पूर्वजों और संस्कृति को समझते हैं,  उनकी समय व्यवस्था और उनके अनुभवों को सीखते हैं।
  • लोकोक्ति यह आम बोलचाल की भाषा से बहुत अलग होती है  इसके माध्यम से लोग बहुत ही गहरी बातों को आसानी से कह डालते हैं।
  • लोकोक्तियां हमें रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी बातें और उनके अनुभवों को समझाने का सबसे सरल और मनोरंजक तरीका होता है।

लोकोक्ति का महत्व

हमारे इर्द-गिर्द लोकोक्ति का काफी महत्व है, जिनके बारे में हम नीचे आपको बता रहे हैं। 

जैसे की –

1 . लोकोक्ति के जरिए समाज में या लोगों के व्यवहार में समझ पैदा करती है तथा जागरूकता या प्रेरणा देती है।

उदाहरण के लिए –

  • ‘गुड़ ना दे पर गुड़ की से बात तो करें।’

ऊपर  बताए गए  लोकोक्ति का मतलब है, यदि कोई किसी की मदद नहीं कर सकता है तो कम से कम उसके साथ मधुर व्यवहार तो करनी ही चाहिए।

2 . लोकोक्ति लोगों को बड़ी से बड़ी मुश्किल में डटे रहने की या  बड़ी से बड़ी परेशानियों में डटकर मुकाबला करने की हिम्मत देता है।

उदाहरण के लिए –

  • ‘ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना।’

ऊपर दिए गए लोकोक्ति का मतलब है, जब तुम कोई मुश्किल काम हाथ में लिए हो तो आने वाली मुश्किलों या बाधाओं से डरना नहीं चाहिए बल्कि उसका डटकर सामना करना चाहिए।

3 . लोकोक्ति हमें एक साथ मिलकर कार्य करने की सीख देती है। यह लोगों को सरल शब्दों में एकता का पाठ पढ़ती है।

उदाहरण के लिए –

  • ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।’

ऊपर बताए गए लोकोक्ति का मतलब है, कोई भी मुश्किल से मुश्किल कार्य हम एक साथ मिलकर कर सकते हैं परंतु कोई अकेला व्यक्ति वह कार्य कभी नहीं कर सकता।

लोकोक्ति के प्रमुख कितने भेद है

हिंदी भाषा के अनुसार लोकोक्ति के मुख्यता पांच प्रकार होते हैं।  जैसे कि –

  • तुलनात्मक लोकोक्ति
  • निर्देशात्मक लोकोक्ति
  • वर्णनात्मक लोकोक्ति
  • संस्कृत या ऐतिहासिक लोकोक्ति
  • रूपक लोकोक्ति

तुलनात्मक लोकोक्ति

ऐसे लोकोक्तियां जो विशेष तौर पर बिंदुओं को यानि किसी महत्वपूर्ण बातें उजागर करने के लिए तुलना करते हैं उन्हें तुलनात्मक लोकोक्ति कहा जाता है।

जैसे कि –

  • हाथ में एक पक्षी झाड़ी में दो के बराबर होता है।
  • अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है

निर्देशात्मक लोकोक्ति

ऐसी लोकोक्तियां जो लोगों को जीवन जीने के सही तरीके तथा जीवन से जुड़े दिशा निर्देशों की जानकारी देती है वे निर्देशात्मक लोकोक्ति कहलाते हैं।

जैसे की –

  • आगे कुआं पीछे खाई
  • आटे के साथ धून भी पिसता है।

वर्णनात्मक लोकोक्ति

ऐसी लोकोक्तियां जो हमारे इर्द-गिर्द उदाहरण देकर प्राकृतिक घटनाओं तथा टिप्पणियों के बारे में बताती हैं यानी वर्णन करती हैं उन्हें वर्णनात्मक लोकोक्ति कहते हैं।

जैसे की –

  • बढ़ ही जब खेत को खाएं तो रखवाली कौन करें।

संस्कृत या ऐतिहासिक लोकोक्ति

ऐतिहासिक पहलुओं से जुड़ी लोकोक्तियां जो हमारे पौराणिक कथाओं या विशिष्ट सांस्कृतिक कथाओं पर आधारित होती है वे संस्कृति की ऐतिहासिक लोकोक्ति कहलाती हैं।

जैसे की –

  • अब पछताए क्या होत हैं, जब चिड़िया चुग गई खेत।

रूपक लोकोक्ति

ऐसी लोकोक्ति विशेषतौर पर विभिन्न ज्वलंत स्वरूपों का उदाहरण देती है,अपने संदेशों को व्यक्त करने के लिए या दूसरों को समझने के लिए उन्हें रूपक लोकोक्ति कहते हैं।

जैसे की –

  • बाप से बैर पूत से सगाई
  • बिना रोए तो मन भी दूध नहीं पिलाती

हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियां में अन्तर

हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियां सुनने में लगभग एक से लगते हैं परंतु दोनों में काफी अंतर होता है। यहां हम नीचे आपको हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियों के बीच क्या अंतर है, के बारे में विस्तार से बताएंगे जैसे की –

मुहावरे (Idioms)

मुहावरों को अंग्रेजी में Idioms कहा जाता है। यह एक प्रकार की भाषा की अद्भुता होती है, जिनमें शब्दों का सामान्य अर्थ नहीं होता है बल्कि उनका विशेष और असामान्य अर्थ होता है।

मुहावरे अक्सर  लिंग,  वचन या कारक के आधार पर बदलते हैं। यह पूर्णत स्वतंत्र नहीं होते हैं और ना ही इसे अकेले वाक्य पूरा होता है। मुहावरे लोकोक्तियों से छोटी होती है। इनका प्रयोग विशेष तौर पर वाक्यों की खूबसूरती बढ़ाने भाषा को आकर्षक और रोचक बनाने में किया जाता है।

उदाहरण के लिए –

  • अपना उल्लू सीधा करना अर्थात ‘स्वार्थ सिद्ध करना’
  • उंगली पर नाचना अर्थात ‘वश में करना’
  • अकल का दुश्मन होना अर्थात ‘मूर्ख होना’
  • अंधेरे में तीर चलाना अर्थात ‘अंदाजा लगाना।’

लोकोक्ति (Proverbs)

लोकोक्ति को कहावतें भी कहते हैं यह अक्सर जीवन के नैतिक और सामाजिक सिद्धांतों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती है। इनका संबंध हमें किसी घटित घटना से होता है।

लोकोक्तियां पौराणिक कथाओं या अनुभव के अनुसार होती है। यह वाक्यों में स्थिरता लाती है। लोकोक्ति प्रायः मुहावरों से बड़ी और भाव पूर्ण होती है। 

उदाहरण के लिए –

  • बाप भाला ना भैया, सबसे भाला रुपैया अर्थात ‘धन ही सबसे बड़ा होता है।’
  • बासी कढ़ी में उबाल नहीं आता अर्थात ‘काम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है’
  • बिल्ली और दूध की रखवाली अर्थात ‘भक्षक रक्षक नहीं हो सकता’
मुहावरे (Idioms)लोकोक्ति (Proverbs)
यह एक वाक्यांश है | मतलब वाक्य का अंश है | यह सम्पूर्ण वाक्य होती है |
इसका हम स्वतंत्र प्रयोग नहीं किया जा सकता | केवल वाक्य में प्रयोग होगा | इसका प्रयोग हम स्वतंत्र रूप से कर सकते है |
जीतू ने आज बहती गंगा में हाथ धो लिया | चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये – बड़े कंजूश

लोकोक्तियां का अर्थ और वाक्य

यहां हम कुछ चुनिंदा लोकोक्ति उनके अर्थ के साथ जानेंगे। इन लोकोक्तियों को अच्छी तरह समझने के लिए हम यहां उनके वाक्य भी बताएंगे।

जैसे कि-

1 . “दूर के ढोल सुहावने लगते हैं”

अर्थ – इसका अर्थ होता है, कि दूसरों की चीजों को देखकर वे आकर्षक लगते हैं।

वाक्य – हमेशा जब हम किसी दूसरी की वस्तुओं को देखते हैं तो वह दिखने में ज्यादा आकर्षक लगते हैं और लोग ऐसा ही करते हैं बजे कि वह अपनी खरीदी हुई चीजों पर ध्यान दें।

2 . “हँसी तो फँसी” –

अर्थ – इसका अर्थ होता है, कि कई बार आपकी हँसी आपको मुश्किल में डाल सकती है।

वाक्य –  रिया एक शोक सभा में गई हुई थी और वहां से लगातार हंसी आ रही थी ऐसी स्थिति में हंसना किसी को भी मुश्किल में डाल सकता है।

3 . “आप भले तो जग भला” –

अर्थ – इसका अर्थ होता है कि जब आप अच्छे होते हैं, तो पूरे वातावरण में सुधार होता है।

वाक्य – उसके परिवार का दिन सुबह ही उसकी खुशियों से भरपूर था, क्योंकि उसने परीक्षा में उत्त्कृष्ट प्राप्त किए थे।

4 . “अनढ़ बगुला किया क्या?”

अर्थ – इसका अर्थ होता है, कि कोई अनजान या अनअदृश्य कारण के लिए दोष देने की क्रिया।

वाक्य: जब सीमा ने अपनी गाड़ी के सामने से बिना सिग्नल के लाइन में आ गई, तो राज ने कहा, “अनढ़ बगुला किया क्या?”

5 . “कामचोरी का फल मीठा होता है”

अर्थ – इसका अर्थ होता है, कि आलस्य के कारण किए गए काम का परिणाम अच्छा होता है।

वाक्य: उसने बीते हफ्ते में पूरी कामचोरी की थी, लेकिन उसके प्रयासों के फलस्वरूप प्रोजेक्ट में सफलता मिली और कामचोरी का फल मीठा हो गया।

6 . “आंख का अंधा गांठ का पूरा”

अर्थ – संपन्न अज्ञानी

वाक्य –  दिव्या है तो बहुत अमीर, लेकिन दिमाग रति भर भी नहीं है इसलिए वह कहते हैं ना आंख का अंधा गांठ का पूरा वही बात हो गई।

7 . “जैसे को तैसा”

अर्थ – इसका अर्थ होता है कि किसी की कर्मों के अनुसार उसे फल मिलता है।

वाक्य – दिवाकर ने स्कूल में मेघा के कपड़ों पर इंक फेंक दिया और स्कूल घर आते समय सड़क पर की कीचड़ उड़कर दिवाकर के कपड़ों पर लग गई। इसे कहते हैं, जैसे को तैसा।

8 . “एक तो करेला और दूसरा नीम चढ़ा

अर्थ – इसका अर्थ होता है, एक साथ दो दो खरबिया।

वाक्य – राम कड़वा तो बोलता ही था परंतु अब वह चिड़चिड़ा भी हो गया है यूं कहे तो राम एक तो करेला और दूसरा नीम चढ़ा।

9 . “अंधों में काना राजा”

अर्थ – इसका अर्थ होता है कि कहीं-कहीं अज्ञानी भी महत्वपूर्ण फैसलों का नेतृत्व कर सकता है।

वाक्य – अनपढ़ के सामने राम ने टूटी-फूटी अंग्रेजी बोल कर अंधों में काना राजा बन गया

10 . “जल में रहकर मगर से बैर नहीं”

अर्थ – इसका अर्थ होता है कि अपने से  शक्तिशाली से दुश्मनी करना ठीक नहीं।

वाक्य – जिस ऑफिस में जॉब कर रहे हो वहां के बॉस की सारी बातें सुनो क्योंकि जल में रहकर मगर से बैर नहीं करनी चाहिए

30  लोकोक्तियां

30 लोकोक्तियां कुछ इस तरह है –

1 . “कुल्हाड़ी में लकड़ी नहीं”

अर्थ – किसी काम के लिए आवश्यक सामग्री नहीं होने का अभिकारी बहाना करना।

2 . “गीत गाने के अगले ही मोड़ पर वो रुलाने लगते हैं”

अर्थ – अचानक बदलते हालात के कारण एक सामान्य काम करने में कठिनाइयाँ आना।

3 .  “अँधेर नगरी चौपट राजा”

अर्थ – जहां मुखिया ही मुर्ख हो वहां अन्याय होना सामन्य है।

4 . “चलती की बूँद” 

अर्थ – छोटी-छोटी चीजों का महत्व होना।

5 . “गुस्से में गरजे, शरम में विचलित”

अर्थ – व्यक्ति की प्राकृतिकता को बयान करने वाली उक्ति।

6 . “आप बड़े तो भगवान भी उपासने आते हैं”

अर्थ – अधिक प्रभावशाली व्यक्तियों के सामने सभी आगे आने की प्रयास करते हैं।

7 . “कमर कस ली, दिल देना पड़ा”

अर्थ – खुद की कठिनाइयों का सामना करना।

8 . “बाजारों की चीर”

अर्थ – सख्त प्रतिस्पर्धा वाला व्यवसायी या काम।

9 . “किताबों में बस जाना” – ऐसे किसी काम को करने के लिए तैयार रहना, लेकिन कभी वास्तविक अमल नहीं करना।

10 . “कुत्ते की दुम तेंगे के नीचे” – किसी के साथ नीचे स्थिति में रहकर उसके उच्च स्थिति का अनुभव करना।

11 . “आप गूंगे की दुम पर तुम्हारा सवार आ गया”

अर्थ – एक अच्छा अवसर मिलना।

12 . “आप अपने बनाये हुए गुलाम बन गए”

अर्थ – अपने खुद के कामों से गर्व करने के बजाय किसी और के काम में ही लग जाना।

13 . “पेड़ के पास बैठकर बोलना”

अर्थ – जानकार किसी विषय पर व्यक्ति को शिक्षा देना।

14. “अँधे के हाथ में बटेर”

अर्थ – कठिन परिस्थितियों में आवश्यक सामग्री का अभाव होना।

15 .”बरतन में पानी फिरता है”

अर्थ – अस्थिरता या नियमितता की कमी से उत्पन्न होने वाली समस्या।

16 . “जैसे को तैसा”

अर्थ – किसी के कामों या विचारों का फल वैसे ही होता है जैसा कि वे होते हैं।

17 . “बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद”

अर्थ – अपने विशेषज्ञता क्षेत्र के बाहर के कामों की समझ नहीं होना।

18 . “अधजल गगरी छलकत जाए”

अर्थ – अज्ञानी व्यक्ति अपने ज्ञान को बढ़ा चढ़ा कर ही हमेशा बताता है।

19 . “अंधी पीछे कुत्ता खाए”

अर्थ – मूर्ख व्यक्ति की कमाई दूसरे ही कहते हैं.

20 . “अंधे की लकड़ी”

अर्थ – एकमात्र सहारा

21 . “आंख का अंधा नाम नयन सुख” 

अर्थ – किसी के गुना के विपरीत नाम होना.

22 . “अंधे के हाथ बटेर लगना”

परिश्रम के बिना ही सफलता मिलना.

23 . अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग”

अर्थ – सिर्फ अपने मन की करना और दूसरों के साथ बिल्कुल भी तालमेल नहीं बैठना.

23 . “अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है”

अर्थ – अपने घर के आस-पास या क्षेत्र में केवल ताकत का जोर दिखाना.

24 . “आंख बच्ची और माल यारों का”

अर्थ – अपने समाज से ध्यान हटा नहीं की सामान चोरी हो गई

25 . “इमली के पात पर दंड पेलना”

अर्थ – संसाधनों के अभाव में बड़े कार्य करने की कोशिश करना.

26 . “आसमान से गिरा खजूर में अटका”

अर्थ – एक मुसीबत से निकला नहीं की दूसरी मुसीबत में फंसना

27 . “ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया”

अर्थ – संसार में कहीं भी समानता नहीं है

28 .  “ऊंची दुकान फीका पकवान”

अर्थ – वास्तव जिंदगी से अधिक दिखावा करना

29 . “एक अनार सौ बीमार”

अर्थ – किसी वस्तु की मांग ज्यादा होना और उसकी पूर्ति कम होना

30 . “एक पंथ दो काज”

एक कोशिश में दो कम सिद्ध होना।

ककड़ी चोर  को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती अर्थ साधारण गुनाहों के लिए ज्यादा कठोर सजा नहीं दी जाती

170 लोकोक्तियां और उनके अर्थ

1. अंधों में काना राजा: जिसकी बुद्धि कमजोर होती है, वह अक्सर अपनी ही दुर्बुद्धि से अच्छी बातें करता है।

2. अपना खाता खुद लेना: अपने कार्यों के लिए खुद जिम्मेदार होना।

3. उंगली और उँगलियों में जल आना: किसी से सहायता की आवश्यकता होना।

4. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे: दोष करने वाले को दोषी ढूंढ़ने वाला सजा देता है।

5. कांपती गदा: बहुत डरने वाला।

6. काम करो फल की इच्छा मत करो: काम करने में लगे रहो, परिणाम की चिंता न करो।

7. गहरे पानी में डूबना: मुश्किल में पड़ना।

8. चोर की दाड़ी में तिनका: अपने दोषों को छिपाने की कोशिश करना।

9. जैसा राजा वैसी प्रजा: नेता और उनके अनुयायी एक-दूसरे का परिचय देते हैं।

10. तितली की पलकें: बहुत नाजुक।

11. नया आदमी पुरानी खबर: एक व्यक्ति जिसे सब कुछ नया लगता है।

12. पक्षियों के पैर नहीं होते: भागने की क्षमता नहीं होना।

13. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद: असली मूल्य की पहचान नहीं होना।

14. बरतनी में उठाकर फेंक देना: बिना सोचे-समझे किसी काम को खत्म कर देना।

15. भगवान के घर देर है अंधेर नहीं: सफलता का समय आएगा, बस संघर्ष करते रहो।

16. बरतनी के बिल में चिढ़कना: ज्यादा उत्साह दिखाना।

17. बिल्ली का राजा तेंदुआ: चोटी का मालिक।

18. सांप का जहर पीकर विष में गए: अपने ही घातक कामों का परिणाम भुगतना।

19. सोने पर सुहागा: साथ में आने वाले सुख।

20. हाथी के दांत खाने के और दिखाने के: काम के बदले किए गए आदर्श।

21. बरबस शेर की बीकना: अच्छी तरह समझना।

22. दिल की बात दिमाग से सुनो: आपने अंतरात्मा की आवाज को सुनो।

23. मुख में राम बगल में छुरा: दोगलापन का प्रतीक।

24. राजा के दरबार में शहंशाह: सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति।

25. शहर बसे बिल्कुल नगर: सुखशान्ति से भरपूर स्थान।

26. अपने मुंह मियाँ मिट्ठू: खुद की प्रशंसा करना।

27. अंधों में काना राजा: बुद्धिमति की कमी के कारण दोषी को महत्व मिलता है।

28. आप भले तो जग भला: आपका उद्धारण और उन्नति सभी के लिए हो।

29. चिड़ीया के बिना आकाश सुना: कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति नहीं होने की स्थिति।

30. मन की बात कानों तक: विचारों की व्यक्ति के लिए समर्थन करने की कवायद करना।

31. आप भले तो जग भला: अपने उद्धारण और विकास से सबका भला होता है।

32. अंगूर खट्टे हैं: ज़िंदगी में कुछ कड़वा होता ही है।

33. अपना साया ताक में साथी: अकेलापन में खुद का साथी।

34. अबकी बार, सत्तारह: अगली बार, पूरी स्वच्छता से।

35. आँखों में धूल जहां कोई भी उतार सकता है: व्यक्ति की क़ीमत उसके कामों से होती है।

36. आप दिन भर में से कई बार आत्मा बदल सकते हैं: मनोबल की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।

37. आग बरबाद करने वाले को बुरा भी नहीं कहते: कार्य में लापरवाही करने वाले के लिए एक स्थिति।

38. आपकी भलाई में हमें भी खुशी मिलेगी: आपके सफलता से सबका भला होगा।

39. आलस्य एक दुष्ट कल्पना है: आलस्य का कोई भी महत्व नहीं होता।

40. आपकी आत्मा के पास जवाब होता है: आपका आंतरिक ज्ञान सबके सवालों का जवाब देता है।

41. इंसान दोस्तों की तरह होते हैं, वक्त आने पर पता चलता है कौन कितना सच्चा है: संघर्ष की स्थितियों में ज्ञात होता है कौन आपके सच्चे दोस्त है।

42. इंसान की छाया से कहीं बड़ा कोई दूसरा और कुछ नहीं: आपके कामों की पहचान आपकी प्रतिष्ठा को बढ़ाती है।

43. इश्क़ क़ुबूल है, हाथ की लकीरों के बराबरी नहीं: प्यार के बारे में हकीकत का आदर करना।

44. उसके दिल में बसने वाली तिनका भी उसे बाजार में कुचल देता है: दिल की बातों का महत्व और उसके असर को दर्शाता है।

45. ऊँट के दांत दिखाने के काम आते हैं: किसी काम के अवशिष्ट या अर्थहीन वस्त्र का इस्तेमाल करने की स्थिति।

46. काम करते रहो, फल की चिंता मत करो: कार्यों में निरंतरता बनाए रखने की सलाह।

47. काम करने से काम आता है: मेहनत से सफलता प्राप्त होती है।

48. कुत्ते की दुम तेली को: किसी की चिंता करने की बजाय उसका भला करना।

49. कोई चुपके से आपके पीछे है: किसी का नकरात्मक प्रभाव दिखाने वाला व्यक्ति।

50. कोई भी नहीं बचता यहाँ से: समय के साथ सबका अंत आता है।

51. खगोलशास्त्र में भी कभी-कभी गलतियाँ होती हैं: हर किसी के द्वारा किये गए काम में गलतियाँ हो सकती हैं।

52. खोदने से ही खजाना मिलता है: मेहनत के बिना कोई भी सफलता नहीं मिलती।

53. गरज बरसते ही नहीं: समय के आने पर ही कोई समस्या या खतरा पैदा होता है।

54. चिड़ीया को दाना: कोई छोटा सा उपहार या उपकार।

55. छोटी छोटी बातों में भी अच्छाई होती है: छोटे कामों में भी महत्वपूर्ण सामर्थ्य होता है।

56. जब जान होगी तब सिखाने का मन होगा: उस समय तक जानकारी देने का सही समय आना जरुरी होता है।

57. जब पहाड़ पर जाना ही था तो रास्ता क्यों चुना: किसी काम को करने के लिए सही तरीका चुनना।

58. जो दिखता है, वो वो नहीं होता: बाहरी रूप की भ्रमक या मिथ्या धारणा के बारे में।

59. जो आपके साथ हो, वो आपके लिए सच्चा है: समस्याओं में आपका साथ देने वाला सच्चा दोस्त।

60. जो होता है अच्छे के लिए होता है: किसी बुरे घटना के परिणामों से सीख लेना।

61. ताली एक हाथ से नहीं बजती: सहयोग की आवश्यकता होती है।

62. तालियाँ बजाने से ही सही नहीं होता: बिना कार्य के प्रयास करने का कोई महत्व नहीं होता।

63. दिल का रिश्ता: आत्मीयता और दिल से सम्बंधित होने वाला रिश्ता।

64. नाच न जाने, आंगन टेढ़ा: किसी काम में निष्ठा न होने की स्थिति।

65. नींद सबकी भलाई के लिए होती है: सारे कामों के लिए आवश्यक रीलैक्सेशन।

66. परवाह करो, आपके आसपास लोग क्या कहते हैं: आपके कामों की चर्चा होना।

67. प्रेम में धोखा खाने का खतरा हमेशा बना रहता है: रिश्तों में विश्वासघात का खतरा हमेशा बना रहता है।

68. बड़े घर की बड़ी दहलीज़: बड़ी स्थिति या संघर्ष की स्थिति।

69. बड़ी आंखों वाला बड़ा आदमी: उच्च सामाजिक स्थिति वाला व्यक्ति।

70. बहुत बोलने से नहीं, काम करने से पहचान होती है: अपने कामों से महत्वपूर्णता प्राप्त करना।

71. बिना काम किए सफलता नहीं मिलती: मेहनत के बिना कोई भी सफल नहीं हो सकता।

72. बुद्धिमानी से बढ़कर कुछ नहीं: समझदारी का महत्व और उसके प्रभाव के बारे में।

73. बेवकूफ़ी के आगे बुद्धिमानी हार जाती है: बुद्धिमानी का महत्व और बेवकूफ़ी के परिणाम।

74. ब्रह्मांड भी सोचकर बना है: अद्भुत और विस्मयकारी विश्व के बारे में।

75. भगवान के घर देर है अंधेर नहीं: सफलता का समय आएगा, बस संघर्ष करते रहो।

76. भूख से ज्यादा मित्र खतरनाक होते हैं: बिना सोचे-समझे किसी से दोस्ती करने की स्थिति।

77. महीनों की मेहनत एक दिन की आलस्य की वजह से बर्बाद हो सकती है: नियमितता और मेहनत की महत्वपूर्णता।

78. मातृभूमि के प्रति कर्तव्य पूर्ण करना हम सभी का धर्म है: देश के प्रति प्रेम और सेवा की महत्वपूर्णता।

79. मासूमियत की ताक में चीज़ गीली होती है: नयेपन और सरलता की महत्वपूर्णता।

80. मान और सम्मान: समय के साथ बदलते मान-सम्मान के बारे में।

81. मानसिक दृढ़ता से ही महत्वपूर्ण काम किए जा सकते हैं: मानसिक स्थिरता का महत्व।

82. योग्यता के बिना नौकरी करना बेकार है: योग्यता के बिना कोई काम करने की बेकारी।

83. रहीम के दाने अच्छे तो सब के लिए अच्छे: किसी भी काम में समर्थता दिखाने की महत्वपूर्णता।

84. लक्ष्य के पीछे दौड़ते रहो, रास्ते आपके कदम खुद बचाएंगे: लक्ष्य की दिशा में निरंतरता बनाए रखने की सलाह।

85. लोभ का बुरा असर होता है: अधिक आवश्यकता से ज्यादा आवश्यकता पैदा करता है।

86. वक़्त सबका दोस्त है: समय का महत्व और उसके साथ बदलती जिन्दगी।

87. व्यक्ति के बाल उसके सोच को दिखाते हैं: व्यक्ति की विचारधारा का परिचय।

88. शत्रु के साथ सत्य बोलो, दोस्त के साथ सौभाग्य सहेजो: नियमों का पालन करने की महत्वपूर्णता।

89. समय और तय: निरंतरता और योग्यता की महत्वपूर्णता।

90. समय राजा है: समय की महत्वपूर्णता और उसके साथ व्यवस्थितीकरण की सलाह।

91. सफलता छोटे कदमों में छुपी होती है: संघर्ष के बाद ही सफलता प्राप्त होती है।

92. सही दिशा में कदम बढ़ाना महत्वपूर्ण है: योग्यता के बिना काम में सफलता प्राप्त नहीं हो सकती।

93. सुख और दुख: जीवन की अनिवार्यताओं के बारे में।

94. सोने पर सुहागा: साथ में आने वाले सुख की स्थिति।

95. हर विफलता के पीछे कुछ सिखने का मौका होता है: किसी भी असफलता से सीख लेना।

96. हाथी के दांत खाने के और दिखाने के: काम के बदले किए गए आदर्श।

97. होनहार बिना काम किए बदनाम होते हैं: सफलता के लिए मेहनत की आवश्यकता।

98. होशियारी में ही सही मायने होते हैं: बुद्धिमती या सावधानी दिखाने के बारे में।

99. होशियारी के साथ सावधानी बरतने में ही सफलता होती है: सतर्कता का महत्व और उसके परिणामों के बारे में।

100. होशियारी से ही समस्याओं का समाधान हो सकता है: विचारशीलता और समस्याओं के समाधान के बारे में।

101. ज़िन्दगी एक सफर है सुहाना: जीवन की अनुभवों की महत्वपूर्णता।

102. जिसका काम उसी को साजे: आपके काम का ज़िम्मेदार आप ही होते हैं।

103. जिसकी लाठी उसकी भैंस: शक्तिशाली व्यक्ति की प्राथमिकता की स्थिति।

104. जितनी चादर होती है उतने ही पैर फैलाने चाहिए: संसाधनों के अनुसार ही काम करने की सलाह।

105. तलवार की दो सिरों वाली होती है: एक ही समस्या के दो परिणाम होते हैं।

106. तितली की मौके पर उड़ान: अच्छी संभावना की पहचान करने की कवायद।

107. तूती की जितनी ही चोट, उतनी ही अधिक दुख: छोटी सी बात के परिणामों के बारे में।

108. तोता की कूंजी: किसी विचार के रहस्य की बात।

109. थोकर खाना: असफलता का सामना करना।

110. नाच न जाने, आंगन टेढ़ा: कोई काम करने का अद्यतन नहीं होने की स्थिति।

111. नैतिकता और ईमानदारी से ही असली जीवन बिताया जा सकता है: नैतिक मूल्यों का पालन करने की महत्वपूर्णता।

112. पानी में रहकर मगर से बैर नहीं करना: किसी के साथ सहमति दिखाने की स्थिति।

113. पीले घर के अंधेरे में बाबू: किसी व्यक्ति का अवश्य बदलाव होने की स्थिति।

114. पूर्णिमा की रात्रि में अब दीवारे खीचने की क्या बात: बिना आवश्यकता के किसी काम को करने की स्थिति।

115. प्रेम में हार का कोई मोल नहीं होता: प्यार के बारे में उसके परिणामों की महत्वपूर्णता।

116. बच्चे के मुँह में गाँधी बापू: किसी छोटे से बच्चे के मुंह से आनेवाले वाक्य की महत्वपूर्णता।

117. बड़ा आदमी बनने के लिए बड़ा सोचो: उच्च स्थिति या सम्प्रेरणा के बारे में।

118. बड़े पैमाने पर काम करना: भारी प्रमाण में काम करने की कवायद।

119. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोई: किसी भी स्थिति में बुरा नहीं मिलता है।

120. बेवकूफ़ की माँ अलग होती है: किसी के बेवकूफ़ी के परिणाम की महत्वपूर्णता।

121. भगवान का भला करने में गाँड़ा ही क्यों दिखाए: किसी भी काम के बिना महत्व की स्थिति।

122. भले दिनों में कभी बुरे दिन आते हैं: जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति।

123. भाग्य पर निर्भर नहीं करना चाहिए, व्यवस्था बनानी चाहिए: स्वयं के कार्यों पर निर्भर करने की सलाह।

124. भूखे को रोटी दे, रोटी को भूखा: सफलता की महत्वपूर्णता।

125. मंजिल दूर और सफर बहुत है: संघर्ष के बाद ही सफलता प्राप्त होती है।

126. मुख में राम बगल में छुरी: दोहरे मायने वाले व्यक्ति के बारे में।

127. मुर्ग़ा जितनी देर तक खुश है, उतने देर तक किसी दूसरे का बना नहीं रह सकता: किसी असली स्थिति की बारे में।

128. यहाँ से ज्यादा कहाँ जाना है: वर्तमान स्थिति का महत्व।

129. राजा का भी बजना है: सबके साथ समझौता करने की सलाह।

130. राह में भटकना आम बात है: जीवन में संघर्ष की स्थितियों का महत्व।

131. लालच बुरा बला है: अधिक आवश्यकता से ज्यादा आवश्यकता पैदा करता है।

132. लक्ष्य के बिना चलना कैसे? चलो, उसे तय करें: लक्ष्य की महत्वपूर्णता और उसके प्राप्ति के बारे में।

133. लोग जो दिखते हैं वो हमें बातों से ज्यादा अच्छे लगते हैं: बाहरी रूप और आचरण की महत्वपूर्णता।

134. वक़्त और व्यक्ति: समय की महत्वपूर्णता और उसके साथ व्यक्तिगतता की सलाह।

135. व्यक्ति की भाषा उसकी सोच दिखाती है: व्यक्ति की विचारधारा का परिचय।

136. सफलता उसकी है जो बदलते समय के साथ बदलता है: व्यक्ति की प्रागल्भ्य और उसके परिणामों की महत्वपूर्णता।

137. सफलता के पीछे संघर्ष की कहानी होती है: सफलता प्राप्त करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना।

138. सफलता का कुंजी नियमितता में है: संघर्ष के बावजूद नियमितता बनाए रखने की महत्वपूर्णता।

139. सफलता के लिए संघर्ष आवश्यक है: सफलता प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशीलता की सलाह।

140. सफलता की ऊँचाइयों को छूने के लिए साहस आवश्यक है: साहस और परिश्रम की महत्वपूर्णता।

141. सफलता की कदर करने के लिए विफलता की कहानी सुनो: विफलता से सिखने की महत्वपूर्णता।

142. सफलता को पाने के लिए अपने काम में अपनी पूरी ताक़त लगाओ: पूरी मेहनत और समर्पण की महत्वपूर्णता।

143. सफलता की सीढ़ी नीचे किनारे है: सफलता प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना करना।

144. सफलता की सीढ़ी पर न कदम रखने से कभी भी उसका मतलब नहीं होता: प्रयासों के बिना कोई सफल नहीं हो सकता।

145. समय का पब्बंद: समय की महत्वपूर्णता और उसके साथ व्यवस्थित रहने की सलाह।

146. समय के साथ साथ आदतें भी बदल जाती हैं: समय के साथ बदलने वाली आदतों की महत्वपूर्णता।

147. सवारने से पहले घोड़ा देखो: किसी काम को करने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करने की सलाह।

148. साँप की लाठी, छोटी बात: छोटे कामों की महत्वपूर्णता।

149. सिखने में कभी बुढ़ापा नहीं आता: ज्ञान की महत्वपूर्णता और नैतिकता के बारे में।

150. सींग और ग़ाय के साथ: किसी काम को करने के लिए उचित साथी की महत्वपूर्णता।

151. स्थिरता और सहनशीलता से ही बड़ी सफलता प्राप्त होती है: सहनशीलता का महत्व और व्यक्ति की महत्वपूर्णता।

152. स्वस्थ दिमाग स्वस्थ जीवन: मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्णता।

153. स्वार्थ की बात मत करो, दूसरों के बारे में सोचो: स्वार्थ के बिना दूसरों के प्रति भावनाओं की महत्वपूर्णता।

154. स्वार्थपरता से बचो, दुनिया तुम्हारे साथ है: निष्कलंकता और सजीव व्यक्ति की महत्वपूर्णता।

155. हर काम में बराबरी से आत्मसमर्पण होना चाहिए: मेहनत और समर्पण की महत्वपूर्णता।

156. हाथी के साथ साथ में बाघ: समर्थन और विरोध की महत्वपूर्णता।

157. हाथी की माँ बांध: किसी बड़े काम की स्थिति।

158. हाथी की मान: किसी बड़े काम की महत्वपूर्णता।

159. हो जाने दो, दुश्मनों की बातें: अनवांछित बातों पर ध्यान देने की सलाह।

160. होती हैं कठिनाइयाँ राह में, आने वाला सुख बढ़ाता है साहस: संघर्ष की स्थिति और आने वाले उत्तराधिकारी के बारे में।

161. होनहार बादशाह अपने ही दिलदार होते हैं: मेहनत की महत्वपूर्णता और सफलता के पीछे की कवायद।

162. होशियार बनो, ग़रीबों का पेट नहीं भरता: बुद्धिमानी और समझदारी की महत्वपूर्णता।

163. होशियारी और सतर्कता से ही कुछ पाया जा सकता है: सतर्कता का महत्वपूर्णता और उसके परिणामों की सलाह।

164. होशियारी से बड़ी कोई दूसरी नहीं: समझदारी का महत्वपूर्णता।

165. होशियारी से बोलो, अहम बोलो: विवेकपूर्ण और महत्वपूर्ण बात करने की सलाह।

166. होशियारी से ही जीवन जीता जा सकता है: सतर्कता का महत्वपूर्णता और उसके साथ सावधानी की सलाह।

167. होशियारी से ही समस्याओं का समाधान हो सकता है: समस्याओं के समाधान की महत्वपूर्णता।

168. होशियारी से ही सम्भावनाओं का पता चलता है: समय की महत्वपूर्णता और सावधानी का पालन करने की सलाह।

169. होशियारी से ही सफलता की दिशा में कदम बढ़ाना मुश्किल होता है: विवेकपूर्णता की महत्वपूर्णता।

170. होशियारी से ही सुरक्षा मिलती है: सतर्कता और बचाव की महत्वपूर्णता।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने ‘हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ’ क्या है, के बारे में जाना है। साथ ही साथ लोकोक्तियां किसे कहते हैं, लोकोक्ति की विशेषताएं क्या है, लोकोक्ति का महत्व क्या है तथा हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियां में अंतर क्या है आदि के बारे में भी बात की है।

उम्मीद करते हैं इस लेख के माध्यम से आपको लोकोक्तियां के बारे में तमाम जानकारी प्राप्त हो गई होगी। लेकिन इसके बावजूद यदि आपको लोकोक्ति से संबंधित और अधिक जानकारी चाहिए, तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप अपने प्रश्न पूछ सकते हैं।

आपके द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देना हमारा कर्तव्य। लेकिन यदि आपको यहां दी गयी जानकारी उपयोगी लगी हो और पसंद आई हो,  तो कृपया इस लेख को जितना हो सके उतना अधिक शेयर करें।

FAQ

लोकोक्ति कौन सी भाषा का शब्द है?

लोकोक्ति संस्कृत भाषा से  लिया गया शब्द है।

लोकोक्ति का दूसरा नाम क्या है?

लोकोक्ति को ‘कहावत’ के नाम से भी जाना जाता है।

लोकोक्ति के कितने प्रकार होते हैं

लोकोक्ति के पांच प्रकार होते हैं – तुलनात्मक लोकोक्ति, निर्देशात्मक लोकोक्ति, वर्णनात्मक लोकोक्ति, संस्कृत या ऐतिहासिक, लोकोक्ति और रूपक लोकोक्ति।

जरूर पढ़िए

छोटी इ की मात्रा वाले शब्द

शब्द-विचार किसे कहते हैं: परिभाषा एवं प्रकार

तद्भव तत्सम शब्द