Karmadharaya Samas Kise Kahate Hain | कर्मधारय समास: परिभाषा, भेद और उदाहरण

Karmadharaya Samas
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Karmadharaya Samas | कर्मधारय समास

Karmadharaya Samas Kise Kahate Hain: इस लेख में आज हम बात करने वाले है कर्मधारय समास: परिभाषा, भेद और उदाहरण के बारे में, कर्मधारय समास, समास का ही एक प्रकार है हलाकि इसे समझना थोड़ा मुश्किल है |

परन्तु इसे समझना उतना ही महत्वपूर्ण है क्यूंकि इससे सम्ब्नधित प्रश्न अधिकतर परीक्षाओं में पूछे जाते है और जानकारी के आभाव में अभ्यर्थी अक्सर इससे सम्बंधित प्रश्नों के जवाब गलत दे देते है।

इसलिए हम कर्मधारय समास किसे कहते है (Karmadharaya Samas Kise Kahate Hain), तथा कर्मधारय समास के भेद कितने है के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देने वाले है। तो चलिए फिर शुरू करते है –

कर्मधारय समास किसे कहते है

कर्मधारय समास व समास है जिसमें समास के प्रधान शब्द में जो संयुक्त पद होता है, उसका अर्थ प्रधान होता है। कर्मधारय समास को अंग्रेजी में अटरीब्यूटिव कंपाउंड (Attributive compound) के नाम से जाना जाता है। कर्मधारय समास में प्रधान शब्द, जिसे क्रिया का अव्ययीभाव समझा जाता है उसका अर्थ प्रधान होता है। इसके द्वारा विशेषण या उपसर्ग का विस्तार होता है और इसी तरह से नए शब्द का निर्माण होता है।

उदाहरण के रूप में —

‘गायकवाद्य’ शब्द में ‘गायक’ और ‘वाद्य’ दोनों पद प्रधान होते हैं। यहाँ गायक शब्द का मतलब प्रधान होता है और वाद्य इसका विस्तार करने वाला पद होता है। इस तरह से यदि देखा जाये तो गायकवाद्य शब्द का मतलब होता है, ‘गायन और वाद्य का संगीत’।

इस तरह के समासों में प्रधान शब्द के बाद में उपमेय शब्द (जो विशेषण, क्रियाविशेषण, अव्यय, उपसर्ग आदि हो सकते हैं) का इस्तेमाल होता है ताकि विशेषण या कार्य का वर्णन किया जा सके।

  1. प्रधान शब्द: समास के प्रमुख शब्द को प्रधान शब्द कहते हैं। इस शब्द में समास का मुख्य अर्थ समायोजित होता है।
  1. उपमेय शब्द: प्रधान शब्द के बाद आने वाले शब्द को उपमेय शब्द कहते हैं। इसका उपयोग प्रधान शब्द के अर्थ को विस्तारित करने के लिए किया जाता है। उपमेय शब्द विशेषण, क्रियाविशेषण, अव्यय, उपसर्ग, आदि हो सकते हैं।

कर्मधारय समास की परिभाषा क्या है

ऐसे समास शब्द जिनमें प्रायः पूर्व पद यानी पहला पद उपमान या विशेषण होता है तथा दूसरा पद उपमेय विशेष्य होता कर्मधारय समास कहलाता है।

जैसे की –

  • लालछड़ी – लाल है जो छड़ी
  • संसारसागर – संसार रूपी सागर
  • अधमरा – आधा है जो मरा
  • नीलगाय – नीला है जो गाय
  • परमात्मा – परम है जो आत्मा
  • अंधभक्त – अंध है जो भक्त
  • कर्मधारय समास में प्रायः उत्तर पद प्रधान रहता है और पदों का विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच ‘रूपी’, ‘है जो’ तथा ‘के समान’ जैसे शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।
  • कर्मधारय समास में पहला पद विशेषण रहता है तो वही दूसरा पर विशेष्य होता है। इसी तरह कुछ कर्मधारय समास में प्रथम पद उपमान तथा दूसरा पद यानी उत्तर पद उपमेय होता है।

कर्मधारय समास के उदाहरण क्या है

निचे हम कर्मधारय समास से सम्बंधित कुछ उदहारण बता रहे है, जिनके माधयम से आपको कर्मधारय समास को और अच्छी तरह से समझने में मदद मिलेगी। जैसे की –

  • स्वर्णकारी – जो स्वर्ण का कार्य करता हो, या स्वर्ण कारी होता हो।
  • राजमार्ग – जो राज का मार्ग हो, या राजमार्ग होता हो।
  • श्यामसुन्दर – श्याम जो सुन्दर है।
  • श्वेतपत्र = श्वेत है जो पत्र
  • उषानगरी = उषा रूपी नगरी
  • मुखारविन्द = अरविन्द के समान है जो मुख
  • श्वेतांबर – श्वेत है जो अंबर (वस्त्र)
  • लालटोपी – लाल है जो टोपी
  • पर्णकुटी – पर्ण से बनी कुटी
  • दुरात्मा – दुर् (बुरी) है जो आत्मा
  • करकमल – कर रूपी कमल
  • चंद्रमुख – चंद्र के समान मुख
  • नरसिंह नर रूपी सिंह
  • घनश्याम – घन के समान श्याम (काला)
  • प्रधानाध्यापक – प्रधान है जो अध्यापक
  • कालीमिर्च – काली है जो मिर्च
  • विद्याधन – विद्या रूपी धन
  • भुजदंड – दंड के समान भुजा

कर्मधारय समास के भेद कितने होते है

हिंदी व्याकरण के अनुसार कर्मधारय समास के दो भेद होते है, जिनके बारे में हम यहाँ निचे विस्तार से बात करने वाले है। जैसे की –

  • विशेषता वाचक कर्मधारय समास
  • उपमान वाचक कर्मधारय समास

विशेषता वाचक कर्मधारय समास

विशेषता वाचक कर्मधारय समास विशेषण विशेष्य भाव को संकेतित करता है। हिंदी व्याकरण के अनुसार विशेषता वाचक कर्मधारय समास के कुल सात भेद है। जैसे की –

  • विशेषण पूर्व पद
  • विशेषणोत्तर पद
  • विशेषणोभय पद
  • विशेष्य पूर्व पद
  • अव्यय पूर्व पद
  • संख्या पूर्व पद
  • मध्यम पद लोपी

विशेषण पूर्व पद

जैसा की नाम से ही पता चल रहा है, विशेषण पूर्व पद में प्रायः प्रथम पद यानी पूर्व पद विशेषण होता है।

जैसे की –

  • बड़घर – बड़ा है जो घर।
  • नीलकंठ – नीला है, जिसका कंठ।
  • नीलगाय – नीली है जो गाय
  • परात्मा – परम है जो आत्मा।
  •  शिष्टाचार्य – शिष्ट है जिसका अचार।
  • महोत्स्व – महान है जो उत्सव।
  • महादेव – महान है जो देव।
  • श्वेतांबर – श्वेत है जिसका वस्त्र।
  • दीर्घजीवी – दीर्घ है जो जीवन।
  • अल्पाहर – अलप है जो आहार।
  • अंधश्रद्धा – अंधा है जिसकी श्रद्धा

विशेषणोत्तर पद

विशेषणोत्तर पद में प्रायः शब्द का दूसरा पद विशेषण होता है।

जैसे की –

मुनिवर – मुनियों में जो है श्रेष्ठ।

रामदयाल – राम है जो दयालु।

पुरुषोत्तम – पुरुषों में जो है उत्तम।

शिवदयाल – शिव है जो दयालु।

रामकृपाल – कृपालु है जो राम

विशेषणोभय पद

विशेषणोभय पद में प्रायः दोनों ही पद यानी प्रथम पद और द्वित्य पद दोनों ही विशेषण होते है।

जैसे की –

  • पीला जर्द – पीला है जो ज़र्द है।
  • शुद्धाशुद्ध – शुद्ध है जो, अशुद्ध है जो।
  • कलस्याह – काला है जो, स्याह है जो।
  • शयमसुन्दर – जो श्याम है जो सुन्दर है
  • देवर्षि – जो देव है, जो ऋषि है।

विशेष्य पूर्व पद

  • विंध्यपर्वत – विंध्य नामक है, जो पर्वत

अव्यय पूर्व पद

  • निराशा – आशा से रहित।
  • दुकाल – बुरा है जो काल
  • अधमरा – आधा है जो मारा हुआ

संख्या पूर्व पद

संख्या पूर्व पद में हमेशा पहला पद संख्या वाचक होता है।

जैसे की –

  • त्रिलोचन – तीन आँखों वाला है जो।
  • त्रिकाल – तीन कालो का है जो समूह।

मध्यम पद लोप

ऐसे शब्द जो प्रथम पद या पूर्वपद तथा उत्तर पद के बिच सम्बन्ध बताता है, वे माधयम पद लोप होता है।

जैसे की –

  • बैलगाड़ी – बैल से चलने वाली गाड़ी।
  • रसगुल्ला – रस में डूबा हुआ गुल्ला।
  • पनडुब्बी – रेल पर चलने वाली गाड़ी।
  • शकरपारा – शक्कर से बना पारा।
  • कन्यादान – कन्या का दान।

उपमान वाचक कर्मधारय समास

उपमान वाचक कर्मधारय समास के अंतर्गत ऐसे शब्द आते है, जिनमें प्रायः एक पद उपमान होता है और दूसरा पद उपमेय होता है। उपमान वाचक कर्मधारय समास को हिंदी व्याकरण के अनुसार चार भागो में बता गया है। जैसे की –

उपमापूर्व पद

उपमानोत्तर पद

अवधारणा पूर्व पद

अवधारणोत्तर पद

उपमापूर्व पद

उपमापूर्व पद में हमेशा पहला पर उपमान होता है और द्वितीय पद उपमेंय होता है और प्रथम पद यानी उपमान के पश्चात प्राया ‘के समान’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।

जैसे कि –

  • चंद्रमुखी – चंद्र के समान मुख जिसका।
  • मृगनयनी – मृग के समान नयनों वाली
  • चंद्रमुखी – चंद्र के समान मुख वाली।
  • लौहपुरुष – लोहे के सामान जो है पुरुष।
  • सूर्यमुखी – सूर्य के समान मुख वाली।

उपमानोत्तर पद

यह उपमापूर्व पद की तुलना में बिल्कुल विपरीत होता है। जी हां इसमें प्रथम पद यानी पहला पर उपमेय में होता है जबकि दूसरा पद उपमान होता है। उपमान उत्तर पद को रूपक कर्मधारय भी कहा जाता है, इसलिए इस पद में रूप शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।

जैसे कि –

  • नेत्र कमल – कमल रूपी नेत्र।
  • भुजदंड – दंड रूपी भुजा।
  • स्त्रीरत्न – स्त्री रूपी रत्न।
  • विद्याधन – धन रूपी विधा
  • मुखकमल – कमल रूपी मुख।
  • मुखचन्द्र – चंद्रमा रूपी मुख।

कर्मधारय समास की पहचान कैसे करते है

कर्मधारय समास की पहचान करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना अति आवश्यक होता है। जैसे कि –

  • पहले शब्द को ध्यान से पढ़ें और उनका अर्थ को समझें इसलिए क्योंकि कर्मधारय समास में प्रायः प्रथम पद प्रधान होता है, जो कि समास का मुख्य भाग होता है।
  •  दूसरे शब्दों को भी ध्यान से देखें और उसका अर्थ को समझे। इसलिए क्योंकि कर्मधारय समास का दूसरा पद यानी दूसरा शब्द उपमेय होता है और प्रधान शब्द के अर्थ यह विस्तार से समझाता है।
  • यदि दूसरा पद पहले पद के अर्थ को विस्तारित करता है यानी कि समझा सकता है तो संभावित है कि यह कर्मधारय समास है, क्योंकि कर्मधारय समास में दूसरा पद पहले पद को विस्तारित करता है।
  •  यदि इन दोनों शब्दों के बीच में संधि है यानी कि प्रथम पद और द्वितीय पद के बीच संधि है, तो संधि को तोड़कर और अगले शब्द का अर्थ देखकर समास की पहचान करें।

जैसे कि –

जलमग्न’ इस शब्द में ‘जल’ का मतलब होता है ‘पानी’ और ‘मग्न’ शब्द का मतलब होता है, ‘डूबा हुआ’ यदि हम देखे तो मग्न शब्द जल के अर्थ को विस्तारित कर रहा है। इसलिए हम कह सकते है, की जलमग्न का मतलब होगा ‘पानी में डूबा हुआ’।

निष्कर्ष

आज का यह लेख ‘कर्मधारय समास: परिभाषा, भेद और उदाहरण’ यही पर समाप्त होता है। आज के इस लेख में हमने जाना की कर्मधारय समास किसे कहते है (Karmadharaya Samas Kise Kahate Hain), कर्मधारय समास के भेद कितने है और कर्मधारय समास की पहचान कैसे करते है।

उम्मीद करते है आज के इस लेख के माध्यम से आपको कर्मधारय समास के बारे में काफी कुछ नया सिखने को मिला होगा। लेकिन यदि फिर भी इस लेख से सम्बंधित आप कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो निचे कमेंट के माधयम से आप पूछ सकते है। औ

र यदि यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इस लेख को शेयर करना बिलकुल भी न भूले। और यह लेख आप को कैसा लगा निचे कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं।

FAQ

कर्मधारय समास का दूसरा नाम क्या है?

कर्मधारय समास को हिंदी व्याकरण में समानाधिकरण तत्पुरुष समास भी कहा जाता है।

कर्मधारय समास के उदहारण क्या है?

कर्मधारय समास के उदाहरण है – शिष्टाचार्य – शिष्ट है जिसका अचार, महोत्स्व – महान है जो उत्सव, श्वेतपत्र = श्वेत है जो पत्र।

कर्मधारय समास के भेद कितने है?

कर्मधारय समास के दो भेद है – विशेषता वाचक कर्मधारय समास, उपमान वाचक कर्मधारय समास।

कर्मधारय समास का अर्थ क्या है?

ऐसे समास शब्द जिनमें प्रायः पूर्व पद यानी पहला पद उपमान या विशेषण होता है तथा दूसरा पद उपमेय विशेष्य होता कर्मधारय समास कहलाता है।