Pratyay – प्रत्यय की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

प्रत्यय की परिभाषा
प्रत्यय की परिभाषा

आज के इस लेख में हम प्रत्यय की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण के बारे में बात करने वाले हैं। यह लेख विशेष तौर पर उन विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

दरअसल अक्सर परीक्षाओं में प्रत्यय से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। तो यदि आप भी जानना चाहते हैं, कि प्रत्यय क्या है (Pratyay kya hai) और प्रत्यय के भेद कितने हैं तो यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

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प्रत्यय किसे कहते हैं

हिंदी व्याकरण, में प्रत्यय एक व्याकरणिक य शब्द रूपांतरण अंश होता है, जो किसी शब्द या धातु के अंत में जुड़कर उसके अर्थ को प्रभावित कर देता है। इन प्रत्यय का उपयोग भाषा में वचन, काल, लिंग, विभक्ति आदि की जानकारी प्रदान करने के लिए किया जाता है। प्रत्यय के शाब्दिक अर्थ की बात की जाए, तो इसका शाब्दिक अर्थ होता है ‘पीछे आना’।

जैसे कि –

  • वैदिक – वेद + इक 
  • दुकानदार – दुकान + दार
  • देनदार – देन ± दार
  • लेखक लिख + अक

प्रत्यय की परिभाषा क्या है | Pratyay Ki Paribhasha

ऐसे शब्दांश जो किसी भी मूल शब्द के अंत में जुड़कर शब्दों के अर्थ में परिवर्तन कर दें या शब्दों के अर्थ को प्रभावित कर दें, उन्हें प्रत्यय कहा जाता है। प्रत्यय दो शब्दों के जुड़ने से बनता है जैसे प्रति + अय। यहाँ प्रति का मतलब होता है ‘साथ में या बाद में’ तथा अय का मतलब होता है ‘चलने वाला या लगने वाला’।

जैसे कि –

  • ठाकुर – ठकुर + आइन
  • घबराहट – घबरा + आहट
  • कर्तव्य – कृ + तव्य
  • दूरी – दूर + ई

प्रत्यय के कितने भेद होते हैं

हिंदी व्याकरण के अनुसार प्रत्यय के मुख्यतः दो भेद होते हैं,  जिनके बारे में हम यहां नीचे विस्तार से बात कर रहे हैं। जैसे कि –

  1. कृत प्रत्यय
  2. तद्धित प्रत्यय
प्रत्यय के भेद

कृत प्रत्यय किसे कहते हैं 

कृत प्रत्यय शब्द के आधार पर नए शब्दों का निर्माण करते हैं। इस प्रकार के प्रत्यय क्रिया,  नाम, विशेषण, अव्यय आदि को परिवर्तित करने के लिए उपयोग होते हैं।

आसान और सरल शब्दों में कहा जाए तो, ऐसे प्रत्यय जो शब्दों के अंत में जुड़कर विशेषण या संज्ञा शब्द का निर्माण करते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है। इतना ही नहीं जब कृत प्रत्यय के मेल से नए शब्द का निर्माण होता है, तो उन शब्दों को कृदंत शब्द कहा जाता है।

जैसे कि

कटाईकाट + आई
लेखकलिख + अक
स्थानीयस्था + अनीय

कृत प्रत्यय के भेद

हिंदी व्याकरण में कृत प्रत्यय के कुल 5 प्रकार होते हैं,  जो कुछ इस तरह है-

  1. कृत वाच्य कृदंत
  2. भाववाचक कृदंत
  3. करण वाचक कृदंत 
  4. विशेषण वाचक कृदंत
  5. कर्म वाचक कृदंत

कर्तृवाच्य कृदंत

ऐसे शब्द जो मूल शब्दों के अंत में जुड़कर कर्ता का बोध कराएं,  उन्हें कर्तृवाच्य कृदंत कहा जाता है।

उदाहरण के रूप में –

  • दर्शक मैच देख रहे हैं। जिसमें ‘दृश’ मूल धातु है और ‘अक’ प्रत्यय है (‘दृश’+ ‘अक’) अर्थात कर्ता कारक।
  • लेखक लिख रहा है। जिसमें ‘लिख’ मूल धातु है और ‘अक’ प्रत्यय है (‘दृश’+ ‘अक’) अर्थात कर्ता कारक।

भाववाचक कृदंत

ऐसे शब्द मूल शब्दों के अंत में जोड़कर भाववाचक संज्ञा का बोध कराते हैं, उन्हें भाववाचक कृदंत कहा जाता है।

उदाहरण के रूप में –

चढ़ावचढ़ + आव
उड़ानउड़ + आन
बचतबच + अत

करण वाचक कृदंत 

ऐसे शब्द जो शब्दों के अंत में जुड़ कर कार्य करने वाले साधनों का बोध कराते हैं उन्हें करणवा चक्र दंत कहा जाता है

उदाहरण के लिए –

खिलौनाखेल + औना
रेतीरए +अती
बेलनबेल + अन

विशेषण वाचक कृदंत

ऐसे प्रत्यय जो मूल शब्द के साथ जुड़ने पर विशेषता का बोध कराता है उससे विशेषण वाचक कृदंत कहते हैं

उदाहरण के लिए

पठनीयपठन + अनीय
गृहिणीयगृहिण + अनीय

कर्म वाचक कृदंत

ऐसे प्रत्यय जो मूल शब्द के अंत में जुड़कर कर्म वाचक शब्द की उत्पत्ति करते हैं उन्हें कर्म वाचक कृदंत कहा जाता है।

उदाहरण के लिए –

पढ़नापढ़ + ना
सुँघनासुँघ + ना
ओढ़नीओढ़ + नी

तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं

तद्धित प्रत्यय धातु के बाद जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करता है। इस प्रकार के प्रत्यय का उपयोग संज्ञा,  क्रिया,  विशेषण, अव्यय आदि को परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। सरल शब्दों में कहे तो, जब कोई प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण जैसे शब्दों के अंत में जुड़कर नए शब्द की उत्पत्ति करता है,  तो उसे तद्धित प्रत्यय कहा जाता है।

जैसे कि –

पंचायतपंच + आयत
लिखाईलिख + आई
मिठाईमिठ + आई

तद्धित प्रत्यय के भेद

तद्धित प्रत्यय के कुल आठ प्रकार होते हैं। जैसे कि –

  1. उनवाचक तद्धित
  2. कर्तृवाच्य तद्धित
  3. संबंधवाचक तद्धित
  4. भाववाचक तद्धित
  5. स्थान वाचक तद्धित
  6. गणना वाचक तद्धित
  7. स्त्री बोधक
  8. सादृश्य वाचक तद्धित

उनवाचक तद्धित

उनवाचक तद्धित को दूसरे शब्दों में गणना वाचक तद्धित भी कहा जाता है। 

जैसे कि ‘ ड़ी’

  • पगड़ी
  • लंगडी
  • लकड़ी
  • टुकड़ी
  • बछड़ी
  • चमड़ा
  • घड़ा

कर्तृवाच्य तद्धित

ऐसे प्रत्यय जो संज्ञा सर्वनाम और विशेषण जैसे शब्दों में जोड़ने के बाद नए शब्द का निर्माण होता है, उसे कर्तृवाच्य तद्धित कहा जाता है।

जैसे कि ‘इया’

  • घटिया
  • बढ़िया
  • रसिया
  • छलिया

संबंधवाचक तद्धित

ऐसे प्रत्यय शब्द जो किसी मूल शब्द के अंत में जोड़कर संबंध का बोध कर आए उसे संबंधवाचक तद्धित कहते हैं।

 जैसे कि ‘इक’

  • धार्मिक
  • शारीरिक
  • वार्षिक
  • आर्थिक
  • मासिक

भाववाचक तद्धित

ऐसे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों के अंत में जुड़ कर भाव वाचक का बोध कराता है, उसे भाववाचक तद्धित कहते हैं।

जैसे कि – ‘ता’

  • सुंदरता
  • मूर्खता
  • घनिष्ठता
  • महानता
  • जटिलता

स्थान वाचक तद्धित

ऐसे शब्द जो मूल शब्दों के अंत में जुड़ कर स्थान का बोध कराएं उसे स्थान वाचक तद्धित कहते हैं।

जैसे कि – ‘ईया’

  • जयपुरिया
  • जमशेदपुरीया
  • कोलकतईया
  • मुंबइया

गणना वाचक तद्धित

जिन प्रत्यय को मूल शब्दों के अंत में जोड़ने से गणना का बोध हो उन्हें गणना वाचक तद्धित कहा जाता है।

जैसे कि –  ‘रा’

  • दूसरा
  • तीसरा
  • गहरा
  • नटरा

स्त्री बोधक

जब किसी मूल शब्द यानी संज्ञा को स्त्रीलिंग में परिवर्तन करना हो, तो जिन प्रत्यय शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें स्त्री बोधक प्रत्यय कहा जाता है।

जैसे कि – ‘ ईया, इन, आनी, आ, इका, आइन आदि।

  • नौकरानी
  • अनुजा
  • बंदरिया
  • सरोजिनी
  • गायिका
  • लेखिका
  • जेठानी

सादृश्य वाचक तद्धित

वैसे प्रत्यय शब्द जो किसी भी मूल शब्द के अंत में जुड़कर समानता का भाव उत्पन्न करते हैं उन्हें सादृश्य वाचक तद्धित कहा जाता है जैसे की सा दुबला सा मीठा सा छोटा सा प्यारा सा पीला सा

प्रत्यय के उदाहरण क्या है

प्रत्यय को और अच्छी तरह से समझने के लिए हम यहां कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं जैसे कि –

तैराकतैर + आक
उपवनउप + वन
स्वर्णकारस्वर्ण + कार
अभिनेताअभिनय + ता
चरित्रचर् + इत्र
मानवतामानव + ता
लिखावटलिख + आवट
महीनामाह + ईना
हैवानियतहैवान + इयत
घुमक्कड़घूम + अक्कड़
शक्तिशक + ति
होनहारहोन + हार
सुगंधितसुगंध +इत
वाक्योंवाक्य + ओं
प्रतियाँप्रति + याँ
ज्ञानीज्ञान + ई
भाग्यवानभाग्य + वान
सफलतासफल + ता
दयालुदया +लु
गाड़ीवालागाडी +वाला
टिकाऊटिक +आऊ
मिठासमीठा +आस

निष्कर्ष

आज का यह लेख Pratyay – प्रत्यय की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस लेख  में हमने आपको प्रत्यय की परिभाषा क्या है तथा प्रत्यय के कितने भेद हैं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की है। आशा करते हैं, कि अब आपको प्रत्यय से संबंधित सभी प्रश्नों के जवाब मिल गए होंगे।

लेकिन फिर भी यदि आप प्रत्यय से संबंधित और अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कमेंट के माध्यम से आप हमें जरूर बताएं। हम आपको इससे संबंधित और अधिक जानकारी देने की पूरी कोशिश करेंगे।  लेकिन यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

FAQ

प्रत्यय किसे कहते हैं?

ऐसे शब्दांश जो किसी भी मूल शब्द के अंत में जुड़कर शब्दों के अर्थ में परिवर्तन कर दें या शब्दों के अर्थ को प्रभावित कर दें, उन्हें प्रत्यय कहा जाता है।

प्रत्यय के कितने भेद हैं?

प्रत्यय के दो भेद है- कृत प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय।

प्रत्यय कैसे बनता है?

प्रत्यय दो शब्दों के जुड़ने से बनता है जैसे प्रति + अय।

प्रत्यय को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

प्रत्यय को इंग्लिश में Suffix कहा जाता है।

कृत प्रत्यय के कितने भेद है?

कृत प्रत्यय के मुख्यता पांच भेद होते हैं।