आज हम यहाँ पार्श्विक व्यंजन किसे कहते हैं के बारे मे बात करने वाले हैं। दरअसल पार्श्विक व्यंजन, व्यंजन का ही एक प्रकार होता है। हिंदी व्याकरण में व्यंजन का प्रकार वर्णों के उच्चारण के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। जिसके अनुसार व्यंजन के कुल 8 प्रकार होते हैं और पार्श्विक व्यंजन इन 8 प्रकारों में से एक है।
क्या आप जानते हैं, कि पार्श्विक व्यंजन कितने होते हैं या कौन-कौन से हैं तथा इस व्यंजन के उदाहरण क्या है? यदि नहीं तो इस लेख में अंत तक बने रहे, क्योंकि आज इस लेख में हम इस से संबंधित संपूर्ण जानकारी देने वाले है। तो आइए फिर इस लेख को शुरू करते हैं
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पार्श्विक व्यंजन किसे कहते हैं
पार्श्विक व्यंजन वर्णमाला में एक ऐसे समूह को कहा जाता है, जिसके उच्चारण में जीभ और मुंह के दोनों बगलो का उपयोग होता है। इन व्यंजनों के उच्चारण में जीभ, तालू को छूती है लेकिन हवा पार्श्व यानी बगलो से निकलती है। इसलिए इन्हें पार्श्विक व्यंजन कहा जाता है।
इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ के आगे की भूमि यानी जीभ के आगे का सतह, जीभ के ऊपर की भूमि यानी जीभ के ऊपरी सतह को छूती है, जो कि मुँह के द्वारा उत्पन्न की जाती है। प्राण वायु (बगलो से निकलने वाली हवा) इन व्यंजनों के उच्चारण के दौरान जीभ के बगलो से निकलती है।
पार्श्विक व्यंजन की परिभाषा
वैसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय जीभ यानी ज़बान तालु को स्पर्श करती हैं और जीभ के दोनों बगल से हवा बाहर की ओर निकलती है, तो उसे पार्श्विक व्यंजन कहा जाता है।
अन्य शब्दों में कहा जाए, तो जब किसी वर्ण का उच्चारण करते समय जीभ का आगे का सिरा ऊपर की ओर मसूड़े को स्पर्श करता है और उसी दौरान जीभ के अगल-बगल से वायु पार होती है|
उदाहरण के लिए –
लड़का | चाल | पलट | पलंग |
लगातार | लोकप्रिय | लकड़ी | बालक |
लोकतंत्र | लोग | लाभ | लोहार |
लड्डू | लाश | लोटा | लौकी |
लंका | लेखिका | लिपि | लोग |
लड़ाई | लगान | लचीला | लक्षण |
ऊपर दिए गए शब्दों में ऐसे अक्षर का प्रयोग किया गया है, जिनका उच्चारण करते समय जीभ के आगे का सतह ऊपर तालु को छूता है और प्राणवायु जीभ जे दोनों पार्श्व से निकल जाती है।
पार्श्विक व्यंजन कितने होते है
हिंदी व्याकरण के अनुसार पार्श्विक व्यंजन केवल एक ही होते हैं यानी कि पार्श्विक व्यंजन की संख्या केवल एक (1) ही है। वर्णमाला से लिए गए वर्ण या अक्षर ‘ल’ को पार्श्विक व्यंजन कहा जाता है।
पार्श्विक व्यंजन कौन-कौन से हैं
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया, हिंदी व्याकरण के अनुसार पार्श्विक व्यंजन की संख्या केवल एक ही होती है। इसी वजह से,
‘ल’ एक पार्श्विक व्यंजन है।
जी हाँ ल वर्णमाला का एक ऐसा वर्ण व्यंजन है, जिसे बोलते समय या उच्चारण करते समय हमारी जीभ तालु को स्पर्श करती है और उनके आस-पास से वायु बाहर निकलती है।
पार्श्विक व्यंजन के उदाहरण
हम यहां पार्श्विक व्यंजन के कुछ उदाहरण दे रहे हैं,
- लड़का लड़ाई में हार गया।
- यहां के लोग बहुत स्वार्थी हैं।
- रीना पर लाल रंग का कपड़ा सुंदर लगता है।
- इस गांव में लड़कियों का एक पाठशाला है।
- लोमड़ी अकेली भटक रही है।
- परीक्षा के लिए लगातार पढ़ने से लाभ होता है।
- जंगल में लकड़हारे पेड़ काट रहे हैं।
- इन लोगों की लड़ाइयां सदियों से चली आ रही है।
- इस दुकान में लाखों रुपए के समान बिकते हैं।
- सर्दियों में आग जलाने के लिए लकड़ियों की आवश्यकता होती है।
- वर्तमान में लाइव स्ट्रीमिंग अधिक लोकप्रिय हो गई है।
- लगातार मेहनत करने से सफलता प्राप्त होती है।
- भारत एक लोकतांत्रिक देश है।
- पेड़ से नीचे और रसीले आम लटक रहे हैं।
- तनीषा की पुत्री अधिक लंबी है।
- आनंद अब तक लौट कर घर वापस नहीं आया है।
- हिंदी लेखकों की संख्या वर्तमान में कम होते जा रही है।
- राम के पिताजी एक लोहार है।
- गांव में आज भी बैलगाड़ी चलती है।
- लाला के यहां से राशन लाना होगा।
- कितनी भव्य सजावट हुई है लड्डू गोपाल की।
- यह रास्ता बहुत ही लंबा और सुनसान है।
- कॉलेज की लाइन बहुत लंबी है।
- कविता को लिखना बहुत पसंद है।
- शाम के लक्षण कुछ सही नहीं लग रहे।
- कुछ प्रजातियां आज विश्व से लुप्त हो चुकी है।
- हिंदी की लिपि देवनागरी है।
- खाना बहुत लजीज दिख रहा है।
ऊपर बताए गए वाक्यों में ‘ला’ अक्षर के कई शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे कि लड़का, लोग, लाल, लड़कियां, लोमड़ी, लगातार, लकड़हारे, लड़ाईया, लाखों, लकड़ियां, लाइव स्ट्रीमिंग, लोकतांत्रिक, लटक, लंबी, लेखक आदि जैसे शब्दों में पार्श्विक व्यंजनों का उच्चारण होता है। इन शब्दों में उच्चारण करते समय जीभ तालु को स्पर्श करती है और जीभ के दोनों बगल से हवा पार्श्विक रूप से निकलती है।
निष्कर्ष
आज का यह लेख ‘पार्श्विक व्यंजन किसे कहते हैं और पार्श्विक व्यंजन कितने होते हैं’ यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस लेख में हमने आपको ना केवल पार्श्विक व्यंजन किसे कहते हैं के बारे में बताया बल्कि कौन-कौन से हैं और कितने होते हैं के बारे में भी संपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
उम्मीद करते हैं, आज का यह लेख आपको अच्छी तरह से समझ आ गया होगा। लेकिन उसके बावजूद यदि आपको इस लेख से संबंधित और अधिक जानकारी चाहिए तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप हमसे संपर्क कर सकते हैं और अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं और यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर करना बिल्कुल भी ना भूले।
FAQ
पार्श्विक व्यंजन किसे कहते है?
वैसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय जीभ यानी ज़बान तालु को स्पर्श करती हैं और जीभ के दोनों बगल से हवा बाहर की ओर निकलती है, तो उसे पार्श्विक व्यंजन कहा जाता है।
पार्श्विक व्यंजन कितने होते हैं?
हिंदी व्याकरण के अनुसार पार्श्विक व्यंजन की संख्या केवल एक है।
पार्श्विक व्यंजन कौन-कौन से हैं?
हिंदी वर्णमाला से लिया गया ‘ल’ एक पार्श्विक व्यंजन है।
पार्श्विक व्यंजन के उदाहरण क्या है?
पार्श्विक व्यंजन के उदाहरण है – लड़का, लड्डू, कलम, बालक, लकड़ी, कमल, लंगूर आदि।