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Shabd Aur Pad
आज का यह लोग बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि इस लेख में हम शब्द और पद (Shabd Aur Pad) की परिभाषा से संबंधित आवश्यक जानकारी पर चर्चा करेंगे।
दरअसल पद और शब्द हिंदी व्याकरण का एक ऐसा भाग है, जिसमें लोग अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं परंतु पद और शब्द के बीच काफी अंतर पाया जाता है। जिनके बारे में लोगों को जागरूक होना जरूरी है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए, हम यहां शब्द किसे कहते हैं, पद की परिभाषा क्या है, शब्द और पद (Shabd Aur Pad) में क्या अंतर है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे तो चलिए फिर बिना देर किए, इस लेख को शुरू करते हैं –
शब्द किसे कहते हैं
शब्द भाषा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिन का इस्तेमाल लोग बातचीत करने लेखन और संवाद में करते हैं। यह ध्वनियां या अक्षरों के समूह के रूप में होता है, जिन्हें स्पष्ट रूप से अर्थ प्रकट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
सरल शब्दों में कहे, तो शब्द विभिन्न अक्षरों के योग से बनता है। शब्द लोगों की समझने की दृष्टि सोचने और उन्हें व्यक्त करने तथा समझने में मदद करते हैं।
जब भी आप बात करते हैं, तब आप शब्दों का प्रयोग करते हैं ताकि आपके विचार और भावनाएं दूसरों के साथ साझा कर सके।
शब्द की परिभाषा: लेखन या संवाद के दौरान जिन छोटे-छोटे अक्षरों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें वर्ण कहते हैं। इन्हीं वर्णों के मेल से शब्द का निर्माण होता है। अन्य शब्दों में कहीं तो वर्णों के मेल या योग को शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
- गंगा
- रहना
- स्कूल
- आत्मा
- योग आदि।
शब्द कितने प्रकार के होते हैं
हिंदी व्याकरण के अनुसार अलग-अलग आधारों के अंतर्गत शब्द को चार वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे की –
- उत्पत्ति के आधार पर
- प्रयोग के आधार पर
- रचना के आधार पर
- अर्थ के आधार पर
उत्पत्ति के आधार पर
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे कि –
- तत्सम
- तद्भव
- विदेशी
- देशज
तत्सम
ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं परंतु उसे हिंदी भाषा में जीव का क्यों प्रयोग किया जा रहा है उन्हें तत्सम शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
- रक्षा
- रात्रि
- चंद्रिका
- अग्नि
- दुग्ध
तद्भव
ऐसे शब्द जो की संस्कृत भाषा से लिए तो गए हैं परंतु उसे हिंदी में प्रयोग करने से पहले इसका अर्थ परिवर्तित कर दिया जाता है, उन्हें तद्भव शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
- आग – अग्नि
- दूध – दूध
- रात – रात्री
विदेशी
ऐसे शब्द जो कि विदेशों से आए हैं परंतु हिंदी भाषा में उसे सामान्य तौर पर प्रयोग किया जाता है, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।
जैसे की –
अंग्रेजी – डॉक्टर, स्कूल, ऑफिस, टीचर, रेल, फीस, बटन आदि।
फारसी – खुशामद, गुब्बारा, आमदनी, आसमान, जलेबी, ज़मीन, तराजू, जंजीर, उर्दू, इस्तीफा, इम्तिहान, इशारा, ईमान, इंतजार, किताब, कब्र।
पुर्तगाली – बाल्टी, चाबी, कनेक्टर, इस्पात, काजू, बिस्कुट, आलू, पपीता, साबुन, पादरी।
तुर्की – लाश, चेचक, कुर्ता, खच्चर, भड़ास, सौगात, बीबी, चम्मच, बारूद, तोप।
देशज
ऐसे शब्द जो क्षेत्रीय भाषाओं से लिए गए हैं और उन्हें हिंदी भाषा में सामान्य तौर पर प्रयोग किया जाता है, उन्हें देशज शब्द कहते हैं।
जैसे की –
- खिचड़ी
- पाग
- डाब
- छाती
- जूता
- बाजार
प्रयोग के आधार पर
प्रयोग के आधार पर शब्दों को दो भागों में बांटा गया है।
जैसे कि –
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
विकारी शब्द
ऐसे शब्द जिन्हें पुरुष, वचन, काल, कारक और लिंग के माध्यम से परिवर्तन किया जा सके उन्हें विकारी शब्द कहा जाता है।
विकारी शब्द के चार भेद होते हैं –
- सर्वनाम
- विशेषण
- संज्ञा
- क्रिया
अविकारी शब्द
ऐसे शब्द जिन्हें पुरुष, वचन, काल, कारक और लिंग के माध्यम से परिवर्तन नहीं किया जा सके, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं।
अविकारी शब्दों को भी चार भागों में बांटा गया है –
- समुच्चयबोधक अव्यय
- क्रिया विशेषण
- संबंध बोधक अव्य
- विस्मयादिबोधक काव्य
रचना के आधार पर
रचना के आधार पर शब्दों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे की –
- रूढ़ शब्द
- यौगिक शब्द
- योगरूढ़ शब्द
रूढ़ शब्द
ऐसे शब्द जिन्हें खंड नहीं किया जा सकता यानी टुकड़े नहीं किया जा सकते, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। रूढ़ शब्दों को मूल शब्द के नाम से भी जाना जाता है।
जैसे की –
- किताब
- बात
- कुत्ता
- राजा
- नेत्र
- लक्ष्मी
- घर
यौगिक शब्द
ऐसे शब्द जिन्हें खंड करके या टुकड़े करके बहुत ही सरलता के साथ लिखा जा सकता है, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं।
जैसे की –
- क्षमा + शील = क्षमाशील
- भोज + नालय = भोजनालय
- घुड़ + सवार = घुड़सवार
- श्रम + इक = श्रमिक
- राज + पुरुष = राजपुरुष
- परि + श्रम = परिश्रम
योगरूढ़ शब्द
ऐसे शब्द जिन्हें खंडित तो किया जा सकता है परंतु इसका अर्थ स्पष्ट करने के लिए उन्हें आपस में एक करना पड़ता है।
जैसे की –
- पंकज
- लंबोदर
- चारपाई
- नीरज
- चंद्रशेखर
अर्थ के आधार पर
अर्थ के आधार पर शब्दो को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है।
- निरर्थक शब्द
- सार्थक शब्द
निरर्थक शब्द
निरर्थक शब्द, ऐसे शब्दों को कहते हैं जिनका कोई अर्थ नहीं होता। सरल शब्दों में कहे तो अर्थहीन शब्दों को निरर्थक शब्द कहा जाता है। यह ऐसे शब्द होते हैं, जो प्राय सार्थक शब्द के आगे या पीछे जुड़कर अर्थ विस्तार करते हैं।
जैसे की –
- बच्चे पढ़ने में ठीक ठाक है।
- यह सामान मत उठाओ, कहीं गिर कर टूट न जाए।
सार्थक शब्द
सार्थक शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता है, जिनके अर्थ स्पष्ट हो। सरल शब्दों में कहे तो जिन शब्दों का कुछ ना कुछ अर्थ होता है यानी मतलब होता है उन्हें ही सार्थक शब्द कहा जाता है।
हिंदी व्याकरण के अनुसार सार्थक शब्दों को चार वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे कि –
- एकार्थी शब्द
- अनेकार्थी शब्द
- पर्यायवाची यानी समानार्थी शब्द
- विलोम शब्द
एकार्थी शब्द
ऐसे शब्द जिनका केवल एक अर्थ होता है, उन्हें एकार्थी शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
- ईश्वर
- ईर्ष्या
- जूता
- मकान
- हृदय
- व्यक्ति
- साहस
अनेकार्थी शब्द
ऐसे शब्द जिनका एक से अधिक मतलब हो उन्हें अनेकार्थी शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
- काल – मौसम, अवधि, समय
- विचार = इरादा, निर्णय, राय।
- परिवर्तन = सुधार, हेरफेर, बदलाव।
- दंड = कसरत, डण्डा, सजा।
- उत्तर = एक दिशा, जवाब
पर्यायवाची यानी समानार्थी शब्द
ऐसे शब्द जिनके अर्थ एक समान हो, उन्हें समानार्थी शब्द कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो किसी भी एक शब्द के एक समान कई मतलब होते हैं, उन्हें ही समानार्थी शब्द या पर्यायवाची शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
- इंसान – मानव , आदमी , मनुष्य , मानुष।
- दवा – औषध, दवाई, इलाज, चिकित्सा, उपचार, दवा-दारू।
- अनाथ – तीम, लावारिस, बेसहारा, अनाश्रित
- थोड़ा – अल्प, न्यून, जरा, कम।
विलोम या विपरीतार्थक शब्द
ऐसे शब्द जिनके अर्थ एक दूसरे से विपरीत हो विपरीतार्थक शब्द कहलाते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो एक शब्द का उल्टा अर्थ देने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहा जाता है।
जैसे कि –
- कटु × मधुर
- रात × दिन
- खुशबू × बदबू
- चंद्रमा × सूर्य
- लड़का × लड़की
शब्द के उदाहरण क्या है
यहां नीचे हम शब्द के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके माध्यम से आप शब्दों का अर्थ भली भांति समझ जाएंगे।
जैसे की –
पद किसे कहते हैं
पद भाषा के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक होता है। जब हम किसी भी वाक्य या बोलचाल में किसी सार्थक या अर्थपूर्ण शब्द का उपयोग करते हैं, तो हम उसे “पद” कहते हैं।
दूसरे शब्दों में कहे तो जब भी किसी सार्थक या अर्थपूर्ण शब्दों का प्रयोग वाक्य में किया जाता है तो उन्हें पद कहते हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो वचन, कल और लिंग आदि के वर्ण पद कहलाते हैं।
आमतौर पर बोलचाल और लेखन के समय, जब किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, या भावना की बात की जाती हैं, तो उस वाक्य में “पद” का उपयोग होता हैं। यह पद वाक्य का मूख्य अंश होता हैं, जिन्हें शब्दों के अन्य हिस्सों के साथ मिलाकर वाक्य बनाते हैं।
जैसे कि –
- राम सोता है। (इस वाक्य में दो अलग-अलग पद है राम, सोता)
इसी तरह,
- विनय स्टेज पर नाचता है (इस वाक्य में तीन अलग-अलग पद है विनय स्टेज और नाचता)
पद कितने प्रकार के होते हैं
हिंदी व्याकरण के अनुसार पदों के पाँच प्रकार होते हैं।
जैसे कि –
- संज्ञा
- सर्वनाम
- क्रिया
- विशेषण
- अव्यय
संज्ञा
किसी भी व्यक्ति, वस्तु, गुण, जाति, धर्म, स्थान आदि का बोध कराएं तो उन्हें संज्ञा कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में संज्ञा को Noun के नाम से जानते हैं।
सर्वनाम
ऐसे शब्द जिनका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते हैं।
क्रिया
वाक्य में प्रयुक्त शब्दों से कार्य को करने का बोध हो, तो उन्हें क्रिया कहा जाता है।
विशेषण
ऐसे शब्द जो प्राय सर्वनाम और संज्ञा की विशेषता बताता हो तथा उनके स्थान का बोध कराता हो, उन्हें विशेषण कहा जाता है।
अव्यय
ऐसे शब्द जहाँ लिंग, कारक, वचन, क्रिया आदि के कारण उन में परिवर्तन ना हो सके, तो उन्हें अव्यय कहते हैं।
शब्द और पद में क्या अंतर है
अक्सर लोग शब्द और पदों के बीच अंतर नहीं समझ पाते हैं। कई लोगों को तो यह एक समान लगता है परंतु इन दोनों के बीच काफी अंतर होता है। नीचे हम शब्द और पद के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे।
जैसे की –
Sr. No. | शब्द | पद |
1 | दो या उससे अधिक स्वतंत्र वर्णों के मेल से बने सार्थक ध्वनि को शब्द कहते हैं | इन शब्दों को जब वाक्य में प्रयुक्त किया जाता है तो उन्हें पद कहते हैं। |
2 | प्राय प्रत्येक शब्दों का अपना एक अलग मतलब होता है कुछ शब्द निरर्थक होते हैं | पदों का अपना कोई मतलब नहीं होता इनका मतलब तभी निकलता है जब शब्दों का प्रयोग वाक्य में सही क्रम के साथ किया जाए। |
3 | शब्द का संबंध विशेषण वचन लिंग या क्रिया के साथ बिल्कुल नहीं होता। | पद का संबंध हमेशा कारक लिंग वचन और विशेषण से होता है। |
4 | शब्द स्वत स्वतंत्र होते हैं और इनका अर्थ स्वतंत्र होता है | पद कभी भी स्वतंत्र नहीं हो सकते दरअसल इनका संबंध विशेषण कारक लिंग और क्रिया के साथ होता है यू कहे तो यह उनसे बंधे हुए होते हैं। |
निष्कर्ष
आज के इस पोस्ट में हमने जाना की शब्द और पद (Shabd Aur Pad) में क्या अंतर है। साथ ही साथ हमने यहां शब्द कितने प्रकार के होते हैं, पद कितने प्रकार के होते हैं तथा पद के उदाहरण, पद की परिभाषा सहित शब्द की परिभाषा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की है।
उम्मीद करते हैं, कि आज के इस लेख में दी गई जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गई होगी। लेकिन इसके बावजूद यदि इस लेख से संबंधित आपको और अधिक जानकारी चाहिए तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं।
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FAQ
शब्द की परिभाषा क्या है?
वर्णों के मेल या योग को शब्द कहा जाता है।
पद से क्या तात्पर्य है?
किसी भी सार्थक यानी अर्थपूर्ण शब्दों का प्रयोग वाक्य में किया जाता है, तो उन्हें पद कहते हैं।
शब्द पद कब बनता है?
जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तो ऐसी स्थिति में शब्द पद में परिवर्तित हो जाता है।
शब्दों के भेद कितने आधारों पर किए जाते हैं?
शब्दों के भेद को मुख्ता चार -अलग आधारों के अंतर्गत किया जाता है – उत्पत्ति के आधार पर, प्रयोग के आधार पर, बनावट के आधार पर तथा अर्थ के आधार पर।
पद के उदाहरण क्या है?
पद के उदाहरण है – गंगा गीत गुनगुना रही है, श्याम पुस्तक पढ़ता है, सतलुज भारत की नदी है, भीम बहुत बलवान है।